देश / यह तोते को पिंजरे से आज़ाद कराने की कोशिश है: सीबीआई को लेकर निर्देश जारी कर एचसी

मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को चुनाव आयोग और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की तरह अधिक स्वतंत्र बनाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने केंद्र को सीबीआई को वैधानिक दर्जा देने के लिए जल्द-से-जल्द कानून लाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा, "यह पिंजरे में बंद तोते को आज़ाद कराने की कोशिश है।"

Vikrant Shekhawat : Aug 18, 2021, 03:41 PM
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो केवल संसद को रिपोर्ट करने वाली एजेंसी होनी चाहिए। कोर्ट का कहना है कि सीबीआई को सीएजी की तरह होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है। गौरतलब है कि, लंबे समय से विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि सीबीआई बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हाथों का पोलिटिकल टूल बन गया है। 

मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की बात करते हुए 12 प्वाइंट्स के निर्देश में कोर्ट ने कहा, ''यह आदेश 'पिंजड़े में बंद तोते (सीबीआई)' को रिहा करने का प्रयास है ताकि सीबीआई को चुनाव आयोग जैसी स्वायत्तता मिल सके। 

कांग्रेस काल में भाजपा ने लगाए थे ये आरोप

बता दें कि 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी और उसे  "पिंजरे के तोते" के रूप में बताया था। उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था।

'CBI पर बीजेपी सरकार का कंट्रोल'

इधर सीबीआई ने बीते कुछ सालों में विपक्ष के काफी नेताओं के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई है, जिसे लेकर भी उस पर भाजपा सरकार के नियंत्रण का आरोप लगता रहता है। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को ज्यादा अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है, ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ अपना कार्य कर सके।