Vikrant Shekhawat : Jan 08, 2024, 07:15 PM
Karanpur Election: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहली परीक्षा में फेल हो गए हैं. बीजेपी को करणपुर विधानसभा चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर ने बीजेपी उम्मीदवार व मंत्री सुरेंद्र सिंह टीटी को 12570 वोटों से हरा दिया है. बीजेपी ने करणपुर सीट पर जीत का परचम फहराने के लिए सुरेंद्र सिंह को विधायक बनने से पहले मंत्री बनाकर भजनलाल शर्मा कैबिनेट में शामिल कर लिया था, लेकिन वो काम नहीं आ सका. कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह को अपने पिता के निधन की सहानुभूति का लाभ मिला, जो बीजेपी के मंत्री दांव पर भारी पड़ गई.श्रीगंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे गुरमीत कुन्नर की मृत्यु के बाद इस सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था. चुनाव आयोग ने बाद में घोषणा की थी कि 5 जनवरी को करणपुर सीट मतदान होगा. कांग्रेस ने गुरमीत कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह कुन्नर को प्रत्याशी बनाया, तो बीजेपी ने अपने पहले वाले कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी पर ही भरोसा जताया. भजनलाल शर्मा के अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी और कैबिनेट का गठन हुआ तो पार्टी कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह टीटी को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाने का दांव चला ताकि चुनाव में सियासी लाभ पार्टी को मिल सके.कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह को मंत्री बनाए जाने पर उठाए थे सवालबीजेपी ने वोटिंग और चुनाव से पहले ही सुरेंद्र सिंह टीटी को मंत्री बनाने का दांव चला. कांग्रेस ने टीटी को मंत्री बनाए जाने की आलोचना की थी. पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘करणपुर में 5 जनवरी को होने वाले मतदान की आचार संहिता के प्रभावी होने के बावजूद वहां से बीजेपी प्रत्याशी को मंत्री बनाना आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन और वहां के मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास है.’ गहलोत ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस पर संज्ञान लेकर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने लिखा कि इस तरह के असंवैधानिक कदम उठाना लोकतंत्र में दुर्भाग्यपूर्ण है.कांग्रेस के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस मामले को निर्वाचन आयोग के सामने उठाया था. उन्होंने कहा था कि सुरेंद्र सिंह को मंत्री पद की शपथ दिलाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई है. बीजेपी न तो संविधान में विश्वास करती है, न ही चुनाव आयोग में. दरअसल, देश में यह पहला मामला था जब किसी उम्मीदवार को मतदान और चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बनाया गया हो.संविधान के मुताबिक, बिना विधानसभा सदस्य के मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, लेकिन छह महीने के अंदर विधानसभा या फिर विधान परिषद में से किसी सदस्य बनना जरूरी है. देश के छह राज्यों में विधान परिषद की भी व्यवस्था है. इसी के चलते बीजेपी ने राजस्थान की करणपुर सीट पर चुनाव लड़ रहे पार्टी उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह टीटी को भजनलाल शर्मा के सरकार में मंत्री बनाने का दांव चला ताकि सियासी लाभ चुनाव में मिल सके. मंत्री बनने के बाद सुरेंद्र पाल सिंह अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त थे.सुरेंद्र सिंह टीटी ने किया था जीत का दावासुरेंद्र सिंह टीटी ने कहा था कि श्रीकरणपुर के मतदाता बहुत समझदार हैं, मैं चुनाव जरूर जीतूंगा. साथ ही कहा था कि पार्टी ने मेरे माध्यम से सिख समाज को सम्मानित किया है. बीजेपी सभी 36 कौमों को साथ लेकर चलती है. इसमें हमारा समाज भी है. बीजेपी नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान भी यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सुरेंद्र सिंह टीटी जीतते हैं तो विधायक के साथ-साथ मंत्री रहेंगे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर सिर्फ विधायक ही रहेंगे. इसके बावजूद करणपुर के मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस के प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर की तरफ रहा.माना जाता है कि उन्हें पिता गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन की सहानुभूति का लाभ मिला. करणपुर सीट पर कांग्रेस की जीत ने पार्टी नेताओं को हौसले बुलंद कर दिए हैं और गोविंद सिंह डोटासरा से लेकर अशोक गहलोत तक ने रूपिंदर सिंह को जीत की बधाई दी और बीजेपी को टारगेट पर लिया.राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस प्रत्याशी को जीत की बधाई दी. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर को जीत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. यह जीत स्व. गुरमीत सिंह कुन्नर के जनसेवा कार्यों को समर्पित है. श्रीकरणपुर की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के अभिमान को हराया है.सुरेंद्र सिंह को छोड़ना होगा मंत्री पदमंत्री बनने के बाद से सुरेंद्र पाल सिंह के पास विधायक चुने जाने के लिए छह महीने का समय है. 15 दिसंबर को राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी और 30 दिसंबर को उन्होंने अपनी कैबिनेट का गठन का विस्तार किया. इस दौरान करणपुर सीट से चुनाव लड़ रहे सुरेंद्र सिंह टीटी को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. तब सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को भजनलाल सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए, लेकिन अब चुनाव हार जाने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. इसकी वजह यह है कि सुरेंद्र सिंह टीटी राजस्थान विधानसभा के वो सदस्य नहीं है और संविधान के मुताबिक छह महीने में विधायक बनना जरूरी है.राजस्थान में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है. इसके चलते उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. हालांकि, अगर मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो फिर उन्हें छह महीने के अंदर किसी अन्य सीट से विधायक बनना होगा, जिसकी फिलहाल कोई उम्मीद दिख नहीं रही.