मर्जी के भाव / किन कारणों ने ग्वारगम के भावों को रॉकेट जैसी रफ्तार दे दी, दो दिन चर्चा में रहने के बाद माहौल ठंडा भी पड़ गया

9 साल बाद मंगल व बुध को ग्वार के भाव नई ऊंचाई 9180 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। गुरुवार का दिन ग्वार के लिए अच्छा नहीं रहा। एक ही दिन में प्रति क्विंटल पर ग्वार के दाम 2680 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए, यानी प्रति क्विंटल की अधिकतम बोली 6500 रुपए तक लगी। नागौर मंडी के व्यापारियों का कहना है कि मंडी में ग्वार की आवक नहीं हो रही है। इसके बावजूद भावाें में बंपर तेजी दर्शायी जा रही है।

Vikrant Shekhawat : Aug 27, 2021, 06:50 AM
9 साल बाद मंगल व बुध को ग्वार के भाव नई ऊंचाई 9180 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। गुरुवार का दिन ग्वार के लिए अच्छा नहीं रहा। एक ही दिन में प्रति क्विंटल पर ग्वार के दाम 2680 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए, यानी प्रति क्विंटल की अधिकतम बोली 6500 रुपए तक लगी। नागौर मंडी के व्यापारियों का कहना है कि मंडी में ग्वार की आवक नहीं हो रही है। इसके बावजूद भावाें में बंपर तेजी दर्शायी जा रही है।


छाेटे व्यापारियाें तथा किसानाें द्वारा दो दिन हुए ग्वार के साैदाें से भावों में तेजी से उछाल आया। कारोबारियों का कहना है कि ग्वार की कोई अंतरराष्ट्रीय मांग नहीं है। ना ही मंडियों में ग्वार की नई फसल की आवक शुरू हुई है। ऐसे में ग्वार के भावाें में दर्शायी जा रही तेजी काल्पनिक है।


इस कमोडिटी में दो ही दिन में इतने उतार-चढ़ाव के कारण जाने तो एक नहीं, बल्कि कई कारण सामने आए। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक तेजी में कमजोर मानसून, अभी फसल कमजोर व आगे भी पैदावार कम की आशंका, तेजड़ियों व स्टॉकिस्टों द्वारा भावों में उछाल लाना एवं किसानों द्वारा खरीद करना प्रमुख कारण रहे।


जानिए...किन कारणों ने ग्वारगम के भावों को रॉकेट जैसी रफ्तार दे दी, दो दिन चर्चा में रहने के बाद माहौल ठंडा भी पड़ गया


1. कमजोर मानसून व कम पैदावार की आशंका : इस बार कमजोर मानसून के चलते ग्वार पर भी असर पड़ा है। पश्चिमी जिलों में बुवाई बहुत कम हो पाई है। आगे भी फसल कम रह सकती है।

2. स्टॉकिस्टों व तेजड़ियों की भूमिका : बाजार विशेषज्ञों के अनुसार कई लाेगों ने ग्वारगम का स्टॉक कर रखा था। उन्होंने मुनाफावसूली के लिए बिक्री शुरू की, इसके साथ ही सटोरियों व तेजड़ियों की सक्रियता ने भाव उछाल दिए।

3. मंडियों में नीलामी में किसानों द्वारा खरीद


कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि ग्वार की आगे फसल कमजोर रहने के मद्देनजर बड़े किसानों ने मंडियों में जाकर ग्वार की नीलामी में खरीद भी की।


ग्वार उत्पादन की स्थिति : देश में हर साल 1.5 से दाे कराेड़ बाेरी तक ग्वार का उत्पादन हाेता है। इसमें से 60 से 70 लाख बाेरी ग्वार का उत्पादन प्रदेश में हाेता है। इस बार ग्वार की फसल कमजाेर हाेने के कारण 35 से 40 लाख बाेरी ही ग्वार उत्पादन हाेने की संभावना है।


2011 में इसलिए 35 हजार प्रति क्विंटल बिका था ग्वार


2011-12 में ग्वार अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण 35 हजार प्रति क्विंटल बिका। उस समय अमेरिका में तेल के कुएं खाेदे जा रहे थे तथा पेट्राे माइनिंग में ग्वार के उपयाेग के कारण मांग बढ़ी तथा भावाें में तेजी आई थी। मगर चीन ने पेट्राे माइनिंग में ग्वार के उपयाेग के विकल्प के रूप में केमिकल प्राेडक्ट तैयार कर लिया। इस कारण गिरावट आ गई।


>> ऑयल से फूड इंडस्ट्री तक में उपयोगी-ग्वार गम का प्रयोग फूड इंडस्ट्री के साथ ही मेडिकल, ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए होता है।

> फिर भाव गिरे क्यों ? एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्टाॅकिस्टाें ने माल उठाना शुरू किया तो भाव चढ़े, बाद में एकाएक खरीद बंद कर बेचने लगे, इससे रेट वापस नीचे आए।

> आगे भी तेजी संभव- ग्वारगम के कई स्टॉकिस्टों ने अब भी माल रोक रखा है। ऐसा माना जा रहा है कि भावों में फिर से तेजी आ सकती है।