देश / भारत में बच्चों की इम्यूनिटी मज़बूत, स्कूल दोबारा खोले जाने चाहिए: एम्स के निदेशक

एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत के उन ज़िलों में जहां कोविड-19 संक्रमण दर 5% से कम है वहां दोबारा स्कूल खोले जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे में सामने आया है कि बच्चों के पास वयस्कों से ज़्यादा ऐंटीबॉडीज़ हैं। बकौल गुलेरिया, बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा बहुत मायने रखती है।

Vikrant Shekhawat : Jul 20, 2021, 11:58 AM
नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में टीकाकरण हुआ लेकिन बच्चों को अभी भी टीके नहीं लगाए गए हैं। हालांकि तीसरी लहर में बच्चों के बीमार पड़ने की संभावना को लेकर कई खबरें आती रही हैं। इस बीच एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश को एक बार स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने इंडिया टुडे के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि मैं समझता हूं अब समय आ गया है जबकि हमें स्कूलों को फिर से खोलने पर सहमत हो जाना चाहिए। गौरतलब है कि देश में अधिकांश स्कूल कोरोना की पहली लहर के वक्त से ही बंद हैं।

'जहां मामले कम, वहां खुलें स्कूल'

बीते साल नवंबर से जनवरी के बीच में कुछ दिनों तक कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए कुछ दिनों तक स्कूल खोले गये थे , लेकिन फिर कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए स्कूलों को फिर से बंद कर दिया गया था। गुलेरिया ने कहा, "मैं उन जिलों में स्कूलों को खोलने की बात कर रहा हूं, जहां वायरस के मामले बहुत कम हुए हैं। गुलेरिया ने कहा, "5 प्रतिशत से कम पॉजिटिविटी रेट वाले स्थानों के लिए यह योजना बनाई जा सकती है।" हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर संक्रमण फैलने के संकेत मिलते हैं तो स्कूलों को तुरंत बंद किया जा सकता है। लेकिन जिलों को अलटरनेट डे में बच्चों को स्कूलों में लाने पर विचार करना चाहिए और फिर से खोलने के अन्य तरीकों की योजना बनानी चाहिए।

'बच्चों में अच्छी खासी इम्यूनिटी'

डॉ गुलेरिया ने आगे कहा कि स्कूल खुलने का कारण हमारे बच्चों के लिए सिर्फ एक सामान्य जीवन देना नहीं है, बल्कि एक बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का महत्व बहुत मायने रखता है। गुलेरिया ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ऑनलाइन क्लास से ज्यादा बच्चों का स्कूल जाना क्यों जरूरी है. उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से बहुत कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं. और जो बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं उनकी इम्युनिटी अच्छी होने की वजह से वो खुद को जल्द ठीक कर पाने में सक्षम हैं। सीरो सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों के पास एंटीबॉडीज वयस्क लोगों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है, इसलिए स्कूल खोले जाने चाहिए। इंटरनेट के जरिये पढ़ाई उतनी आसान नहीं है जितनी की स्कूलों में होती है।

बच्चों को टीका कब तक?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिए कोविड -19 टीके इस साल सितंबर तक भारत में उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए कोवैक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल के प्रारंभिक आंकड़े शानदार हैं। भारत बायोटेक बच्चों पर भारत के पहली स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण कर रहा है। गुलेरिया ने कहा कि यदि निर्माता द्वारा पेश किया गया टीका डीसीजीआई द्वारा स्वीकार किया जाता है, तो 2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकों की मंजूरी सितंबर तक आ जाएगी।