देश / प्रेस की आज़ादी के दुरुपयोग को रोकने के लिए हैं नए आईटी नियम: एचसी से केंद्र

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम प्रेस की आज़ादी के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाए गए हैं। बकौल केंद्र, नए नियम उपभोक्ताओं को डिजिटल मीडिया स्पेस में फेक न्यूज़ से बचाने का माध्यम हैं। केंद्र के अनुसार, नियामकीय कार्रवाई के अभाव में डिजिटल मीडिया ने फेक न्यूज़ फैलाई है।

Vikrant Shekhawat : Sep 01, 2021, 12:53 PM
नई दिल्ली: नये सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह जरूरी है। सरकार ने नये आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करते हुए कहा कि यह नियम लोगों को डिजिटल मीडिया स्पेस में झूठी खबरों की बाढ़ से बचाने का माध्यम है। हालांकि, सरकार ने अपने हलफनामे में प्रेस की स्वतंत्रता सहित भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

सरकार ने न्यायालय को बताया कि नागरिकों को निष्क्रिय उपभोक्ताओं के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह जानकारी देते हुए सरकार ने कोर्ट को बताया कि डिजिटल मीडिया पोर्टल की झूठी और तथ्यहीन सूचनाओं व खबरों के चलते पीछे कई घटनाएं हुई हैं, जिससे सार्वजनिक कानून व्यवस्था में गड़बड़ी हुई। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में जोर देकर कहा है कि डिजिटल मीडिया सनसनीखेज सामग्री को एक अलग संदर्भ में बार-बार प्रसारित करने की अनुमति देता है, जिससे पाठकों व दर्शकों द्वारा इसकी गलत व्याख्या की जाती है। साथ ही कहा कि इसके फर्जी समाचार के रूप में इस्तेमाल किए जाने की आशंका है। केंद्र सरकार ने कई डिजिटल मीडिया संस्थानों द्वारा नये आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में यह जवाब दाखिल किया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, द वायर, क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और प्रावदा मीडिया फाउंडेशन की याचिकाओं पर नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा था।

याचिकाओं में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है क्योंकि वे डिजिटल मीडिया के हिस्से के रूप में समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री के प्रकाशकों पर लागू होते हैं। और परिणामस्वरूप विनियमित करते हैं इन संस्थाओं को सरकारी निगरानी और एक आचार संहिता लागू करके नियमों के तहत अच्छा स्वाद, शालीनता और अर्ध-सत्य के निषेध जैसी अस्पष्ट शर्तों को निर्धारित करता है। दलीलों ने आईटी नियमों के विशिष्ट हिस्से को इस आधार पर रद्द करने की मांग की कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 19 (1) (जी) का उल्लंघन करता है, जो मीडिया की स्वतंत्रता पर एक ठंडा प्रभाव पैदा करता है, का अनुच्छेद 14 एक अनुचित वर्गीकरण बनाकर और कार्यपालिका के अधिकारियों द्वारा देखे जाने वाले समानांतर न्यायिक तंत्र की स्थापना करके संविधान और आईटी अधिनियम के अल्ट्रा वायर्स है।

नये आईटी नियमों का डिजिटल सामग्री पर प्रभाव नहीं : सरकार

केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कहा है कि डिजिटल सामग्री पर नए आईटी नियमों का कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पड़ा है। सरकार ने न्यायालय को बताया कि 1,800 से अधिक डिजिटल मीडिया प्रकाशक है और इनमें से 97 फीसदी से अधिक समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री के प्रकाशक हैं। सरकार ने कहा है कि अधिकांश संस्थानों ने एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया है।