Vikrant Shekhawat : Apr 22, 2022, 09:15 AM
कोरोना महामारी के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी फाइजर की 'पैक्सलोविड' (Paxlovid) गोली की अनुशंसा की है। इसके पहले रेमेडिसिविर और मोलनुपिरविर को मंजूरी दी जा चुकी है। डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि वह फाइजर की एंटी वायरल गोली पैक्सलोविड के इस्तेमाल की अनुशंसा करता है। इसे अस्पताल में भर्ती किए जाने की जोखिम वाले हल्के व मध्यम श्रेणी के कोरोना रोगियों को दिया जा सकता है। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने चेताया है कि कोरोना रोधी दवाओं की उपलब्धता और कीमतों में पारदर्शिता का अभाव अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। इससे निम्न व मध्यम आय वर्ग के देशों के लोगों को इलाज के लिए फिर कतारों में खड़े होने के लिए विवश होना पड़ सकता है। दरअसल, पैक्सलोविड टैबलेट निर्मेट्रेलविर और रिटोनैविर गोलियों का मिश्रित रूप है। पैक्सलोविड के अध्ययन में पाया गया है कि इस गोली के सेवन से कोरोना रोगियों की अस्पताल में भर्ती होने की जोखिम 85 फीसद तक कम हो सकती है। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि फाइजर ब्रांड नाम वाली दवाएं संगठन की पूर्व योग्यता सूची में शामिल की जाएंगी, लेकिन गुणवत्तापूर्ण स्रोतों से इनकी जेनेरिक दवाएं अब भी उपलब्ध नहीं हैं। जेनेरिक दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं का प्रतिरूप होती हैं, जो बहुत कम दावों पर बाजार में मिल सकती हैं। इससे कम व मध्यम आय वाले देशों को इलाज में सुविधा होती है। यूएन के अधीन कार्यरत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि फाइजर व दवाओं के पेटेंट पूल के बीच बहुत सीमित लाइसेंस समझौता है। इसके कारण अनेक देश जेनेरिक दवाओं से लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने फाइजर से मजबूती के साथ सिफारिश कर रहा है कि वह अपनी मूल्य व लाइसेंस नीति को आसान व पारदर्शी बनाए ताकि जेनेरिक दवा निर्माता भी इन दवाओं का उत्पादन कर सकें तथा सस्ती दरों पर लोगों को मुहैया करा सकें।