Vikrant Shekhawat : Jun 29, 2023, 12:03 PM
Share Market: बाजार की भाषा भी कमाल की है. जिसकी समझ में आ जाए उसके वारे न्यारे हो जाते हैं और जिसे ना आए वो बर्बाद. इस हफ्ते के शुरूआती दो दिनों में शेयर बाजार में शानदार तेजी देखने को मिली और और निवेशकों की झोली में करीब 3.50 लाख करोड़ रुपये आ गए. सेंसेक्स और निफ्टी दोनो लाइफ टाइम हाई पर पहुंच. सेंसेक्स ने 64 हजार अंकों के लेवल को पार किया और निफ्टी 19 हजार के स्तर को पार कर गया. याद कीजिये गोल्डमैन सैस की उस रिपोर्ट को जिसमें कहा गया था कि आने वाले 25 बरस में भारत के बाजार के सामने दुनिया के सभी बड़े बौने हो जाएंगे और 2075 तक का आलम यह होगा कि अमेरिका तक भारत से पीछे हो जाएगा.अगर बात मौजूदा वक्त की मोदी सरकार से जोड़कर देखें तो शेयर बाजार और सरकार दोनों की एक दूसरे के लिए काफी मुफीद साबित हुए हैं. 2014 की जीत के बाद से शेयर बाजार ने जो स्पीड पकड़ी है वो शायद ही किसी और दूसरे नेता के दौर में पकड़ी हो. अब जब करीब 8 महीने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव होंगे और मुंबई की दलाल स्ट्रीट की हर धड़कन से सिर्फ सवाल यही निकल रहा होगा कि क्या मोदी सरकार सत्ता में दोबारा लौटेगी? अगर लौटी सेंसेक्स 80 हजार अंकों को पार करेगा? इसका जवाब अगले साल चुनाव होने के बाद ही मिल सकेगा, लेकिन पिछले 9 बरस के दो लोकसभा चुनाव के दौरान के शेयर बाजार के उन पन्नों को पलटने की जरूरत है और समझने की जरुरत है कि बाजार ने किस तरह से रिएक्ट किया.पहले बात 2014 के लोकसभा चुनाव कीआपको ले चलते हैं साल 2014 के चुनावी दौर में जब 7 अप्रैल को इलेक्शन का बिगुल बजा था. उस दिन सेंसेक्स 22343 अंकों पर था. चुनावों के नतीजे आते-आते यानी 16 मई 2024 तक सेंसेक्स का आंकड़ा 24 हजार के पार चला गया था. इसका मतलब है कि करीब 40 दिनों के अंदर सेंसेक्स ने करीब 1800 अंकों की छलांग लगाई थी. उस दौर की छवि को जरा दोबारा से अपनी छवि को उतार लीजिये और समझने की कोशिश कीजिये किस तरह से यह तय हो गया था कि सत्ता में बीजेपी आने वाली है और देश के लोगों ने भारी वोट देकर नरेंद्र मोदी और बीजेपी का स्वागत किया था. कुछ ऐसा ही स्वागत शेयर बाजार ने भी सत्ता ने किया.अब जरा उसके बाद की परिस्थितियों को समझने की कोशिश करते हैं. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ पहली बार लेते हैं और 10 दिनों में सेंसेक्स में 500 अंकों का और उछाल देखने को मिलता है और बाजार का प्रमुख सूचकांक 24700 अंकों के पार पहुंच जाता है. उसके एक महीने के बाद यानी 27 जून तक सेंसेक्स 25 हजार के लेवल को पार कर जाता है. यानी चुनाव शुरू होने से लेकर मोदी सरकार के सत्ता में आने के एक महीने बाद तक सेंसेक्स करीब 3000 अंकों की छलांग लगा लेता है. इसका मतलब क्या है. उसके बाद 2019 का चुनावी बिगुल बजने से पहले तक यानी 10 अप्रैल तक सेंसेक्स 38600 अंकों के करीब पहुंच गया. मतलब मोदी सरकार 1.0 में बाजार ने करीब 73 फीसदी यानी 16250 अंकों से ज्यादा की छलांग लगाई. इसका मतलब है कि मोदी ऐरा में सेंसेक्स 41700 अंकों की छलांग ले चुका है.2019 के बाद कैसा रहा बाजार का मिजाजयह दौर मोदी सत्ता, देश और बाजार तीनों को कोरोना का दंश झेलना पड़ा, लेकिन कोरोना को खत्म करने के लिए सरकार ने दुनिया के पटल पर सफलता की कहानी लिखी कुछ ऐसी ही पटकथा शेयर बाजार ने भी लिखी. साल 2020 में बाजार ने दुनिया के सभी बाजारों के मुकाबले निवेशकों को 15 फीसदी से ज्यादा सबसे ज्यादा रिटर्न दिया. लेकिन बात 2019 से ही शुरू करते हैं जब 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा तो सेंसेक्स 38600 अंकों के पार चला गया. 23 मई को नतीजों के बाद सेंसेक्स 38000 अंकों के पार रहा. इसका मतलब है कि शेयर बाजार को पता था कि मोदी सरकार दोबारा सत्ता में लौट रही है ऐसे में बाजार ने कुछ खास रिएक्ट नहीें किया और 40 दिनों के दौर में मात्र. 200 अंकों की तेजी दिखी. खास बात तो ये है 30 मई को दूसरी बार पीएम पद की शपथ लेते ही सेंसेक्स में एक हफ्ते के भीतर करीब एक हजार अंकों की तेजी देखने को मिली और सेंसेक्स 39000 अंकों के पार चला गया.इस हकीकत को समझना काफी जरूरी है पीएम नरेंद्र मोदी के 9 साल के सफर में सेंसेक्स की सफलता की कहानी लिखी गई वो इस दौर की रही. जून 2019 आते-आते सेंसेक्स में कुछ बदलाव देखने को नहीं मिला और कोविड आने से पहले यानी जनवरी 2020 खत्म होने से सेंसेक्स 40300 अंकों के करीब पहुंच गया था. उसके बाद कोविड का असर सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया ने देखा को बाजार को गर्त में ले गया. अप्रैल 2020 के बाद बाजार ने रिकवरी शुरू की और उसके बाद बाजार ने नई छलांग लगानी शुरू की. जिसकी बात हम पहले कर चुके हैं. मौजूदा समय में सेंसेक्स 64 हजार के पार है और मोदी 2.0 में सेंसेक्स अब तक 66 फीसदी 25500 अंकों की तेजी दिखा चुका है. इस मतलब है बीएसई का मार्केट कैप जो 7 अप्रैल 2014 को 74,51,817.41 करोड़ रुपये था वो अब बढ़कर 2,94,11,131.69 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है. यानी निवेशकों की झोली में 2,19,59,314.28 करोड़ रुपये झोली में आ चुके हैं.आगे की परिस्थिति रहेगी कैसी?2024 के लिए सत्ता, विपक्ष और शेयर बाजार तीनों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. मोदी सत्ता 2024 में दोबारा लौटने की उम्मीदों पर काम कर रही है. वहीं विपक्ष भी अपने तौर पर सत्ता में वापसी करने के लिए के लिए जुटा हुआ है. दूसरी ओर शेयर बाजार की धड़कने इस बात को लेकर बढ़ी हुई हैं क्या सेंसेक्स 80 हजार का लेवल मई 2024 तक छू पाएगा. इस बारे में केडिया एडवाइजरी अजय केडिया का कहना है कि आने वाले एक साल में कई फैक्टर्स काम कर रहे हैं. ग्लोबल इकोनॉमी लेवल पर फेड ब्याज दरों में इजाफा करेगा. वहीं यूक्रेन रूस वॉर किस लेवल पर जाता है यह भी काफी निर्भर करेगा. कच्चे तेल की कीमतें किस लेवल पर जाती हैं भी डिपेंड करेगा. वैसे भारतीय शेयर बाजार का आउटलुक बढ़ोतरी की ओर है और दिसंबर तक यह 70 हजार के लेवल तक छू सकता है. मई के महीने तक 75 हजार के लेवल पर आने की संभावना है. अगर यह 80 हजार के लेवल पर पहुंचता है तो बाजार के लिए बोनस होगा.दूसरी ओर आईआईएफल के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि बाजार में तेजी की संभावना बनी हुई है. क्योंकि ग्लोबल लेवल पर सिर्फ एक दो संभावित ट्रिगर्स को छोड़ दें अपना असर दिखा चुके हैं. यूएस डेट क्राइसिस से लेकर बैंकिंग क्राइसिस तक सबका असर बाजार पर पड़ चुका है. सिर्फ रूस यूक्रेन वॉर किस मोड़ पर जाता है यह देखना बाकी रह गया है. ऐसे में अगले एक साल में बाजार 70 से 75 हजार अंकों के लेवल पर पहुंच सकता है और 80 हजार उसके आगे तक पहुंचता है तो यह एक तरह से बाजार के लिए बोनस की तरह होगा.