Vikrant Shekhawat : Mar 30, 2021, 03:16 PM
म्यांमार में 'आर्म्ड फोर्सेज डे' कई प्रदर्शनकारियों के लिए भयावह साबित हुआ। पिछले महीने से ही सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सैंकड़ों लोगों को मारा गया है। म्यांमार नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, आर्म्ड फोर्सेड डे के दिन 50 शहरों और कस्बों में प्रोटेस्ट कर रहे 169 प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आर्म्ड फोर्सेज डे के मौके पर सेना की चेतावनी के बावजूद सड़कों पर कई प्रदर्शनकारियों उतरे थे। इन प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाने के बाद सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग और उनके जनरलों ने रात में भव्य पार्टी भी की
कई रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया है कि जब प्रदर्शनकारियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो सेना ने उसमें भी दखल देने की कोशिश की और सेना ने ओपन फायरिंग के साथ ही ग्रेनेड्स भी फेंके थे। हालांकि इस दौरान किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। वही सेना के हिंसक एक्शन के बावजूद म्यांमार में प्रदर्शनकारियों का विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला थमा नहीं है। म्यांमार में मारे जाने वाले लोगों में एक 20 साल की नर्स भी शामिल है जो रेस्क्यू टीम के साथ काम कर रही थी। इसके अलावा एक फुटबॉलर, डॉक्टर, महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट, एक बैंक कर्मचारी, हड़ताल पर चल रहा एक पुलिसवाला और एक टूर गाइड जैसे कई लोग हैं जिनके मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है। थिनजार हेन नाम की इस नर्स को सिर में गोली मारी गई थी। वो उस दौरान मोन्यवा शहर में बाकी घायल प्रदर्शनकारियों की मदद कर रही थीं। थिनजार की एक फुटेज भी वायरल हो रही है जिसमें वे मोन्यवा के लोगों के सामने स्पीच दे रही थीं और सरकारी कर्मचारियों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थीं।इसके अलावा 21 साल के पुलिस अफसर चीट लिन भी प्रोटेस्ट में शामिल थे। 4 मार्च को लिन को शूट टू किल के ऑर्डर मिले थे लेकिन लिन ने ये कहकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था कि इन प्रदर्शनों में उसका भाई भी शामिल हो सकता है। म्यांमार नाउ के साथ बातचीत में इस पुलिस अफसर ने कहा था कि 'मेरा भाई इन प्रदर्शनों में शामिल हो सकता है। इन लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैं बेगुनाहों पर गोलियां नहीं चला सकता हूं।' लिन नौकरी छोड़ने के बाद इन प्रदर्शनों में शामिल हुए थे और शनिवार को सेना के हिंसक एक्शन में उनकी भी मौत हो चुकी है। वीमेन फॉर जस्टिस राइट्स ग्रुप की सदस्य सेलिना को भी म्यांमार के कलाए क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान सेना ने छाती में गोली मारी थी। कई एक्टिविस्ट्स का कहना था कि सेलिना हमेशा से ही गैर-बराबरी और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही थीं और वे बेहद बहादुर महिला थीं। इसके अलावा मरने वालों में 11 साल की नन्ही लड़की भी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे शनिवार को हुए हमलों में मरने वाली सबसे कम उम्र की लड़की हैं। इस लड़की को उसके पसंदीदा खिलौनों और कलर बुक्स के साथ दफनाया गया है। बता दें कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद शनिवार यानि 27 मार्च का दिन प्रदर्शनकारियों के लिए सबसे अधिक हिंसक साबित हुआ है। इस साल फरवरी में शुरू हुए इन प्रदर्शनों के बाद से अब तक 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। म्यांमार में सेना के एक्शन को लेकर दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने इसे गिरावट का नया स्तर बताया है वही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने कहा है कि म्यांमार में हुई हिंसा से उन्हें गहरा सदमा लगा है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर सेना द्वारा की जा रही हत्याओं को सहन नहीं करेंगे। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इन हमलों को क्रूर बताया है। बता दें कि म्यांमार की आलोचना करने वाले देशों में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, लेकिन चीन और रूस, म्यांमार की आलोचना में शामिल नहीं हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना द्वारा किए गए हमले के बाद तीन हजार से अधिक लोग थाइलैंड भी भाग चुके हैं।
कई रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया है कि जब प्रदर्शनकारियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो सेना ने उसमें भी दखल देने की कोशिश की और सेना ने ओपन फायरिंग के साथ ही ग्रेनेड्स भी फेंके थे। हालांकि इस दौरान किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। वही सेना के हिंसक एक्शन के बावजूद म्यांमार में प्रदर्शनकारियों का विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला थमा नहीं है। म्यांमार में मारे जाने वाले लोगों में एक 20 साल की नर्स भी शामिल है जो रेस्क्यू टीम के साथ काम कर रही थी। इसके अलावा एक फुटबॉलर, डॉक्टर, महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट, एक बैंक कर्मचारी, हड़ताल पर चल रहा एक पुलिसवाला और एक टूर गाइड जैसे कई लोग हैं जिनके मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है। थिनजार हेन नाम की इस नर्स को सिर में गोली मारी गई थी। वो उस दौरान मोन्यवा शहर में बाकी घायल प्रदर्शनकारियों की मदद कर रही थीं। थिनजार की एक फुटेज भी वायरल हो रही है जिसमें वे मोन्यवा के लोगों के सामने स्पीच दे रही थीं और सरकारी कर्मचारियों को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थीं।इसके अलावा 21 साल के पुलिस अफसर चीट लिन भी प्रोटेस्ट में शामिल थे। 4 मार्च को लिन को शूट टू किल के ऑर्डर मिले थे लेकिन लिन ने ये कहकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था कि इन प्रदर्शनों में उसका भाई भी शामिल हो सकता है। म्यांमार नाउ के साथ बातचीत में इस पुलिस अफसर ने कहा था कि 'मेरा भाई इन प्रदर्शनों में शामिल हो सकता है। इन लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैं बेगुनाहों पर गोलियां नहीं चला सकता हूं।' लिन नौकरी छोड़ने के बाद इन प्रदर्शनों में शामिल हुए थे और शनिवार को सेना के हिंसक एक्शन में उनकी भी मौत हो चुकी है। वीमेन फॉर जस्टिस राइट्स ग्रुप की सदस्य सेलिना को भी म्यांमार के कलाए क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान सेना ने छाती में गोली मारी थी। कई एक्टिविस्ट्स का कहना था कि सेलिना हमेशा से ही गैर-बराबरी और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही थीं और वे बेहद बहादुर महिला थीं। इसके अलावा मरने वालों में 11 साल की नन्ही लड़की भी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे शनिवार को हुए हमलों में मरने वाली सबसे कम उम्र की लड़की हैं। इस लड़की को उसके पसंदीदा खिलौनों और कलर बुक्स के साथ दफनाया गया है। बता दें कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद शनिवार यानि 27 मार्च का दिन प्रदर्शनकारियों के लिए सबसे अधिक हिंसक साबित हुआ है। इस साल फरवरी में शुरू हुए इन प्रदर्शनों के बाद से अब तक 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। म्यांमार में सेना के एक्शन को लेकर दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने इसे गिरावट का नया स्तर बताया है वही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने कहा है कि म्यांमार में हुई हिंसा से उन्हें गहरा सदमा लगा है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर सेना द्वारा की जा रही हत्याओं को सहन नहीं करेंगे। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी इन हमलों को क्रूर बताया है। बता दें कि म्यांमार की आलोचना करने वाले देशों में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, लेकिन चीन और रूस, म्यांमार की आलोचना में शामिल नहीं हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना द्वारा किए गए हमले के बाद तीन हजार से अधिक लोग थाइलैंड भी भाग चुके हैं।