देश / आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण सिगरेट पीने से ज़्यादा नुकसान पहुंचा रहा है: एम्स प्रमुख

बढ़ते प्रदूषण के बीच एम्स प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीय आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के संपर्क में आने से तंबाकू या धूम्रपान की तुलना में अधिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, "अध्ययनों से पता चलता है कि...दिल्लीवासियों की औसत आयु कम हो गई है...डेटा को मान्य किया जाना बाकी है।"

Vikrant Shekhawat : Nov 07, 2021, 08:14 AM
Delhi Pollution अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में अधिकांश स्थानों पर हवा की गुणवत्ता ‘खतरनाक श्रेणी’ में रहने के बाद कहा कि प्रदूषित हवा सिगरेट के धुएं से ज्यादा हानिकारक है और उच्च प्रदूषण के स्तर के कारण दिल्ली के निवासियों का जीवनकाल भी काफी कम हो गया है. एम्स प्रमुख ने आगाह किया कि दिवाली के बाद फैले वायु प्रदूषण से कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि इससे कि पड़ोसी शहर भी प्रभावित हुए हैं.

इंडिया टुडे से बात करते हुए, डॉ गुलेरिया ने कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि दिल्ली के निवासियों की जीवन प्रत्याशा (life expectancy) काफी कम हो गई है. उन्होंने यह भी कहा कि डेटा को वैलिडेट किया जाना बाकी है लेकिन प्रदूषण निश्चित रूप से जीवनकाल को कम करता है. दरअसल, दिल्ली वालों के फेफड़े काले हो गए हैं.

दिल्ली में प्रदूषण में पीछे दिवाली में जलाए गए पटाखों को भी एक कारण माना जाता है. इस पर गुलेरिया ने कहा, “गंगा के पास मैदानी इलाकों में प्रदूषण बहुत अधिक है. दिवाली पर पटाखे जलाने से भी वायु प्रदूषण में अप्रत्याशित प्रदूषण फैल रहा है. त्योहारों के दौरान वाहनों की आवाजाही बढ़ जाती है, जिससे प्रदूषण होता है.

एम्स निदेशक ने कहा कि प्रदूषित क्षेत्रों में कोविड की गंभीरता काफी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा, “मरीजों के फेफड़ों में अधिक सूजन हो जाती है. जिससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है.

वहीं, दिल्ली की हवा लोगों के गले में खराश, आंखों में जलन, सांस में तकलीफ दो रही है. खासकर बुजुर्ग, छोटे बच्चे और हाल ही में कोरोना से ठीक हुए गंभीर मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को बताया कि हर साल दिवाली और सर्दियों के समय उत्तरी भारत में पराली जलाने, पटाखों, दूसरी वजहों से दिल्ली और पूरे इंडो गैंजेटिक बेल्ट में स्मॉग होता है और कई दिनों तक विजिबिलिटी बहुत खराब रहती है. इसका सांस के स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है.”

बता दें कि दिल्ली में वर्ष 2020 में दिवाली के अगले दिन 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 435 था जबकि 2019 में 368, 2018 में 390, 2017 में 403 और 2016 में 445 रहा था. इस साल दिवाली के दिन एक्यूआई 382 दर्ज किया गया जोकि वर्ष 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 रहा था.