Michel Barnier / फ्रांस में बर्नियर सरकार पर खतरा, पीएम को पद छोड़ना पड़ सकता है

फ्रांस की बार्नियर सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव के कारण संकट गहराता जा रहा है। विपक्ष ने बिना संसदीय अनुमोदन बजट उपायों पर नाराजगी जताते हुए प्रस्ताव पेश किया। नेशनल असेंबली में मतदान से सरकार का भविष्य तय होगा। यदि प्रस्ताव पास होता है, तो फ्रांस में यह 60 साल में पहली घटना होगी।

Michel Barnier: फ्रांस की बार्नियर सरकार पर भारी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। संसदीय अनुमोदन के बिना बजट उपाय लागू करने के कारण विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो माइकल बार्नियर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा, जिससे फ्रांस के राजनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा होगी।

संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

वामपंथी और दक्षिणपंथी सांसदों ने मिलकर बार्नियर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। नेशनल असेंबली में जल्द ही इस पर मतदान होगा।

  • नेशनल असेंबली में कुल 574 सांसद हैं।
  • प्रस्ताव को पास होने के लिए 288 वोटों की आवश्यकता है।
  • ऐसा माना जा रहा है कि विपक्ष के पास आवश्यक बहुमत है, जिससे बार्नियर सरकार के बचने की संभावना बेहद कम दिख रही है।

मैक्रों की साख दांव पर

प्रधानमंत्री बार्नियर पर संकट का सीधा असर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की साख पर पड़ सकता है।

  • हाल ही में सऊदी अरब की राजकीय यात्रा से लौट रहे मैक्रों ने विपक्ष के इस कदम को उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश बताया है।
  • मैक्रों ने फ्रांसीसी मीडिया से कहा, "मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे दो बार फ्रांस की जनता ने चुना है। हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है और यह केवल विपक्ष की राजनीति है।"
  • हालांकि, विपक्ष का मानना है कि बार्नियर सरकार गिराकर वे मैक्रों को कमजोर करने की दिशा में पहला कदम उठा रहे हैं।

अगर सरकार गिरी, तो क्या होगा?

यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है, तो बार्नियर को इस्तीफा देना होगा, लेकिन फ्रांस में संवैधानिक बाधाओं के चलते एक साल तक नए चुनाव नहीं कराए जा सकते।

  • संभावित विकल्प: मैक्रों, बार्नियर को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में बनाए रख सकते हैं।
  • नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति मुश्किल होगी, क्योंकि मौजूदा राजनीतिक माहौल में किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है।

राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि

फ्रांस में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला।

  • मैक्रों ने दक्षिणपंथी उभार को रोकने के लिए समय पूर्व चुनाव का फैसला किया था।
  • हालांकि, इसका परिणाम यह हुआ कि बार्नियर सरकार अल्पमत में आ गई, जिससे राजनीतिक स्थिरता पर सवाल उठने लगे।

बार्नियर का बयान: सबकुछ सांसदों पर निर्भर

प्रधानमंत्री माइकल बार्नियर ने कहा है, "मेरे सरकार के भविष्य का फैसला सांसद करेंगे। मैं केवल यही कह सकता हूं कि हमें स्थिरता बनाए रखने की जरूरत है।"
बार्नियर के इस बयान से साफ है कि उन्हें अपने बचने की उम्मीदें कम ही दिख रही हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ तो इतिहास रचेगा

अगर बार्नियर सरकार गिरती है, तो यह फ्रांस के पिछले 60 साल के इतिहास में पहली बार होगा कि किसी सरकार को इस तरह से हटाया जाएगा। यह न केवल देश के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव होगा, बल्कि मैक्रों के नेतृत्व पर भी गंभीर सवाल खड़े करेगा।

निष्कर्ष

फ्रांस में यह राजनीतिक संकट केवल बार्नियर सरकार तक सीमित नहीं है; यह राष्ट्रपति मैक्रों और उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकता है। यदि सरकार गिरती है, तो विपक्ष इसे मैक्रों की विफलता के रूप में प्रचारित करेगा, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है। अब सबकी नजरें नेशनल असेंबली के मतदान पर टिकी हैं, जो फ्रांस की राजनीति की दिशा तय करेगा।