Vikrant Shekhawat : Dec 23, 2022, 01:22 PM
New Dalai Lama: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने को लेकर किए गए चीनी दावे का भारत में पुरजोर विरोध हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय बौद्ध संगठनों ने कहा है कि 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) की नियुक्ति में चीन (China) का हस्तक्षेप हमें स्वीकार नहीं है. चीनी दावे के खिलाफ भारत के कई शहरों में बौद्ध संगठन विरोध कर रहे हैं. बौद्ध संगठनों का कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी (Dalai Lama Successor) चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा के पास ही है.चीन क्यों कर रहा है दावा?तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने को लेकर चीन ने दावा किया था कि 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) के अगले उत्तराधिकारी को चुनने का एकमात्र अधिकार बीजिंग के पास है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार अगले दलाई लामा के चयन अधिकार को लेकर किए गए इस दावे पर अडिग है और किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं दिख रही है. दरअसल, चीन तिब्बत को अपने देश का हिस्सा बताता है. वहीं, दलाई लामा आजाद तिब्बत की मुहिम चलाते हैं. इस स्थिति में अगर चीन अगला दलाई लामा नहीं चुन पाता है, तो तिब्बत पर उसका दावा कमजोर हो जाएगा.बौद्ध संगठनों का क्या है कहना?लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला तक के भारतीय बौद्ध संगठन चीनी हस्तक्षेप की कोशिश के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं. चीन की इस मनमानी के खिलाफ बौद्ध संगठनों ने एक प्रस्ताव भी पारित किया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी सिर्फ दलाई लामा ही चुन सकते हैं. दरअसल, चीन की ओर से किया जा रहा दावा अमेरिकी-तिब्बत नीति के खिलाफ है. इस नीति के अनुसार, दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार तिब्बतियों के पास ही रहेगा.ना तिब्बत, ना चीन, आखिर कहां जन्म लेंगे अगले दलाई लामा? तिब्बत के दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो को दो साल की उम्र में उत्तराधिकारी चुना गया था. तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे बौद्धों का कहना है कि तेनजिन ग्यात्सो ही अपना उत्तराधिकारी चुनेंगे. बौद्ध संगठनों के मुताबिक, दलाई लामा साफ कर चुके हैं कि उनका अगला जन्म ना तिब्बत में होगा, ना ही चीन में. उनका उत्तराधिकारी इन दोनों देशों की सीमाओं से बाहर जन्म लेगा. अगर चीन की ओर से कोई दूसरा दलाई लामा खड़ा करने की कोशिश की जाएगी, तो हम उस फैसले को नहीं मानेंगे. बौद्धों ने भारत सरकार को फिंगर एरिया और लद्दाख में बकरी चरवाहों को आगे तक जाने देने की मांग भी की.