Vikrant Shekhawat : Nov 07, 2019, 02:55 PM
सिरोही | आमतौर पर बेटियों के दहेज की बलि चढ़ने के मामले भी खूब सामने आते रहते हैं, मगर इस मामले में राजस्थान का यह राजपूत परिवार मिसाल है। इस परिवार ने दहेज में मिले 31 लाख रुपए से भरा थाल लौटा दिया। हर किसी को दहेज प्रथा बंद करने का संदेश देने वाला यह समारोह राजस्थान के सिरोही जिले के गांव आमथला में हुआ।दहेज प्रथा को बंद करने की पहल खुद सेदूल्हे के पिता हनुमंत सिंह ने बताया कि बेटे बलवीर सिंह के टीका दस्तूरी में फलसुंड से संबंधी टीका लेकर गांव आमथला आए। टीके की रस्मों के दौरान उन्होंने बतौर दहेज 31 लाख रुपए देना चाहा तो मैंने व बेटे ने लेने से मना कर दिया, क्योंकि बेटियां अनमोल हैं। इनका मोल नहीं लगाया जा सकता है। आज ये 31 लाख दे रहे हैं। कल किसी को 51 लाख या एक करोड़ रुपए देने पड़ेंगे। इस प्रथा का कोई अंत नहीं है। बेटियां दो घरों को संवारने वाली होती हैं। इसलिए दहेज जैसी कुरीति को बंद करने की पहल हमें खुद से ही करनी होगी।दहेज प्रथा समेत शादियों में फिजूलखर्च को कम करने की पहलवर के पिता आमथला निवासी हडवंत सिंह देवड़ा ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि शादियों में वधु पक्ष को शादियों के दौरान दहेज के नाम पर मोटी रकम देनी पड़ती है। ऐेसे में शादियां काफी खर्चीली हो जाती है। इसके लिए उन्हें कई प्रकार की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। यह पहल इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें हमने सामाजिक परम्परा को भी निभाया है तथा समाज व परिवार के लिए अभिशाप बनी दहेज प्रभा के खिलाफ एक जागरुकता का संदेश दिया गया है। इसके लिए हरेक व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा। ऐसे में हरेक समाज में इस प्रकार की पहल होनी चाहिए। इससे परिवार व समाज मजबूत होगा। परम्पराओं के नाम पर जो कुरीतियां है उन्हें समाप्त करना हम सबकी जिम्मेदारी है।31 लाख लौटाकर सिर्फ 11 सौ लिएदूल्हे के पिता हनुमंत सिंह के अनुसार दहेज प्रथा के मामले में राजपूतों की भूमिका अग्रणी रही है। वे और उनकी बेटी सोनू शुरू से ही दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। बेटी ने ही यह सुझाव दिया था कि भाई की शादी में दहेज के रूप कोई रुपया मत लेना। बेटी की बात मानते हुए ही आज टीके में मिले 31 लाख रुपए उन्होंने लौटा दिए और बतौर शगुन सिर्फ 11 सौ लिए हैं। बता दें कि दूल्हा अहमदाबाद से होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा है।