Vikrant Shekhawat : Dec 23, 2021, 02:03 PM
वाशिंगटन: अमेरिका ने फाइजर की कोविड 19 गोली (pfizer pill) को घरेलू इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है. कंपनी का कहना है कि ये गोली कोरोना मरीजों के लिए फायदेमंद है और नए वैरिएंट पर भी प्रभावी है. फाइजर इंक ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी खाद्य व औषधि प्रशासन ने एंटीवायरल COVID-19 गोली को मंजूरी दे दी है. इससे यह कोरोना वायरस के लिए पहला घरेलू उपचार हो सकेगा. दावा है कि यह गोली वायरस को तेजी से फैलने से रोकती है.एजेंसी के अनुसार, फाइजर के क्लिनिकल परीक्षण के आंकड़ों से पता चला है कि इसकी दो-दवाएं एंटीवायरल रेजिमेन गंभीर बीमारी वाले रोगियों पर प्रभावी थीं. अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को रोकने में 90% प्रभावी थीं. हाल के लैब से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि यह दवा ओमिक्रॉन वैरिएंट पर भी प्रभावी है. यह दवा ज्यादा गंभीर मरीजों और कम से कम 12 वर्ष की आयु के रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा सकेगी.कंपनी ने कहा कि वह यूएस में तत्काल डिलीवरी शुरू करने के लिए तैयार है. 2022 में अपने प्रोडक्शन को 80 मिलियन से बढ़ाकर 120 मिलियन तक करने की तैयारी है. फाइजर दवा की 10 मिलियन खुराक के लिए अमेरिकी सरकार ने अनुबंध किया है. इसकी कीमत $530 प्रति कोर्स रखी गई है.पुरानी एंटीवायरल दवा, फाइजर की गोलियां पैक्सलोविड ब्रांड नाम से बेची जाएंगी. इन गोलियों को कोरोना के लक्षणों की शुरुआत के तुरंत बाद पांच दिनों तक हर 12 घंटे में लिया जाना है. अमेरिकी नागरिक कोरोना वायरस के प्रभावों से बचने के लिए इसे घर पर ले सकेंगे. लंबे समय से इस पर काम चल रहा था. Paxlovid, शुरुआती COVID-19 संक्रमणों का इलाज करने का एक सस्ता तरीका है. प्रारंभिक आपूर्ति बेहद सीमित होगी. मर्क की एक एंटीवायरल गोली को भी जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है.40 किलो वजन वाले युवा ले सकेंगे ये दवाफूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने फाइजर की दवा को 12 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए लेने की मंजूरी दी है. दवा लेने के लिए बच्चों का वजन कम से कम 88 पाउंड (40 किलोग्राम) होना चाहिए. फाइजर का कहना है कि वह यूके, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ अनुबंध के तहत अगले साल वैश्विक स्तर पर 80 मिलियन कोर्स तैयार कर रही है.FDA ने कंपनी के 2,250-रोगी परीक्षण के परिणामों पर यह मंजूरी दी. इसमें लक्षणों के तीन दिनों के भीतर दवा लेने वाले 1% से कम रोगियों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. 30-दिवसीय रिसर्च के अंत में किसी की मृत्यु नहीं हुई.