Vikrant Shekhawat : Jan 05, 2021, 01:00 AM
उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून को लेकर सोमवार को एक नई चिट्ठी सामने आई। पूर्व चीफ सेक्रेटरी योगेंद्र नारायण की अगुवाई में 224 रिटायर्ड अफसरों की तरफ से लिखी गई इस चिट्ठी में कानून का समर्थन किया गया है। वहीं, पूर्व नौकरशाहों की पिछली चिट्ठी को राजनीति से प्रेरित बताया गया है। चिट्ठी में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संविधान की सीख देना गलत है।
पांच दिन पहले (30 दिसंबर 2020) 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था। इसमें लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग की गई थी। सोमवार को सामने आई चिट्ठी में पिछली चिट्ठी का जवाब दिया गया है।
ब्रिटिश राज में रजवाड़ों ने बनाए थे ऐसे कानून:
फोरम ऑफ कन्सर्न्ड सिटिजन से जुड़े 244 पूर्व अफसरों ने अपनी चिट्ठी में लव जिहाद को रोकने के लिए योगी सरकार के बनाए कानून को समर्थन दिया है। इसमें कहा गया है कि ब्रिटिश राज में भी कई रजवाड़ों ने इसी तरह के कानून लागू किए थे। इससे उत्तर प्रदेश की गंगा-जमुनी तहजीब को कोई खतरा नहीं हैं। यह अध्यादेश धर्म और जाति छिपाकर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कारगर है।
चिट्ठी में यह भी कहा गया कि कुछ रिटायर्ड ऑफिसर्स (जो अमूमन सरकार के विरोधी स्वभाव के हैं) कानून का विरोध कर रहे हैं। राजनैतिक तौर पर एक पक्ष की पैरवी करने वाले ये अफसर हजारों पूर्व अधिकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। पिछली चिट्ठी में CM योगी को संविधान के बारे में फिर से पढ़ने की नसीहत देना भी गैर जिम्मेदाराना है। यह संवैधानिक ढांचे को कमजोर करने वाला भी है।
कानून के खिलाफ 104 पूर्व IAS ने लिखी थी चिट्ठी:पांच दिन पहले लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग को लेकर 104 पूर्व IAS अफसरों ने CM योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी। इसमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे पूर्व अफसर शामिल थे। उन्होंने लिखा था कि UP कभी गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने वाला प्रदेश था। लेकिन अब विभाजन, कट्टरता और नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है।
28 नवंबर को लव जिहाद कानून को मंजूरी मिली:उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश में लव जिहाद या किसी खास धर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन यूपी में इसे लव जिहाद के खिलाफ कानून कहा जा रहा है।
पांच दिन पहले (30 दिसंबर 2020) 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था। इसमें लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग की गई थी। सोमवार को सामने आई चिट्ठी में पिछली चिट्ठी का जवाब दिया गया है।
ब्रिटिश राज में रजवाड़ों ने बनाए थे ऐसे कानून:
फोरम ऑफ कन्सर्न्ड सिटिजन से जुड़े 244 पूर्व अफसरों ने अपनी चिट्ठी में लव जिहाद को रोकने के लिए योगी सरकार के बनाए कानून को समर्थन दिया है। इसमें कहा गया है कि ब्रिटिश राज में भी कई रजवाड़ों ने इसी तरह के कानून लागू किए थे। इससे उत्तर प्रदेश की गंगा-जमुनी तहजीब को कोई खतरा नहीं हैं। यह अध्यादेश धर्म और जाति छिपाकर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कारगर है।
चिट्ठी में यह भी कहा गया कि कुछ रिटायर्ड ऑफिसर्स (जो अमूमन सरकार के विरोधी स्वभाव के हैं) कानून का विरोध कर रहे हैं। राजनैतिक तौर पर एक पक्ष की पैरवी करने वाले ये अफसर हजारों पूर्व अधिकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। पिछली चिट्ठी में CM योगी को संविधान के बारे में फिर से पढ़ने की नसीहत देना भी गैर जिम्मेदाराना है। यह संवैधानिक ढांचे को कमजोर करने वाला भी है।
कानून के खिलाफ 104 पूर्व IAS ने लिखी थी चिट्ठी:पांच दिन पहले लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग को लेकर 104 पूर्व IAS अफसरों ने CM योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी। इसमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे पूर्व अफसर शामिल थे। उन्होंने लिखा था कि UP कभी गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने वाला प्रदेश था। लेकिन अब विभाजन, कट्टरता और नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है।
28 नवंबर को लव जिहाद कानून को मंजूरी मिली:उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश में लव जिहाद या किसी खास धर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन यूपी में इसे लव जिहाद के खिलाफ कानून कहा जा रहा है।