Dainik Bhaskar : Jul 22, 2019, 01:03 PM
जयपुर. राजस्थान के अलवर, अजमेर, धौलपुर के 6 लाख घरों में रहने वाले 35 लाख लोगों की जिंदगी बदल गई है। इन घरों में अब चूल्हों का धुंआ नहीं फैलता, केरोसीन के लैम्प की कालिख नहीं दिखती। 2500 सोलर सहेलियों को इसका श्रेय जाता है। इन्होंने 7 लाख से ज्यादा सोलर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हे, लैम्प, टॉर्च, होम लाइटिंग उपकरण और स्ट्रीट लाइट इन क्षेत्रों में पहुंचाए हैं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी गोगला के मुताबिक इससे करीब 9.50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में मदद मिली है। यह पहल अप्रवासी अजेता शाह ने 8 साल पहले की थी। जीईएस समिट में इनका स्टार्टअप श्रेष्ठ चुना गया था। समिट में पीएम मोदी और इवांका ट्रम्प भी शामिल हुए थे। अजेता बताती हैं कि गांव की महिलाएं चहारदीवारी से बाहर आईं, उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति तो सुधारी ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी योगदान दिया। यह महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस साल के आखिरी तक प्रोजेक्ट यूपी, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में भी शुरू करने जा रहे हैं, ताकि वहां की ग्रामीण महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें।5000 गांवों में रिसर्च करने के बाद शुरुआतन्यूयॉर्क में पली-बढ़ीं भारतीय मूल की अजेता शाह 2005 माइक्रो फाइनेंस में फेलोशिप के लिए भारत आईं। इस दौरान कई राज्यों में बिजली की कमी दिखी। 5000 गांवों में रिसर्च करने के बाद 2011 मे अजेता ने फ्रंटियर मार्केट्स कंपनी खोली और ग्रामीण महिलाओं को सोलर सहेली के रूप में इससे जोड़ना शुरू किया। महिलाएं बेहतर तरीके से बताती हैं फायदेप्रोजेक्ट में महिलाओं को जोड़ने का उद्देश्य यह है कि वो ग्रामीणों को सोलर उत्पादों के फायदे बता सकती हैं। केसरोली गांव की मिशकिना बानो और साथी बताती हैं कि अब बच्चों की फीस वो खुद भरती हैं। पहले घर से नहीं निकलती थीं, अब चौपाल पर लोगों को उत्पादों के फायदे बताती हैं। हर माह उन्हें 5 हजार रुपए कमाई होने लगी है। 25 हजार महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखाअजेता बताती हैं कि जल्द ही सोलर सहेलियां सोलर उत्पादों के अलावा गावों में ईकॉमर्स कंपनियों की तर्ज पर अन्य उत्पाद भी बेचेंगी। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और गांवों को भी ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगी। 2022 तक प्रोजेक्ट से 25, हजार महिलाएं 15 लाख घरों तक पहुंच बना पाएंगी। इससे 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी में सुधार होगा।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी गोगला के मुताबिक इससे करीब 9.50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन रोकने में मदद मिली है। यह पहल अप्रवासी अजेता शाह ने 8 साल पहले की थी। जीईएस समिट में इनका स्टार्टअप श्रेष्ठ चुना गया था। समिट में पीएम मोदी और इवांका ट्रम्प भी शामिल हुए थे। अजेता बताती हैं कि गांव की महिलाएं चहारदीवारी से बाहर आईं, उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति तो सुधारी ही पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी योगदान दिया। यह महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इस साल के आखिरी तक प्रोजेक्ट यूपी, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में भी शुरू करने जा रहे हैं, ताकि वहां की ग्रामीण महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकें।5000 गांवों में रिसर्च करने के बाद शुरुआतन्यूयॉर्क में पली-बढ़ीं भारतीय मूल की अजेता शाह 2005 माइक्रो फाइनेंस में फेलोशिप के लिए भारत आईं। इस दौरान कई राज्यों में बिजली की कमी दिखी। 5000 गांवों में रिसर्च करने के बाद 2011 मे अजेता ने फ्रंटियर मार्केट्स कंपनी खोली और ग्रामीण महिलाओं को सोलर सहेली के रूप में इससे जोड़ना शुरू किया। महिलाएं बेहतर तरीके से बताती हैं फायदेप्रोजेक्ट में महिलाओं को जोड़ने का उद्देश्य यह है कि वो ग्रामीणों को सोलर उत्पादों के फायदे बता सकती हैं। केसरोली गांव की मिशकिना बानो और साथी बताती हैं कि अब बच्चों की फीस वो खुद भरती हैं। पहले घर से नहीं निकलती थीं, अब चौपाल पर लोगों को उत्पादों के फायदे बताती हैं। हर माह उन्हें 5 हजार रुपए कमाई होने लगी है। 25 हजार महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखाअजेता बताती हैं कि जल्द ही सोलर सहेलियां सोलर उत्पादों के अलावा गावों में ईकॉमर्स कंपनियों की तर्ज पर अन्य उत्पाद भी बेचेंगी। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और गांवों को भी ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगी। 2022 तक प्रोजेक्ट से 25, हजार महिलाएं 15 लाख घरों तक पहुंच बना पाएंगी। इससे 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की जिंदगी में सुधार होगा।