Vikrant Shekhawat : Apr 17, 2022, 11:41 AM
कोयला आपूर्ति को लेकर देश के कई राज्यों में संकट देखने को मिला है। इसे लेकर काफी राजनीति भी होती रही है। वहीं केंद्र सरकार ने शनिवार को जानकारी दी कि महाराष्ट्र को पिछले महीने की तुलना में इस महीने केंद्र से अधिक कोयला प्राप्त हुआ है। बिजली की मांग बढ़ने के साथ ही आपूर्ति भी बढ़ी है। वहीं भाजपा शासित उत्तरप्रदेश में बिजली संकट गहराने के आसार हैं। एआईपीईएफ ने सरकार को चेताया है कि 2021 जैसी गलती न दोहराई जाए। महाराष्ट्र में कोयले का कोई गंभीर संकट नहींमहाराष्ट्र को लेकर कोयला मंत्रालय ने कहा कि गैस आधारित उत्पादन और पनबिजली से उत्पादन के मसले हो सकते हैं लेकिन कोयले का कोई गंभीर संकट नहीं है। मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पिछले महीने महाराष्ट्र के बिजली संयंत्रों में 2.14 लाख टन कोयला हर दिन दिया गया। इसे इस महीने (11 अप्रैल तक) बढ़ाकर 2.76 लाख टन प्रतिदिन किया गया है। एक दिन पहले ही महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया था कि प्रदेश में बिजली का संकट केंद्र की ओर से कोयले की कम आपूर्ति के कारण पैदा हुआ है। मंत्रालय ने कहा, जैसा की आप देख सकते हैं महाराष्ट्र को पिछले महीने के मुकाबले अप्रैल में रोजाना अधिक कोयला मिल रहा है। अब तक वे स्टॉक बढ़ाने के अलाव अपनी कोयले की आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं।कोयले का जरूरत का एक चौथाई स्टॉक ही बचा ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने सरकार से बिजलीघरों में जरूरत के मुताबिक कोयले का स्टॉक सुनिश्चित करने की मांग की है। फेडरेशन ने चेताया है कि सितंबर-अक्तूबर 2021 जैसी गलती न दोहराई जाए। एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने शनिवार को यहां कहा कि तापीय बिजलीघरों में कोयला स्टॉक कम होने से प्रदेश में भी बिजली संकट गहरा सकता है। प्रदेश में जरूरत की तुलना में एक चौथाई कोयले का स्टॉक ही बचा है। दुबे का कहना है कि प्रबंधन की अदूरदर्शिता के चलते विगत वर्ष सितंबर-अक्तूबर में मात्र कुछ करोड़ रुपये का भुगतान न होने से पारीछा बिजलीघर की इकाइयां बंद करनी पड़ीं थीं।