Vikrant Shekhawat : Aug 23, 2020, 06:00 PM
नई दिल्ली | कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी (Congress Interim President Sonia Gandhi) ने पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्षीय पद लगातार संभालने से इनकार कर दिया है। इससे साफ है कि कांग्रेस (Indian National Congress) में अब अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल सबसे बड़ा है। संगठन के स्तर पर बदलाव की मांग को लेकर पार्टी नेताओं के एक समूह की ओर लिखे गए पत्रों का जवाब सोनिया गांधी ने जवाब दिया है और कहा है कि वे अब यह जिम्मेदारी और आगे नहीं संभालना चाहती हैं। सूत्र बताते हैं कि श्रीमती सोनिया गांधी ने संगठन के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल को शीघ्र नया अध्यक्ष चुनने के लिए कहा है।
अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी शुरू हो चुकी है। पार्टी के कुछ नेता पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, तो कुछ चुनाव कराने की मांग में अड़े हैं। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि उन्होंने कहा, इस तरह के मुद्दे को उठाने का यह समय नहीं है, बल्कि एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्ष की अभी जरूरत है। कैप्टन ने कहा, राजग सरकार देश के संवैधानिक लोकाचार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को नष्ट करने में लगी है और हम ऐसे मुद्दों पर अपना समय नष्ट कर रहे हैं।इइधर सलमान खुर्शीद ने कहा, आंतरिक चुनावों की जगह कांग्रेस को एक बार सर्वसम्मति को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा, राहुल गांधी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ‘पूर्ण समर्थन', फर्क नहीं पड़ता कि उन पर अध्यक्ष का ठप्पा है या नहीं।कहा जा रहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पूर्व पार्टी के अंदर विभिन्न स्वर उभरने लगे हैं। जहां वर्तमान सांसदों और पूर्व मंत्रियों के एक वर्ग ने सामूहिक नेतृत्व की मांग की है, वहीं एक दूसरे वर्ग ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की पुरजोर वकालत की है। कुछ पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संगठन में बड़े बदलाव की मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है, वहीं, राहुल के करीबी कुछ नेताओं ने सीडब्ल्यूसी को पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी वापसी के लिए पत्र लिखा है।
कुछ सप्ताह पहले लिखे गए हैं पत्रसमझा जाता है कि पूर्व मंत्रियों और कुछ सांसदों ने कुछ सप्ताह पहले यह पत्र लिखा, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। बैठक में असंतुष्ट नेताओं द्वारा उठाये गये मुद्दों पर चर्चा और बहस होने की संभावना है। इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। वैसे, केंद्रीय संसदीय बोर्ड 1970 के दशक तक कांग्रेस में था लेकिन उसे बाद में खत्म कर दिया गया। इस पत्र में सामूहिक रूप से निर्णय लेने पर बल दिया गया है और उस प्रक्रिया में गांधी परिवार को ‘अभिन्न हिस्सा' बनाने की दरख्वास्त की गयी है। इन नेताओं ने पूर्णकालिक नेतृत्व की नियुक्ति की भी मांग की
समझा जाता है कि सुधार के पक्षधर नेताओं ने पार्टी संगठन में प्रखंड स्तर से लेकर कार्यसमिति के स्तर तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की भी मांग रखी है. कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व की दलीलें पेश करने वाले वर्ग का विरोध भी शुरू हो गया है और पार्टी के सांसद मणिकम टैगोर ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की मांग की है। तेलंगाना के पूर्व सांसद और पार्टी के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी सचिव चल्ला वामसी चंद रेड्डी ने भी राहुल गांधी को ‘अब और बिना किसी देरी के' कांग्रेस अध्यक्ष बनाने जाने की मांग की है। रविवार को सीडब्ल्यूसी को भेजे पत्र में रेड्डी ने कहा कि राहुल की पार्टी प्रमुख के रूप में बहाली में देरी की कीमत पार्टी को चुकानी होगी। उन्होंने पत्र में लिखा, वर्तमान स्थिति में राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नति में देरी से कांग्रेस पार्टी की प्रगति में ऐसी क्षति होगी, जिसकी गणना नहीं की जा सकती है और यह कांग्रेस परिवार के लिए हत्सोसाहित करने वाला कदम हो सकता है। जिन नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित शामिल हैं। इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं इनमें से ज्यादातर ने रविवार को पूछे गये प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये। कुछ ने फोन कॉल का जवाब तो दिया, लेकिन इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोले। इन घटनाक्रमों के मद्देनजर सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए गांधी बनाम गांधी के मुद्दे पर चर्चा होना लगभग तय हैं।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों (Loksabha Election 2019) में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का इस्तीफा होने के बाद लम्बे समय तक अध्यक्ष पद के लिए इंतजार होता रहा और सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने के कुछ पार्टी नेताओं के प्रयास का विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि सोनिया गांधी जब तक चाहें उन्हें अध्यक्ष बने रहना चाहिए, उनके बाद राहुल गांधी को कमान संभालनी चाहिए, जो पूरी तरह सक्षम हैं।पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 10 अगस्त को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में श्रीमती गांधी ने साफ कर दिया है कि वह एक बार फिर पार्टी की अगुआई नहीं करना चाहती हैं। सोनिया गांधी ने इसी शर्त पर अंतरिम अध्यक्ष का पद स्वीकार किया था कि पार्टी जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष की तलाश कर लेगी। हालांकि, एक साल में ऐसा नहीं हो पाया है।हाल ही में कांग्रेस के कम 23 वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में बदलाव की मांग की है। इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि बताया कि पत्र के लेखकों में पूर्व मुख्यमंत्री जैसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पृथ्वीराज चव्हाण, पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल और शशि थरूर के साथ-साथ मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे युवा नेता शामिल हैं। अंतरिम अध्यक्ष को लिखे लेटर में कहा गया है कि पार्टी अपना आधार खो रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए इन नेताओं ने एक 'पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व' की मांग की है जो न सिर्फ काम करता नजर आए, बल्कि असल में जमीन पर उतरकर काम करे भी। नेताओं ने सीडब्ल्यूसी चुनाव और पार्टी को फिर खड़ा करने के लिए योजना बनाने की मांग है।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आम चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद सोनिया गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाया गया। अब दोबारा राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई लोगों ने पार्टी के मंच से कहा है के राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद बनाने की मांग पार्टी के ज्यादातर नेताओं की भावनाओं के अनुकूल है। हालांकि, गैर गांधी को पार्टी का नेतृत्व सौंपने को लेकर भी चर्चा चल रही है।कुछ लोग चाहते हैं चुनावसोनिया गांधी ने संगठन के महासचिव को शीघ्र नया अध्यक्ष चुनने के लिए कहा है। #राहुल_गांधी चाहते है वो तभी कमान संभालेंगे जब सभी पदाधिकारी और CM एक बार इस्तीफा देकर उन्हें पूरे अधिकार दें और वे निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो। राहुल के इस्तीफे में सभी सवालों के जवाब है।#Congress pic.twitter.com/bNOdnkfR9T
— Pradeep Beedawat (@PBeedawat) August 23, 2020
अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी शुरू हो चुकी है। पार्टी के कुछ नेता पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, तो कुछ चुनाव कराने की मांग में अड़े हैं। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि उन्होंने कहा, इस तरह के मुद्दे को उठाने का यह समय नहीं है, बल्कि एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्ष की अभी जरूरत है। कैप्टन ने कहा, राजग सरकार देश के संवैधानिक लोकाचार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को नष्ट करने में लगी है और हम ऐसे मुद्दों पर अपना समय नष्ट कर रहे हैं।इइधर सलमान खुर्शीद ने कहा, आंतरिक चुनावों की जगह कांग्रेस को एक बार सर्वसम्मति को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा, राहुल गांधी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ‘पूर्ण समर्थन', फर्क नहीं पड़ता कि उन पर अध्यक्ष का ठप्पा है या नहीं।कहा जा रहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पूर्व पार्टी के अंदर विभिन्न स्वर उभरने लगे हैं। जहां वर्तमान सांसदों और पूर्व मंत्रियों के एक वर्ग ने सामूहिक नेतृत्व की मांग की है, वहीं एक दूसरे वर्ग ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की पुरजोर वकालत की है। कुछ पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संगठन में बड़े बदलाव की मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है, वहीं, राहुल के करीबी कुछ नेताओं ने सीडब्ल्यूसी को पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी वापसी के लिए पत्र लिखा है।
कुछ सप्ताह पहले लिखे गए हैं पत्रसमझा जाता है कि पूर्व मंत्रियों और कुछ सांसदों ने कुछ सप्ताह पहले यह पत्र लिखा, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। बैठक में असंतुष्ट नेताओं द्वारा उठाये गये मुद्दों पर चर्चा और बहस होने की संभावना है। इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। वैसे, केंद्रीय संसदीय बोर्ड 1970 के दशक तक कांग्रेस में था लेकिन उसे बाद में खत्म कर दिया गया। इस पत्र में सामूहिक रूप से निर्णय लेने पर बल दिया गया है और उस प्रक्रिया में गांधी परिवार को ‘अभिन्न हिस्सा' बनाने की दरख्वास्त की गयी है। इन नेताओं ने पूर्णकालिक नेतृत्व की नियुक्ति की भी मांग की
समझा जाता है कि सुधार के पक्षधर नेताओं ने पार्टी संगठन में प्रखंड स्तर से लेकर कार्यसमिति के स्तर तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की भी मांग रखी है. कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व की दलीलें पेश करने वाले वर्ग का विरोध भी शुरू हो गया है और पार्टी के सांसद मणिकम टैगोर ने राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की मांग की है। तेलंगाना के पूर्व सांसद और पार्टी के महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी सचिव चल्ला वामसी चंद रेड्डी ने भी राहुल गांधी को ‘अब और बिना किसी देरी के' कांग्रेस अध्यक्ष बनाने जाने की मांग की है। रविवार को सीडब्ल्यूसी को भेजे पत्र में रेड्डी ने कहा कि राहुल की पार्टी प्रमुख के रूप में बहाली में देरी की कीमत पार्टी को चुकानी होगी। उन्होंने पत्र में लिखा, वर्तमान स्थिति में राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रोन्नति में देरी से कांग्रेस पार्टी की प्रगति में ऐसी क्षति होगी, जिसकी गणना नहीं की जा सकती है और यह कांग्रेस परिवार के लिए हत्सोसाहित करने वाला कदम हो सकता है। जिन नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित शामिल हैं। इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं इनमें से ज्यादातर ने रविवार को पूछे गये प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये। कुछ ने फोन कॉल का जवाब तो दिया, लेकिन इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोले। इन घटनाक्रमों के मद्देनजर सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए गांधी बनाम गांधी के मुद्दे पर चर्चा होना लगभग तय हैं।