Vikrant Shekhawat : Jun 25, 2020, 08:57 PM
जयपुर | राजस्थान में कोरोना के नाम से पतंजलि की कोरोनिल बिकती दिखी तो बाबा रामदेव जेल में होगा। इस बयान के एक दिन बाद प्रदेश के आयुष तथा चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। मंत्री ने कोरोना जैसी महामारी की रोकथाम के लिए आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश भर में आमजन की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता) बढ़ाने के लिए 18 लाख से ज्यादा लोगों को काढ़ा वितरित किया जा चुका है और यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।आयुष मंत्री ने कहा कि आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में 13 मार्च से 24 जून तक 95 हजार से ज्यादा जगहों पर 18 लाख 84 हजार 41 लोगों को काढ़ा वितरित किया जा चुका है। इसके साथ ही 4 लाख 91 हजार से ज्यादा कोरोना ड्यूटी पर गए लोगों और उनके परिजनों को भी काढ़ा बांटा गया है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से हौम्योपैथी व यूनानी चिकित्सा पद्धति के द्वारा भी लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए इम्यूनिटी बूस्टर दिए जा रहे हैं। अब तक 1 लाख 35 हजार 632 लोगों को यूनानी जोसांदा व 93 हजार लोगों को कपूरधारा वटी भी बांटी गई हैं।
आयुष तथा चिकित्सा मंत्री ने कहा कि मई माह में आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में गिलोय रोपण अभियान ‘अमृता‘ भी चलाया गया, जिसके तहत 4 माह में 1.50 लाख गिलोय पौधे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, जो कि रोग प्रतिरोधात्मक क्षमताओं को बढ़ाने में कारगर है। इसे इम्यून बूस्टर तो कहा जा सकता है लेकिन इसे दवा मानना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश कोरोना की दवा के बनाने में लगे हुए हैं, जब तक आईसीएमआर किसी दवा को अनुमति नहीं देता तब तक उसे बाजार में उतारना जायज नहीं होगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ठीक है तो 14 दिनों में आइसोलेशन के बाद व्यक्ति स्वतः ही ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार 9 बिंदुओं के आधार पर ही क्लिनिकल ट्रायल कर सकता है।
उन्होंने कहा कि कई जगह मरीजों द्वारा चिकित्सकों के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायत आती है तो कुछेक मामलों में चिकित्सकों की भी लापरवाही दिखती है। ऎसी शिकायतें आने पर उन पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में दोनों तबकों को संतुलन में रहकर काम करना होगा तभी कोरोना जैसी महामारी को हराने में कामयाब हो सकेंगे।
आयुष तथा चिकित्सा मंत्री ने कहा कि मई माह में आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में गिलोय रोपण अभियान ‘अमृता‘ भी चलाया गया, जिसके तहत 4 माह में 1.50 लाख गिलोय पौधे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, जो कि रोग प्रतिरोधात्मक क्षमताओं को बढ़ाने में कारगर है। इसे इम्यून बूस्टर तो कहा जा सकता है लेकिन इसे दवा मानना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश कोरोना की दवा के बनाने में लगे हुए हैं, जब तक आईसीएमआर किसी दवा को अनुमति नहीं देता तब तक उसे बाजार में उतारना जायज नहीं होगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ठीक है तो 14 दिनों में आइसोलेशन के बाद व्यक्ति स्वतः ही ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार 9 बिंदुओं के आधार पर ही क्लिनिकल ट्रायल कर सकता है।
उन्होंने कहा कि कई जगह मरीजों द्वारा चिकित्सकों के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायत आती है तो कुछेक मामलों में चिकित्सकों की भी लापरवाही दिखती है। ऎसी शिकायतें आने पर उन पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में दोनों तबकों को संतुलन में रहकर काम करना होगा तभी कोरोना जैसी महामारी को हराने में कामयाब हो सकेंगे।