देश / ज़मानत याचिका पर सुनवाई नहीं करना आरोपी के अधिकार का हनन है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी भी आरोपी के पास ज़मानत याचिका पर सुनवाई का अधिकार है और सुनवाई न करना उसके अधिकार का हनन है। दरअसल, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में ज़मानत याचिका एक साल से लंबित होने के बीच एक आरोपी ने जल्दी सुनवाई की याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

Vikrant Shekhawat : Jun 17, 2021, 01:21 PM
नई दिल्ली: एक साल से ज्यादा समय से जमानत की याचिका का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियमित जमानत संबंधी याचिका के सूचीबद्ध नहीं होने से हिरासत में बंद व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। न्यायालय ने इसके साथ ही जोर दिया कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के बीच कम से कम आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे लोगों की सुनवाई हो सके। कोर्ट ने कहा कि जमानत से इनकार करना स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। 

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर एक जमानत याचिका के एक साल से भी अधिक समय तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किए जाने पर “हैरत” जताते हुए कहा कि सुनवाई से इनकार करना किसी आरोपी के अधिकार और स्वतंत्रता का हनन है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस महामारी के दौरान भी, जब सभी अदालतें सभी मामलों की सुनवाई करने और फैसला करने का प्रयास कर रही हैं, जमानत के लिए इस प्रकार के किसी आवेदन के सूचीबद्ध नहीं होने से न्याय मुहैया कराने का मकसद नाकाम होता है।

पीठ ने मंगलवार को पारित अपने आदेश में कहा, “मौजूदा महामारी के बीच, कम से कम आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे व्यक्ति की सुनवाई हो सके।” उच्चतम न्यायालय उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पिछले साल 28 फरवरी से लंबित एक जमानत याचिका पर सुनवाई के अनुरोध को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

पीठ ने कहा, 'आम तौर पर, हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित किसी अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, लेकिन हम यह आदेश पारित करने के लिए विवश हैं क्योंकि हम यह देखकर हैरान हैं कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका को एक वर्ष से अधिक समय बाद भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा है।'