Dainik Bhaskar : Sep 07, 2019, 08:02 AM
जोधपुर. देश में जो संकट चल रहा है, उसमें एक डर का माहौल है। पहले ‘स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया के बाद सीट डाउन इंडिया और अब शटअप इंडिया’। ऐसी परिस्थितियों में हम डरें नहीं, खुलकर बोले और साथ रहें। राजस्थान की कांग्रेस सरकार आपकी है। यहां की सरकार उदाहरण पेश करे। यहां सुरक्षा, सम्मान का मॉडल बनाए, जिससे कांग्रेस के लिए संजीवनी तैयार हो। कांग्रेस को दुबारा खड़ा करने के लिए राजस्थान सरकार को एक मॉडल के रूप में खड़ा होना चाहिए।
यह बात ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) के जोधपुर चैप्टर के ‘इंडिया इन क्राइसिस’ विषय पर हुए संवाद में ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शशि थरूर ने कही। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाग से संवाद के दौरान कहा कि देश में चल रहे आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक, सांस्कृतिक संकट के बारे में खुलकर विचार रखें। समारोह के दौरान एआईपीसी की प्रदेश अध्यक्ष रुक्समणि कुमारी, जोधपुर चैप्टर के अध्यक्ष दीपकसिंह गहलोत, पीसीसी महासचिव वैभव गहलोत ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़, शहर विधायक मनीषा पंवार, बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल, राजसिको के पूर्व अध्यक्ष सुनील परिहार सहित शहर के प्रोफेशनल्स मौजूद थे। इस दौरान थरूर ने चुनिन्दा श्रोताओं के प्रश्नों के जवाब भी दिए।मोदी को नहीं कोसो, वोटर की सोच बदलोडॉ. थरूर ने कहा कि मैं मोदी को कहीं कोस नहीं रहा हूं, उन्होंने गांवों में ट्रायलेट, स्वच्छता और गैस की अच्छी स्कीम शुरू की, लेकिन कुछ धरातल पर नहीं है। जिस पर हम हमेशा बात करते हैं। मोदी ने सभी में हिन्दुत्व और हिन्दुस्म की बात बैठा दी है। जिसके चलते यदि वह गलत भी कुछ कर रहे हैं तो बोलने से पहले सोचना पड़ता है। नहीं तो उसे एंटी गवर्नमेंट और एंटी नेशन कह दिया जाता है, लेकिन फिर भी बोलना जरूरी है।आर्थिक: बेरोजगारी 45% से ज्यादा हो गईथरूर के अनुसार देश में आर्थिक संकट का दौर शुरू हो गया। हमारी जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रह गई है। एक्सपोर्ट डंप हो रहा है तो बेरोजगारी दर 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े ही सामने नहीं आ रहे। फेक न्यूज बढ़ रही। इनके स्लोगन अच्छे हैं, योजना व परियोजनाएं का बड़ा नाम है। जैसे खुले में शौच मुक्त के लिए टॉयलेट बने, लेकिन 65 फीसदी में पानी नहीं तो उज्जवला योजना में पहला सिलेंडर लेने के बाद कई दूसरा बुक नहीं करवाते। इसके नाम पर जो झूठ बोला जा रहा है वह हमारे देश में संकट है। सामाजिक: 97% मॉब लिंचिंग गोरक्षा सेपिछले साढ़े पांच साल में हमारे सामाजिक मजबूती को नुकसान हुआ। जैसे वन नेशन, वन इलेक्शन, वन पीएम। इन सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ीं। जय श्रीराम के नारे लगाकर गोरक्षा के नाम पर भीड़ तंत्र बढ़ा, जिससे अलवर के पहलू खां जैसी स्टोरी सामने आ रही है। 97 फीसदी गोरक्षा के नाम पर ऐसी घटनाएं हुईं। राजस्थान पहला राज्य है, जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक्ट लाया गया। इसी तरह के कानून संसद में बनाने की जरूरत। इसकी बजाय सक्सेस फुल मार्केटिंग करते हुए सिर्फ 56 इंच का सीना दिखाने पर बात हो रही है। इस बारे में संसद में मुद्दा उठाएंगे। वैचारिक: देश में हिन्दी नेशनलिज्म बनाम हिंदू नेशनलिज्म हावी हुआदेश में अभी हिन्दी नेशनलिज्म बनाम हिंदू नेशनलिज्म हावी हो रही है। हिंदुत्व धर्म, सिद्धांत व आस्था से जुड़ा विषय है, लेकिन भाषा किसी पर थोपी नहीं जा सकती। देश में हिंदी में ही काम होगा तो सिर्फ उत्तर भारतीय के लिए अच्छा रहेगा, लेकिन दक्षिण वालों पर इसे जबरन नहीं थोपा जा सकता। ऐसे समझने के लिए में ग्लोबल अंग्रेजी भाषा की जरूरत रहती है। जैसे तमिलनाडु में हिंदी को नहीं अपनाने के कारण वहां अभी तक नवोदय स्कूल नहीं खुले। सोशल मीडिया पर एक ही तरह के विचार या झूठ थोपेंगे तो जिन्हें उनके बारे में नहीं पता है, वे इसे सच ही समझेंगे।
यह बात ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) के जोधपुर चैप्टर के ‘इंडिया इन क्राइसिस’ विषय पर हुए संवाद में ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शशि थरूर ने कही। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाग से संवाद के दौरान कहा कि देश में चल रहे आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक, सांस्कृतिक संकट के बारे में खुलकर विचार रखें। समारोह के दौरान एआईपीसी की प्रदेश अध्यक्ष रुक्समणि कुमारी, जोधपुर चैप्टर के अध्यक्ष दीपकसिंह गहलोत, पीसीसी महासचिव वैभव गहलोत ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़, शहर विधायक मनीषा पंवार, बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल, राजसिको के पूर्व अध्यक्ष सुनील परिहार सहित शहर के प्रोफेशनल्स मौजूद थे। इस दौरान थरूर ने चुनिन्दा श्रोताओं के प्रश्नों के जवाब भी दिए।मोदी को नहीं कोसो, वोटर की सोच बदलोडॉ. थरूर ने कहा कि मैं मोदी को कहीं कोस नहीं रहा हूं, उन्होंने गांवों में ट्रायलेट, स्वच्छता और गैस की अच्छी स्कीम शुरू की, लेकिन कुछ धरातल पर नहीं है। जिस पर हम हमेशा बात करते हैं। मोदी ने सभी में हिन्दुत्व और हिन्दुस्म की बात बैठा दी है। जिसके चलते यदि वह गलत भी कुछ कर रहे हैं तो बोलने से पहले सोचना पड़ता है। नहीं तो उसे एंटी गवर्नमेंट और एंटी नेशन कह दिया जाता है, लेकिन फिर भी बोलना जरूरी है।आर्थिक: बेरोजगारी 45% से ज्यादा हो गईथरूर के अनुसार देश में आर्थिक संकट का दौर शुरू हो गया। हमारी जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रह गई है। एक्सपोर्ट डंप हो रहा है तो बेरोजगारी दर 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े ही सामने नहीं आ रहे। फेक न्यूज बढ़ रही। इनके स्लोगन अच्छे हैं, योजना व परियोजनाएं का बड़ा नाम है। जैसे खुले में शौच मुक्त के लिए टॉयलेट बने, लेकिन 65 फीसदी में पानी नहीं तो उज्जवला योजना में पहला सिलेंडर लेने के बाद कई दूसरा बुक नहीं करवाते। इसके नाम पर जो झूठ बोला जा रहा है वह हमारे देश में संकट है। सामाजिक: 97% मॉब लिंचिंग गोरक्षा सेपिछले साढ़े पांच साल में हमारे सामाजिक मजबूती को नुकसान हुआ। जैसे वन नेशन, वन इलेक्शन, वन पीएम। इन सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ीं। जय श्रीराम के नारे लगाकर गोरक्षा के नाम पर भीड़ तंत्र बढ़ा, जिससे अलवर के पहलू खां जैसी स्टोरी सामने आ रही है। 97 फीसदी गोरक्षा के नाम पर ऐसी घटनाएं हुईं। राजस्थान पहला राज्य है, जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक्ट लाया गया। इसी तरह के कानून संसद में बनाने की जरूरत। इसकी बजाय सक्सेस फुल मार्केटिंग करते हुए सिर्फ 56 इंच का सीना दिखाने पर बात हो रही है। इस बारे में संसद में मुद्दा उठाएंगे। वैचारिक: देश में हिन्दी नेशनलिज्म बनाम हिंदू नेशनलिज्म हावी हुआदेश में अभी हिन्दी नेशनलिज्म बनाम हिंदू नेशनलिज्म हावी हो रही है। हिंदुत्व धर्म, सिद्धांत व आस्था से जुड़ा विषय है, लेकिन भाषा किसी पर थोपी नहीं जा सकती। देश में हिंदी में ही काम होगा तो सिर्फ उत्तर भारतीय के लिए अच्छा रहेगा, लेकिन दक्षिण वालों पर इसे जबरन नहीं थोपा जा सकता। ऐसे समझने के लिए में ग्लोबल अंग्रेजी भाषा की जरूरत रहती है। जैसे तमिलनाडु में हिंदी को नहीं अपनाने के कारण वहां अभी तक नवोदय स्कूल नहीं खुले। सोशल मीडिया पर एक ही तरह के विचार या झूठ थोपेंगे तो जिन्हें उनके बारे में नहीं पता है, वे इसे सच ही समझेंगे।