- भारत,
- 04-Mar-2025 10:28 AM IST
Yunus on India: बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद यूनुस, जो कभी भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी करने के लिए जाने जाते थे, अब भारत से रिश्ते बेहतर बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। शेख हसीना सरकार के जाने के बाद, यूनुस ने भारत का विकल्प तलाशने की हरसंभव कोशिश की। कभी वे पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करते दिखे, तो कभी चीन को बांग्लादेश का बड़ा भाई मानने लगे। लेकिन जल्द ही उन्हें यह एहसास हो गया कि भारत के बिना उनका और बांग्लादेश का भला संभव नहीं है।
भारत के साथ अच्छे संबंधों की अनिवार्यतासोमवार को मोहम्मद यूनुस ने स्पष्ट रूप से कहा कि बांग्लादेश के पास भारत के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे पर अत्यधिक निर्भर हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ दुष्प्रचार के कारण दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद उभरे हैं, लेकिन उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है।गलतफहमी दूर करने का प्रयासयूनुस ने इस दुष्प्रचार के स्रोत का खुलासा नहीं किया, लेकिन बीबीसी बांग्ला को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ किसी भी प्रकार की गलतफहमी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब 3-4 अप्रैल को थाईलैंड में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन आयोजित होने वाला है। बांग्लादेशी अधिकारी इस सम्मेलन के दौरान मोहम्मद यूनुस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक कराने की योजना बना रहे हैं।भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने पर जोरयूनुस ने जोर देकर कहा कि भारत-बांग्लादेश के संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं और भविष्य में भी बने रहेंगे। उन्होंने कहा, "हमारे संबंध ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से इतने घनिष्ठ हैं कि हमें एक-दूसरे के बिना नहीं सोचना चाहिए।" उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हाल के दिनों में कुछ विवाद जरूर बढ़े हैं, लेकिन उन्हें सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।मोदी से बातचीत और भविष्य की नीतियूनुस ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भारत को लेकर शेख हसीना की नीतियों का अनुसरण करते हैं या कोई नया मार्ग अपनाते हैं। शेख हसीना की नीतियों ने बांग्लादेश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया था, और अब यह यूनुस पर निर्भर करता है कि वे भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए कौन-सा रास्ता चुनते हैं।