Vikrant Shekhawat : Nov 04, 2020, 07:40 AM
नई दिल्ली: दुश्मनों को पस्त करने वाला राफेल विमान की दूसरी खेप आज भारत पहुंचेगी। इस खेप में तीन राफेल विमान फ्रांस से नॉन स्टॉप उड़ान भरकर भारत पहुंचेंगे। इन विमानों के साथ मिड एयर रिफ्यूलिग एयरक्राफ्ट भी होगा। इससे पहले 28 जुलाई को पांच राफेल भारत पहुंचे थे और 10 सितंबर को अंबाला में आधिकारिक तौर पर विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।भारत ने फ्रांस से कुल 36 राफेल विमानों का सौदा किया है। देश को 5 राफेल मिल चुके हैं। आज तीन और आ जाएंगे। इसके बाद तीन विमान जनवरी और फिर मार्च में 3, अप्रैल में 7 राफेल लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे। इस तरह अगले साल अप्रैल तक देश में विमानों की संख्या 21 हो जाएगी। इसमें से 18 लड़ाकू विमान गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल हो जाएंगे।भारत ने राफेल सौदे में कितने खर्च किए?भारत ने राफेल सौदे में करीब 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपये) लड़ाकू विमानों के हथियारों पर खर्च किए हैं। पूरे सौदे की कीमत करीब 7.9 बिलियन यूरो है यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपये।राफेल का फुल पैकेज कुछ इस तरह है। 36 विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो, विमानों के स्पेयर पार्ट्स 1800 मिलियन यूरो के हैं, जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में खर्चा हुआ है 1700 मिलियन यूरो का। इसके अलावा परफॉर्मेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा है करीब 353 मिलियन यूरो का। एक विमान की कीमत करीब 90 मिलियन यूरो है यानी करीब 673 करोड़ रुपये। लेकिन इस विमान में लगने वाले हथियार, सिम्यूलेटर, ट्रैनिंग मिलाकर एक फाइटर जेट की कीमत करीब 1600 करोड़ रुपये पड़ेगी।राफेल की ताकतराफेल लड़ाकू विमान 4।5 जेनरेशन मीड ओमनी-पोटेंट रोल एयरक्राफ्ट है। मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) राफेल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी यानी हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ डीप-पैनेट्रेशन यानी दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है। यानी राफेल जब आसमान में उड़ता है तो कई सौ किलोमीटर तक दुश्मन का कोई भी विमान, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन पास नहीं फटक सकता है। साथ ही वो दुश्मन की जमीन में अंदर तक दाखिल होकर बमबारी कर तबाही मचा सकता है। इसलिए राफेल को मल्टी रोल लड़ाकू विमान भी कहा जाता है।राफेल अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं। सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर (METEOR) मिसाइल। ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है। यानी राफेल प्लेन वाकई दक्षिण-एशिया में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटयोर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है। हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है। इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है।राफेल में एक और खासयित ये है कि इसके पायलट के हेलमेट में ही फाइटर प्लेन का पूरा डिस्प्ले सिस्टम है। यानी उसे प्लेन के कॉकपिट में लगे सिस्टम को देखने की जरूरत भी नहीं पड़ती। उसका पूरा कॉकपिट का डिस्प्ले हेलमेट में होगा।