जयपुर / राजस्थान में 7 जून से स्कूल खोलने से शिक्षक नाराज, 30 जून तक ग्रीष्मावकाश रखने की मांग

कोरोना काल में राजस्थान (Rajasthan) में स्कूलों में नए सत्र (New Academic Session) की शुरूआत सात जून से होने जा रही है। लेकिन शिक्षक इसका विरोध करते हुए ग्रीष्मावकाश (Summer Vacation) बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं। हाल ही में नए सत्र को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जो निर्देश सामने आए है उसके मुताबिक नया शिक्षा सत्र सात जून से शुरू होने वाला है।

Vikrant Shekhawat : Jun 06, 2021, 06:51 AM
जयपुर। कोरोना काल में राजस्थान (Rajasthan) में स्कूलों में नए सत्र (New Academic Session) की शुरूआत सात जून से होने जा रही है। लेकिन शिक्षक इसका विरोध करते हुए ग्रीष्मावकाश (Summer Vacation) बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं। हाल ही में नए सत्र को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जो निर्देश सामने आए है उसके मुताबिक नया शिक्षा सत्र सात जून से शुरू होने वाला है। जबकि आठ जून से पचास प्रतिशत स्टाफ स्कूलों में उपस्थिति देगा। वहीं, बाहर के शिक्षकों के लिए दस जून की तारीख तय की दी गई है। लेकिन शिक्षक संघ अरस्तु यानि अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्कूलों के लिए निर्धारित किये ग्रीष्मावकाश को अमनोवैज्ञानिक बताया है।

सीएम अशोक गहलोत को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा में मनोवैज्ञानिक और  भूगोलवेत्ताओं द्वारा राजस्थान की जलवायु मौसम के मद्देनजर रख कर स्कूलों में ग्रीष्मावकाश 17 मई से 30 जून प्रति वर्ष निर्धारित किया गया था। लेकिन ग्रीष्मावकाश की परिभाषा ही बदल कर रख दी गई है। शिक्षा विभाग द्वारा मनमाने ढंग से ग्रीष्मावकाश शुरू कर देते हैं, जो पूर्णतया राजस्थान की जलवायु व भौगोलिक स्थिति से विपरीत निर्णय है। भौगौलिक कारणों की वजह से माउंट आबू में ग्रीष्मावकाश के स्थान पर दीर्घकालिक शीतकालीन अवकाश घोषित किया जाता है। अवकाश मनमाने तरीके से निर्धारित नहीं किया जा सकता।

अरस्तु की ओर से कहा गया है कि उच्च शिक्षा कॉलेज/विश्वविद्यालय में 30 जून तक ग्रीष्मावकाश होता है। ऐसे में स्कूलों में छह जून तक ही ग्रीष्मावकाश क्यों निर्धारित किया गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि प्रदेश कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है। उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग का यह फरमान कि शिक्षक सात जून से स्कूल में उपस्थित होकर नामांकन वृद्धि के लिए घर-घर जाएंगे, यह शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के जीवन के साथ सरासर खिलवाड़ करने जैसा है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों को तत्काल रोका जाना चाहिए।

अरस्तु ने कहा कि ग्रीष्मावकाश को तोड़-मरोड़ कर सुविधानुसार नहीं करें, इससे लाखो नौनिहाल भी सुरक्षित रहेंगे और साथ में चार लाख शिक्षक भी। आदेशों के मुताबिक शिक्षकों को सात जून से स्कूल में बुलाया गया है जबकि, स्टूडेंट्स एक जुलाई से स्कूल आएंगे। इसे देखते हुए शिक्षक सवाल पूछ रहे हैं कि छात्रों के बगैर स्कूलों में उनकी उपयोगिता क्या है?