विश्व / पाकिस्तान सुपरबग टाइफाइड का टीका विकसित करने वाला पहला देश बना

पाकिस्तान में नवंबर 2016 में टायफाइड ने 11 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया था, पाकिस्तान में 2017 में टायफाइड के 63% मरीज 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। पाकिस्तान ने इस बीमारी का टीका विकसित करने में सफलता हासिल की हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी घोषणा कर दी है।

Vikrant Shekhawat : Nov 16, 2019, 06:22 PM
इस्लामाबाद | दुनियाभर में आतंकवाद के लिए बदनाम पाकिस्तान टायफाइड का नया टीका विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इसे टायफाइड कॉन्जूगेट वैक्सीन (टीसीवी) नाम दिया गया है। यह टायफाइड के एक प्रकार- एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंस ड्रग (एक्सडीआर) में प्रभावी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, सिंध में यह बीमारी जानलेवा बनी हुई है। वहां यह टीका काफी मददगार होगा।

भारत में भी बन चुका टायफाइड का टीका

भारत में भी टसापबार टीसीवी नाम से टायफाइड का टीका बनाया जा चुका है। पिछले साल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे मान्यता दी थी। इसे भारत बायाटेक कंपनी ने विकसित किया है। टीसीवी की प्रतिरोधक क्षमता अन्य टीकों से अधिक है और इसमें कम डोज देने पड़ते हैं।

नवंबर 2016 में देश में दवा प्रतिरोधी टायफाइड बुखार ने 11 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया था। इसका सबसे ज्यादा प्रकोप सिंध प्रांत में था। यह सल्मोनेला टायफी बैक्टीरिया की वजह से होता है। विशेषज्ञों ने इसे ‘सुपरबग’ नाम दिया। इससे पीड़ित 100 में से औसतन 20 मरीजों की मौत हो रही थी। यही कारण था कि सरकार ने इसका समाधान खोजने के प्रयास शुरू किए।

टायफाइड से मरने वालों की उम्र 15 साल से कम

2017 में टायफाइड के 63% केस और इससे हुईं 70% मौतों के मामले में 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। इस टीके को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 में मान्यता दी थी। फिलहाल सिंध के शहरी क्षेत्रों में प्रतिरक्षण कैंपेन के तहत इस टीके का उपयोग किया जाएगा। इससे पहले कराची में हुए कार्यक्रम में इस टीके को प्रदर्शित किया गया।

क्यों और कहां फैलती है टाइफाइड बीमारी?

टायफाइड बीमारी गंदे पानी, बिना धुली सब्जियों के इस्तेमाल और साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने की वजह से फैलती है। यह भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहने वालों के बीच जल्दी फैलती है। सिंध प्रांत में फैलने वाले टायफाइड में कोई दवा असर नहीं करती थी। इसलिए खोजकर्ताओं ने इस टायफाइड को एक्सटेंसिव करार दिया। फिर इसके इलाज के लिए टीका खोजा गया।