इंडिया / चंद्रयान 2: इसरो के 16500 कर्मचारियों ने मिलकर किया काम, बढ़ाया देश का मान

चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। इस प्रोजेक्ट के लिए 16500 कर्मचारियों ने मिलकर दिन-रात काम किया। चांद के एकदम करीब तक पहुंचा गया उससे दुनिया में भारत की तो साख बड़ी साथ-साथ इसरो ने एकबार फिर अपनी छाप छोड़ी है। इनमें वैज्ञानिकों की टीम ने देश का अभिमान बढ़ाया। इस टीम में महिला, पुरुष वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

Jansatta : Sep 07, 2019, 08:52 PM
Chandrayaan 2: चंद्रयान-2 की सफल लैंडिंग के जरिए भारत इतिहास रचने के बेहद करीब था लेकन ‘विक्रम’ के साथ जमीनी संपर्क टूटने के बाद ऐसा न हो सका। लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। करीब 978 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट ने भारत का नाम स्पेस टेक्नॉलजी में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। बेशक यह मिशन उतना अब तक उतना सफल नहीं रहा जितने की उम्मीद की जा रही थी।

इस सब के बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) की जमकर सराहना हो रही है। इसरो ने बीते 10 साल में जिस तरह से इस प्रोजेक्ट पर काम किया और चांद के एकदम करीब तक पहुंचा गया उससे दुनिया में भारत की तो साख बड़ी साथ-साथ इसरो ने एकबार फिर अपनी छाप छोड़ी है। इस प्रोजेक्ट के लिए 16500 कर्मचारियों ने मिलकर दिन-रात काम किया। इनमें वैज्ञानिकों की टीम ने देश का अभिमान बढ़ाया। इस टीम में महिला, पुरुष वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

इतने महत्वाकांक्षी मिशन के पीछे इसरो चीफ के. सिवान के अलावा दो महिलाएं अहम रोल में थीं मुथैया वनिता प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर, तो ऋतु कारिधाल मिशन डायरेक्टर के तौर पर इस प्रोजेक्ट की रीढ़ रहीं। अभियान को अंतिम पड़ाव तक पहुचाने वालों में और भी कई नाम हैं जिनमें डॉक्टर एस सोमनाथ जो कि एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं जिन्होंने क्रायोजेनिक इंजन की खामियों को सुधारा। वैज्ञानिक डॉ वी नारायण जो क्रायोजेनिक इंजिन फैसिलिटी के चीफ थे। मिशन डायरेक्टर के रूप में जे जयाप्रकाश और व्हीकल डायरेक्टर रघुनाथ पिल्लै थे। दोनों ही रॉकेट स्पेसलिस्ट हैं।

अनिल भारद्वाज (52) ने भी इस मिशन में अहम भूमिका निभाई। वह गुजरात की अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबरटरीलैबोरिटी के डायरेक्टर हैं। मिशन मंगलयान में भी इनका अहम योगदान था। इनके अलावा कई अन्य कर्मचारियों ने भी अपना योगदान दिया। जिसमें डिजाइनिंग से लेकर कम्पयूटर से जुड़े काम शामिल हैं। इन लोगों ने कई घंटों कम्प्यूटर पर काम किया और अपना अहम योगदान देकर देश का अभिमान बढ़ाया।