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- 27-Feb-2025 10:19 AM IST
Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका नया प्लान, जिसे "गोल्ड कार्ड" नाम दिया गया है। यह योजना अमेरिकी नागरिकता को आसान बनाने का दावा करती है, लेकिन इसमें एक शर्त है—यह सुविधा सिर्फ उनके लिए होगी जो मोटी रकम खर्च करने को तैयार हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि 5 मिलियन डॉलर (लगभग 44 करोड़ रुपये) का निवेश करने वालों को सीधे अमेरिकी नागरिकता दी जाएगी। इस गोल्ड कार्ड को दो हफ्ते में लॉन्च करने की तैयारी है, और यह मौजूदा EB-5 वीजा प्रोग्राम का एक विकल्प बनकर उभरेगा।
गोल्ड कार्ड क्या है और यह क्यों खास है?
अमेरिका में स्थायी नागरिकता के लिए ग्रीन कार्ड हासिल करना किसी लंबी जंग से कम नहीं। इसमें कई साल लगते हैं और प्रक्रिया बेहद जटिल है। लेकिन गोल्ड कार्ड इस प्रक्रिया को आसान करने का वादा करता है। यह योजना EB-5 वीजा प्रोग्राम से प्रेरित है, जो 1990 में शुरू हुआ था। EB-5 के तहत विदेशी निवेशक अमेरिका में पैसा लगाकर और रोजगार सृजन करके नागरिकता पाने का हकदार बनते हैं। हालांकि, गोल्ड कार्ड इसे और सरल बनाते हुए सीधे 5 मिलियन डॉलर की राशि के बदले नागरिकता का ऑफर दे रहा है। ट्रंप का दावा है कि इससे देश को भारी राजस्व मिलेगा और राष्ट्रीय कर्ज (जो 24 फरवरी 2025 तक 36.22 ट्रिलियन डॉलर था) को कम करने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रपति का लक्ष्य है कि दुनिया भर के धनवानों को आकर्षित कर 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएं। यह न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि देश में निवेश को भी बढ़ावा देगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योजना वाकई आम लोगों के लिए फायदेमंद होगी, या यह सिर्फ अमीरों के लिए एक सुनहरा मौका बनकर रह जाएगी?
अवैध अप्रवासन पर सख्ती के बीच नई राह
ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। अमेरिका की 15% आबादी अप्रवासियों की है, जिसमें भारत, मैक्सिको और चीन से आने वाले लोग सबसे आगे हैं। अनुमान है कि देश की 3% आबादी अवैध अप्रवासियों की है। इस बीच, गोल्ड कार्ड का ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने वालों को बाहर निकालने का अभियान जोरों पर है।
भारत से भी हर साल लाखों लोग "डंकी रूट" यानी अवैध तरीकों से अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 से 8 लाख भारतीय अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग एजेंटों के जरिए 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं। लेकिन गोल्ड कार्ड उनके लिए कोई राहत नहीं लाएगा, क्योंकि 44 करोड़ रुपये का निवेश उनके बस से बाहर है।
धनवानों के लिए गेमचेंजर, गरीबों के लिए सपना
गोल्ड कार्ड योजना भारत के धनी वर्ग के लिए बड़ा मौका हो सकती है। जो लोग पहले से ही EB-5 वीजा के जरिए अमेरिका में निवेश की सोच रहे थे, उनके लिए यह तेज और आसान रास्ता होगा। इस योजना के लागू होने पर EB-5 प्रोग्राम को खत्म करने की भी बात कही जा रही है। लेकिन आम भारतीयों के लिए, जो मेहनत और जोखिम उठाकर अमेरिका पहुंचने का सपना देखते हैं, यह योजना दूर की कौड़ी ही रहेगी।
अमेरिका में रोजगार आधारित वीजा के मौजूदा विकल्प
अमेरिका पहले से ही कई तरह के रोजगार आधारित वीजा देता है, जिनमें शामिल हैं:
- EB-1: असाधारण प्रतिभा वाले लोगों के लिए, जैसे वैज्ञानिक, कलाकार, या खिलाड़ी।
- EB-2: उच्च शिक्षा या विशेष कौशल वाले पेशेवरों के लिए।
- EB-3: कुशल श्रमिकों और सामान्य कामगारों के लिए।
- EB-4: धार्मिक कार्यकर्ताओं या पूर्व सरकारी कर्मचारियों जैसे विशेष समूहों के लिए।
2025 में EB-5 के तहत करीब 19,000 वीजा देने की योजना है, लेकिन गोल्ड कार्ड के आने से यह प्रोग्राम अपनी प्रासंगिकता खो सकता है।
निष्कर्ष: एक नई शुरुआत या विवाद का बीज?
ट्रंप का गोल्ड कार्ड प्लान अमेरिकी नागरिकता को एक "लक्जरी प्रोडक्ट" में बदलने की कोशिश है। यह दुनिया भर के धनवानों को लुभाने का जरिया हो सकता है, लेकिन इसके सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थ भी कम नहीं हैं। जहां एक तरफ यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है, वहीं दूसरी ओर यह अमीर और गरीब के बीच की खाई को और गहरा कर सकता है। क्या यह योजना अवैध अप्रवासन को रोकने में कारगर होगी, या यह सिर्फ एक और विवादास्पद कदम साबित होगी? आने वाले दिन इसका जवाब जरूर देंगे।