Corona vaccine / न घातक साइड इफेक्ट- न मौत से डर, सामने आया Sputnik V का लाजवाब रिपोर्ट कार्ड

कोरोना की भयंकर महामारी को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में तेजी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। कोविशील्ड, फाइजर-बायोएंडटेक, मॉडर्ना, सिनोवैक और कोवैक्सीन टॉप लीडिंग वैक्सीन हैं जिनके टीके दुनियाभर में लोगों को दिए जा रहे हैं। वहीं, अर्जेंटीना के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रशिया द्वारा डेवलप की गई Sputnik V को दुनिया की सबसे सुरक्षित वैक्सीन माना है।

Vikrant Shekhawat : Jun 26, 2021, 04:10 PM
Delhi: कोरोना की भयंकर महामारी को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में तेजी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। कोविशील्ड, फाइजर-बायोएंडटेक, मॉडर्ना, सिनोवैक और कोवैक्सीन टॉप लीडिंग वैक्सीन हैं जिनके टीके दुनियाभर में लोगों को दिए जा रहे हैं। वहीं, अर्जेंटीना के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रशिया द्वारा डेवलप की गई Sputnik V को दुनिया की सबसे सुरक्षित वैक्सीन माना है।

अर्जेंटीना के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक शोध में रशियन मेड वैक्सीन Sputnik V को सबसे सुरक्षित वैक्सीन बताया है, जिसका इस्तेमाल देश की राजधानी ब्यूनस एयर्स में भी किया गया है। अर्जेंटीना सरकार द्वारा की गई इस प्रशंसा को Sputnik V के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया गया है।


Sputnik V के ट्विटर हैंडल पर शेयर किए गए इस ट्वीट में लिखा है, 'अर्जेंटीना में लगाई जा रही तमाम वैक्सीन्स में से स्पुतनिक सबसे ज्यादा सुरक्षित है। ब्यूनस एयर्स में Sputnik V के वैक्सीनेशन से अभी तक मौत का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है।'

स्टडी के आधार पर यह भी बताया गया कि Sputnik V लगाने के बाद लोगों में केवल मामूली साइड इफेक्ट्स ही नजर आए हैं। इसके पोस्ट वैक्सीनेश में बुखार, सिरदर्द और इंजेक्शन लगने वाली जगह पर हल्का दर्द होने की शिकायत ही दर्ज की गई है।

ब्यूनस एयर्स प्रांत में हुए इस शोध के मुताबिक, Sputnik V लगने के बाद करीब 47 फीसद लोगों को बुखार की समस्या हुई। जबकि 45 फीसद लोगों ने सिरदर्द से जुड़ी परेशानी को महसूस किया। इसके अलावा 39।5 प्रतिशतक लोगों को मांसपेशियां और जोड़ों में दर्द की भी दिक्कत हुई। इंजेक्शन साइट पर 46।5 प्रतिशत लोगों ने दर्द होने की बात कबूली और 7।4 फीसद लोगों यहां सूजन के बारे में बताया।

स्पुतनिक V समेत चीन की सिनोफार्म और एस्ट्रेजेनेका की कोविशील्ड की मदद से रशिया में अब तक करीब 28 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट किया जा चुका है। स्पुतनिक V लेने वाले सिर्फ 0।7 फीसद लोगों ने ही गंभीर साइड इफेक्ट होने की शिकायत दर्ज कराई है। जबकि चीनी वैक्सीन सिनोफार्म लेने वाले 0।8 लोगों ने गंभीर साइड इफेक्ट महसूस किए। हालांकि कोविशील्ड लेने वाले 3।2 फीसद लोगों ने इसे स्वीकारा है।

ESAVI की प्रत्येक जांच को यहां विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (PAHO) द्वारा स्थापित श्रेणियों की एक श्रृंखला के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। WHO के अंतरिम निरीक्षण में भी वैक्सीन के प्रोडक्शन, क्वालिटी, क्लीनिकल स्टडीज या गंभीर साइट इफेक्ट्स को लेकर भी अब तक कोई साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।

रूस के गामलेया नेशनल सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी, द्वारा विकसित कोरोना वायरस के खिलाफ स्पुतनिक वी उन पंजीकृत वैक्सीन में से एक है जिन्हें विश्व स्तर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी शुरुआती दौर में ही मिल गई थी। Sputnik V एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जो एंटीबॉडी के उत्पादन को ट्रिगर करके काम करती है। इसलिए इसके परिणाम स्वरूप शरीर में इन्फ्लेमेशन समेत हल्के-फुल्के साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं।

स्पुतनिक-V ब्रिटेन में विकसित हुई ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और बेल्जियम में बनी जैनसेन वैक्सीन की तरह ही काम करती है। ये बीमारी का जोखिम बढ़ाए बिना शरीर को वायरस के जेनेटिक कोड के खतरे की पहचान कराती है और उसे लड़ना सिखाती है। वैक्सीनेट होने के बाद शरीर विशेष रूप से कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी प्रोड्यूस करना शुरू कर देता है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर आसानी से रखा जा सकता है, जो इसके स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट को आसान बनाता है।

दूसरे वैक्सीन के विपरीत स्पुतनिक-V पहले और दूसरे डोज के लिए वैक्सीन के दो अलग-अलग वर्जन का इस्तेमाल करता है। ये दोनों ही कोरोना वायरस के विशिष्ट 'स्पाइक' को टारगेट करते हैं। लेकिन बॉडी में स्पाइक को पहुंचाने वाले वायरस को बेअसर करने के लिए अलग वेक्टर्स का इस्तेमाल करते हैं।

फरवरी 2021 में प्रकाशित एक लैंसेट अध्ययन के मुताबिक भी ये वैक्सीन लगने के बाद थकान, सिरदर्द, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या फिर फ्लू जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। पर अभी तक इसका कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है। कुछ मेडिकल स्टडीज के अनुसार, लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर, हेमरेज स्ट्रोक और थ्रोम्बोसिस से जूझ रहे लोगों में थोड़ी बहुत समस्याएं देखने को मिली हैं, लेकिन इसका संबंध वैक्सीन से नहीं पाया गया है।