AajTak : Jun 19, 2020, 10:36 PM
नई दिल्ली | भारत ने सीमा पर जारी तनातनी और हिंसक झड़प के बाद चीन को घेरने की तैयारी तेज कर दी है। सैन्य और राजनीतिक मोर्चे दोनों पर हलचल तेज है। सैन्य मोर्चे पर सेना पूरी तरह तैयार है, तो राजनीतिक मोर्चे पर सरकार भी अलर्ट है। चीन के साथ तनाव को लेकर प्रधानमंत्री मोदी सर्वदलीय बैठक कर रहे हैं। इस बैठक की शुरुआत में चीन सीमा पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई।इस बैठक में सोनिया गांधी, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, मायावती, नवीन पटनायक, उद्धव ठाकरे, शरद पवार समेत कुल 20 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल रहे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय बैठक में शामिल विपक्षी नेताओं को गलवान में सेना की तैनाती के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीमा पर सेना पूरी तरह से मुस्तैद है।ममता ने कहा- देश की अखंडता के लिए सरकार के साथइस सर्वदलीय बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि देश की अखंडता के लिए पूरी तरह सरकार के साथ हैं। भारतीय सुरक्षा बलों के साथ एकजुटता दिखाते हुए उन्होंने सरकार से चीन के मामले पारदर्शिता की भी मांग की।मायावती बोलीं- यह राजनीति का समय नहीं, हम पीएम के साथबहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने विदेश मंत्रालय के डिटेल्ड प्रेजेंटेशन की तारीफ की। साथ ही जोर दिया कि चीन का मुकाबला करने के लिए व्यापार और निवेश के मोर्चे पर भी कदम उठाना चाहिए। मायावती ने यह भी कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं हैं और हम पीएम मोदी के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं। पीएम मोदी जो भी फैसला लेंगे, हम उसके साथ हैं।शरद पवार ने कहा- संवेदनशील मुद्दों का रखें ध्यानसर्वदलीय बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल दागे, तो एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि चीन सीमा पर सैनिक हथियार लेकर गए या नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के आधार पर तय होता है। हम सभी को संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखना चाहिए।चीनी घुसपैठ की जानकारी मिलते ही बुलानी चाहिए थी बैठकः सोनियासर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि जब 5 मई को लद्दाख समेत कई जगह चीनी घुसपैठ की जानकारी सामने आई, तो उसके तुरंत बाद ही सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी। राष्ट्र की अखंडता और रक्षा के लिए पूरा देश एक साथ खड़ा है। साथ ही सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करता है।उन्होंने कहा कि हम अब भी इस विवाद के कई अहम पहलुओं को लेकर अंधेरे में हैं। सोनिया गांधी ने सरकार से सवाल किया कि आखिर किस दिन लद्दाख में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की? सरकार को कब चीनी घुसपैठ का पता चला? खबरों की मानें तो घुसपैठ 5 मई को हुई, क्या यह सही है, या फिर घुसपैठ उसके बाद हुई?उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को नियमित रूप से अपने देश की सीमाओं की सैटेलाइट तस्वीरें नहीं मिलती हैं? क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने एलएसी के आसपास असामान्य गतिविधियों की जानकारी नहीं दी? क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने एलएसी पर चीनी घुसपैठ की जानकारी नहीं दी? क्या सेना की इंटेलिजेंस ने सरकार को LAC पर चीनी कब्जे और भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी के बारे में अलर्ट नहीं किया? क्या सरकार इसको खुफिया तंत्र की विफलता मानती है?कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- पीएम मोदी सभी जानकारी साझा करेंसोनिया गांधी ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि वो हमसे सभी जानकारी साझा करें और इस साल अप्रैल से लेकर अब तक के सारे हालात की जानकारी दें। उन्होंने सरकार से पूछा कि अब आगे का रास्ता क्या होगा? कांग्रेस पार्टी की ओर से हम यह भी जानना चाहेंगे कि चीनी सेना की वापसी के बारे में क्या कार्रवाई चल रही है? सरकार यह स्पष्ट आश्वासन दे कि पूरे सीमा क्षेत्र में पहले की स्थिति बहाल की जाएगी। चीन पहले की तरह एलएसी पर पुरानी स्थिति में अपनी सेना की वापसी करेगा।'सोनिया ने कहा- सेना के साथ सभी विपक्षी दल एकजुटसोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल हमारे सैनिकों के साथ पूरी तरह एकजुट हैं। हमारी सेनाएं सभी चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं, इसके लिए हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। देश के लोग सरकार से उम्मीद करते हैं कि वो पूरे देश और विपक्ष को विश्वास में लें और लगातार पूरे घटनाक्रम की जानकारी दें, तभी हम दुनिया के सामने अपनी एकजुटता ओर सहयोग सुनिश्चित कर सकेंगे।सर्वदलीय बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है। विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक का स्वागत किया है। देश के बड़े मुद्दों पर विपक्ष को भरोसे में लेने की लोकतांत्रिक परिपाटी रही है।