Zee News : Sep 10, 2020, 03:29 PM
नई दिल्ली: उम्मीद थी कि आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लोन की EMI पर ब्याज पर ब्याज नहीं लेने को लेकर कुछ फैसला होगा, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक और सरकार को आदेश दिया है कि 28 सितंबर को वो किसी ठोस फैसले के साथ आएं। सुप्रीम ने आज फिर कहा कि ये मामला खत्म होने तक किसी भी खाते को NPA घोषित नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का जवाब सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार (Tushar Mehta) मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मोरेटोरियम मामले (Moratorium case) में स्टेकहोल्डर्स के साथ 2-3 दौर की बातचीत हो चुकी है। कई फैसले लिए गए हैं। सरकार बैंकों के साथ संपर्क में है। इसलिए कोर्ट से अपील है कि सुनवाई अगले दो हफ्ते के लिए टाल दी जाए। तुषार मेहता ने कहा कि NPAs पर ब्याज नहीं वसूला जा सकता, हम इसको बड़े स्वरूप में देख रहे हैं।
बैंकों ने सरकार पर मढ़ा आरोपबैंकों की संस्था IBA की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) ने कहा कि सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया, बल्कि एक और रिजोल्यूशन के साथ जरूर आ गई। कर्जदारों को लेकर चिंता जताई जा रही है, यहां पर रिजर्व बैंको को नहीं बल्कि वित्त मंत्रालय को कुछ कदम उठाने की जरूरत है। जहां तक डाउनग्रेडिंग और ब्याज पर ब्याज वसूलने की बात है, हमें इस पर चर्चा करनी चाहिए। कोरोना महामारी की वजह से पूरी इंडस्ट्री मुश्किल दौर से गुजर रही है।
CREDAI की सुप्रीम कोर्ट में दलीलरियल एस्टेट कंपनियों की संस्था CREDAI तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि मौजूदा लोन रीस्ट्रक्चरिंग से 95 परसेंट कर्जदारों को कोई फायदा नहीं होगा। कर्जदारों को डाउनग्रेड किया जा रहा है, उसे रोकना चाहिए और जो ब्याज पर ब्याज वसूला जा रहा है, उस पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही लोन मोरेटोरियम स्कीम को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
कर्जदारों का सुप्रीम कोर्ट में पक्षकर्जदारों की तरफ से पेश हुए वकील आर्यन सुंदरम ने कोर्ट को बताया कि, बैंक साफ तौर पर कह रहे हैं कि मोरेटोरियम खत्म हो चुका है, अब कर्जदारों पर बकाया चढ़ रहा है। जबकि बैंकों से हमने अपील की है कि वो मोरेटोरियम की अवधि को दो हफ्ते के लिए और बढ़ा दें। कर्जदारों के दूसरे वकील राजीव दत्ता ने एक बार फिर कहा कि कर्जदारों से कंपाउंड इंटरेस्ट वसूला जा रहा है। जहां तक लोन रीस्ट्रक्चरिंग की बात है तो इसे पहले ही कर लिया जाना चाहिए था। लोगों की कमाई का जरिया छिन चुका है, वो अस्पतालों में पड़े हुए हैं। सरकार को अपना पक्ष साफ करना चाहिए, कि वो चाहती क्या है? इंडिविजुअल कर्जदारों के वकील विशाल तिवारी ने कहा कि 'सबसे पहले इंडिविजुअल कर्जदारों, सर्विस सेक्टर को राहत मिलनी चाहिए, और अगले आदेश तक उनके सिबिल स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। अगले आदेश तक कर्जदारों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।'
RBI का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से पेश हुए वकील वी गिरी ने कहा कि जहां तक डाउनग्रेडिंग की बात है, नियमों के मुताबिक मोरेटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद से ये शुरू हो चुका है। 2 हफ्ते इसको आगे बढ़ाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाबसभी का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सभी सेक्टर्स का ध्यान रखते हुए कुछ ठोस प्लान के साथ कोर्ट में आए। सरकार को ब्याज और कर्जदारों के डाउनग्रेड पर जवाब देना होगा। इसके बाद अब सुनवाई को और नहीं टाला जाएगा। हम दो हफ्ते बाद अगली सुनवाई में RBI और केंद्र सरकार को सुनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का जवाब सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार (Tushar Mehta) मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मोरेटोरियम मामले (Moratorium case) में स्टेकहोल्डर्स के साथ 2-3 दौर की बातचीत हो चुकी है। कई फैसले लिए गए हैं। सरकार बैंकों के साथ संपर्क में है। इसलिए कोर्ट से अपील है कि सुनवाई अगले दो हफ्ते के लिए टाल दी जाए। तुषार मेहता ने कहा कि NPAs पर ब्याज नहीं वसूला जा सकता, हम इसको बड़े स्वरूप में देख रहे हैं।
बैंकों ने सरकार पर मढ़ा आरोपबैंकों की संस्था IBA की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) ने कहा कि सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया, बल्कि एक और रिजोल्यूशन के साथ जरूर आ गई। कर्जदारों को लेकर चिंता जताई जा रही है, यहां पर रिजर्व बैंको को नहीं बल्कि वित्त मंत्रालय को कुछ कदम उठाने की जरूरत है। जहां तक डाउनग्रेडिंग और ब्याज पर ब्याज वसूलने की बात है, हमें इस पर चर्चा करनी चाहिए। कोरोना महामारी की वजह से पूरी इंडस्ट्री मुश्किल दौर से गुजर रही है।
CREDAI की सुप्रीम कोर्ट में दलीलरियल एस्टेट कंपनियों की संस्था CREDAI तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि मौजूदा लोन रीस्ट्रक्चरिंग से 95 परसेंट कर्जदारों को कोई फायदा नहीं होगा। कर्जदारों को डाउनग्रेड किया जा रहा है, उसे रोकना चाहिए और जो ब्याज पर ब्याज वसूला जा रहा है, उस पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही लोन मोरेटोरियम स्कीम को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
कर्जदारों का सुप्रीम कोर्ट में पक्षकर्जदारों की तरफ से पेश हुए वकील आर्यन सुंदरम ने कोर्ट को बताया कि, बैंक साफ तौर पर कह रहे हैं कि मोरेटोरियम खत्म हो चुका है, अब कर्जदारों पर बकाया चढ़ रहा है। जबकि बैंकों से हमने अपील की है कि वो मोरेटोरियम की अवधि को दो हफ्ते के लिए और बढ़ा दें। कर्जदारों के दूसरे वकील राजीव दत्ता ने एक बार फिर कहा कि कर्जदारों से कंपाउंड इंटरेस्ट वसूला जा रहा है। जहां तक लोन रीस्ट्रक्चरिंग की बात है तो इसे पहले ही कर लिया जाना चाहिए था। लोगों की कमाई का जरिया छिन चुका है, वो अस्पतालों में पड़े हुए हैं। सरकार को अपना पक्ष साफ करना चाहिए, कि वो चाहती क्या है? इंडिविजुअल कर्जदारों के वकील विशाल तिवारी ने कहा कि 'सबसे पहले इंडिविजुअल कर्जदारों, सर्विस सेक्टर को राहत मिलनी चाहिए, और अगले आदेश तक उनके सिबिल स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। अगले आदेश तक कर्जदारों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।'
RBI का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से पेश हुए वकील वी गिरी ने कहा कि जहां तक डाउनग्रेडिंग की बात है, नियमों के मुताबिक मोरेटोरियम पीरियड खत्म होने के बाद से ये शुरू हो चुका है। 2 हफ्ते इसको आगे बढ़ाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाबसभी का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार सभी सेक्टर्स का ध्यान रखते हुए कुछ ठोस प्लान के साथ कोर्ट में आए। सरकार को ब्याज और कर्जदारों के डाउनग्रेड पर जवाब देना होगा। इसके बाद अब सुनवाई को और नहीं टाला जाएगा। हम दो हफ्ते बाद अगली सुनवाई में RBI और केंद्र सरकार को सुनेंगे।