Vikrant Shekhawat : May 05, 2022, 09:38 AM
बारां। राजस्थान के कोटा संभाग के बारां (Baran) जिले में पुलिस का नया मानवीय अवतार देखने को मिला है। यहां के सारथल पुलिस थाने इलाके में ढाई माह की मासूम आदिवासी बच्ची को भीषण गर्मी में भूख प्यास से तड़पती देख थानाधिकारी से लेकर हर एक जवान चिंतित हो उठा। बच्ची की हालत को देखकर थाने की दो महिला कांस्टेबलों ने उसे अपना दूध पिलाकर मानवीयता (Humanity) की नई इबारत लिखी है। यह बच्ची नशे में धुत्त उसके पिता के पास जंगल में मिली थी। बच्ची को अब उसकी मां को सौंप दिया गया है। बच्ची की जान बचाने वाली महिला कांस्टेबलों के बारे में जिस किसी ने भी सुना वह उनकी प्रशंसा किये बिना नहीं रह सका।
थानाधिकारी महावीर किराड़ ने बताया कि ढाई माह की मासूम के लिए पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा मां बनकर बारी बारी से अपना दूध पिलाकर उसकी जान बचाई। 4 मई को दोपहर में सूचना मिली थी कि 30 वर्षीय एक शख्स नशे की हालत में थाना इलाके के बाबड़ के पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा है। उसके पास एक बच्ची है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। वहां जंगल में झाड़ियों में घुसा हुआ एक व्यक्ति मिला। वह नशे में धुत्त था। उसके पास गर्मी से बेहाल अचेत अवस्था में ढाई माह की बच्ची मिली। उसे महिला कांस्टेबल मुकलेश ने तुरंत सीने से चिपका लिया।दोनों महिला कांस्टेबल ने पिलाया बच्ची को अपना दूधनशे में धुत व्यक्ति को बच्ची सहित थाना लाया गया। वहां बच्ची की नाजुक हालत देखते हुये महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने उसे बारी-बारी से अपने आंचल में छिपाकर दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई। मुकलेश और पूजा के भी छोटे-छोटे बच्चे हैं। नशेड़ी व्यक्ति से पूछताछ में सामने आया कि वह उस बच्ची का पिता है। उसका नाम राधेश्याम काथोड़ी है। वह छीपाबड़ौद थाना इलाके के सालापूरा का रहने वाला है।मां के आने तक दोनों महिला कांस्टेबल ने की बच्ची की देखभालजांच में पता चला कि वह अपने सुसराल झालावाड़ जिले के कामखेड़ा इलाके के गांव बंधा से अलसुबह 4 से 5 बजे के करीब बच्ची को लेकर चुपचाप पैदल रवाना हो गया था। वह पैदल ही भूखी प्यासी बच्ची के साथ नशे की हालत में 15 किलोमीटर दूर सालापुरा जा रहा था। बाद में पुलिस ने बच्ची की मां को इसकी सूचना दी। तब तक कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बच्ची की पूरी देखभाल की। वहां दोनों बारी बारी से बच्ची को अपना दूध पिलाती रही।मासूम बच्ची के होठ सूखे हुये थेमहिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बताया की बच्ची की हालत देखकर साफ लग रहा था कि वह कई घंटों से भूखी है। उसके होठ सूखे हुये थे। इतनी छोटी बच्ची को ऊपर का कुछ नहीं दे सकते। हम दोनों के एक-एक साल के बच्चे हैं। इसलिये बिना देर किये हुए पहले पूजा ने और फिर मुकलेश ने बच्ची को अपना दूध पिलाया। बकौल मुकलेश और पूजा यह ईश्वर की कृपा है एक अनजान आदिवासी बच्ची ने हमारा दूध पिया है।
थानाधिकारी महावीर किराड़ ने बताया कि ढाई माह की मासूम के लिए पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा मां बनकर बारी बारी से अपना दूध पिलाकर उसकी जान बचाई। 4 मई को दोपहर में सूचना मिली थी कि 30 वर्षीय एक शख्स नशे की हालत में थाना इलाके के बाबड़ के पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा है। उसके पास एक बच्ची है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। वहां जंगल में झाड़ियों में घुसा हुआ एक व्यक्ति मिला। वह नशे में धुत्त था। उसके पास गर्मी से बेहाल अचेत अवस्था में ढाई माह की बच्ची मिली। उसे महिला कांस्टेबल मुकलेश ने तुरंत सीने से चिपका लिया।दोनों महिला कांस्टेबल ने पिलाया बच्ची को अपना दूधनशे में धुत व्यक्ति को बच्ची सहित थाना लाया गया। वहां बच्ची की नाजुक हालत देखते हुये महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने उसे बारी-बारी से अपने आंचल में छिपाकर दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई। मुकलेश और पूजा के भी छोटे-छोटे बच्चे हैं। नशेड़ी व्यक्ति से पूछताछ में सामने आया कि वह उस बच्ची का पिता है। उसका नाम राधेश्याम काथोड़ी है। वह छीपाबड़ौद थाना इलाके के सालापूरा का रहने वाला है।मां के आने तक दोनों महिला कांस्टेबल ने की बच्ची की देखभालजांच में पता चला कि वह अपने सुसराल झालावाड़ जिले के कामखेड़ा इलाके के गांव बंधा से अलसुबह 4 से 5 बजे के करीब बच्ची को लेकर चुपचाप पैदल रवाना हो गया था। वह पैदल ही भूखी प्यासी बच्ची के साथ नशे की हालत में 15 किलोमीटर दूर सालापुरा जा रहा था। बाद में पुलिस ने बच्ची की मां को इसकी सूचना दी। तब तक कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बच्ची की पूरी देखभाल की। वहां दोनों बारी बारी से बच्ची को अपना दूध पिलाती रही।मासूम बच्ची के होठ सूखे हुये थेमहिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बताया की बच्ची की हालत देखकर साफ लग रहा था कि वह कई घंटों से भूखी है। उसके होठ सूखे हुये थे। इतनी छोटी बच्ची को ऊपर का कुछ नहीं दे सकते। हम दोनों के एक-एक साल के बच्चे हैं। इसलिये बिना देर किये हुए पहले पूजा ने और फिर मुकलेश ने बच्ची को अपना दूध पिलाया। बकौल मुकलेश और पूजा यह ईश्वर की कृपा है एक अनजान आदिवासी बच्ची ने हमारा दूध पिया है।