News18 : May 15, 2020, 10:36 AM
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश में अब तक 78 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हैं जबकि 2549 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए वैज्ञानिक और डॉक्टरों की टीम दिन रात एक कर कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने में जुटी हुई है। सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने के लिए पीएम-केयर्स फंड (PM Cares fund) से 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और स्टार्ट-अप्स के तहत भारत में 25 टीकों के विकास पर काम चल रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन की देखरेख में ही पीएम केयर्स फंड की राशि आवंटित की जाएगी। जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप ने बताया कि पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये कल ही जारी किए गए हैं। हम अगले कुछ दिनों के अंदर ही इसके उपयोग करने की रूपरेखा तैयार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनी स्वदेशी टीका बनाने की ओर अपना कदम रखेगी उसे ही इस फंड का लाभ मिल सकेगा।डॉक्टर रेणु स्वरूप ने बताया कि करीब 10 टीका परियोजानओं को डीबीटी-बीआईआरएसी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) संघ की ओर से मदद की जा रही है। हालांकि अभी तक ये तय नहीं किया जा सकता है कि ये परियोजनाएं पीएम केयर्स फंड के पैसे के लिए योग्य होंगी या नहीं। उन्होंने बताया कि अभी तक जितनी की परियोजनाओं पर काम चल रहा है उसे बीआईआरएसी की ओर से मदद दी जा रही है। इसलिए अभी यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि क्या इन परियोजनाओं को भी पीएम केयर्स फंड से मिली राशि का कुछ हिस्सा दिया जाएगा या नहीं।बता दें कि देश में 10 कंपनियों के अलावा भी कई शोध संस्थान हैं जो कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इन शोध संस्थाओं में की गई रिसर्च भी काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में इन संस्थानों को भी मौका दिया जा सकता है। अभी तक डीबीटी-बीआईआरएसी ने 70 परियोजनाओं को अपनी सहायता दी है।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन की देखरेख में ही पीएम केयर्स फंड की राशि आवंटित की जाएगी। जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप ने बताया कि पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये कल ही जारी किए गए हैं। हम अगले कुछ दिनों के अंदर ही इसके उपयोग करने की रूपरेखा तैयार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनी स्वदेशी टीका बनाने की ओर अपना कदम रखेगी उसे ही इस फंड का लाभ मिल सकेगा।डॉक्टर रेणु स्वरूप ने बताया कि करीब 10 टीका परियोजानओं को डीबीटी-बीआईआरएसी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) संघ की ओर से मदद की जा रही है। हालांकि अभी तक ये तय नहीं किया जा सकता है कि ये परियोजनाएं पीएम केयर्स फंड के पैसे के लिए योग्य होंगी या नहीं। उन्होंने बताया कि अभी तक जितनी की परियोजनाओं पर काम चल रहा है उसे बीआईआरएसी की ओर से मदद दी जा रही है। इसलिए अभी यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि क्या इन परियोजनाओं को भी पीएम केयर्स फंड से मिली राशि का कुछ हिस्सा दिया जाएगा या नहीं।बता दें कि देश में 10 कंपनियों के अलावा भी कई शोध संस्थान हैं जो कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इन शोध संस्थाओं में की गई रिसर्च भी काफी महत्वपूर्ण है ऐसे में इन संस्थानों को भी मौका दिया जा सकता है। अभी तक डीबीटी-बीआईआरएसी ने 70 परियोजनाओं को अपनी सहायता दी है।