कौन हैं भंवरलाल शर्मा / सरपंच से बने 7 बार विधायक, अब गहलोत सरकार गिराने के आरोप में निलंबित

राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर में सेवगराम और पार्वती देवी के घर 17 अप्रैल 1945 को भंवरलाल शर्मा का जन्म हुआ। भंवरलाल शर्मा ने 17 साल की उम्र में ही राजनीति में कदम रख दिया था। सबसे पहले साल 1962 में सरदारशहर की जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने। साल 1962 से 1982 तक सरपंच रहे। इसके बाद 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान चुने गए। भंवरलाल शर्मा। राजस्थान में 7 बार के विधायक। कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा।

Vikrant Shekhawat : Jul 18, 2020, 11:02 AM

पहले भी हो चुके हैं कांग्रेस से निलंबित भंवर लाल शर्मा अपने 30 साल के राजनीतिक सफर में कई बार कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने हैं। पहले भी निलंबित हो चुके हैं। वो मौका भी आया जब भंवर लाल शर्मा सरकार बचाने में संकटमोचक की भूमिका निभाई। वर्तमान में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट के साथ बगावत का झंडा उठाए हुए हैं। आईए जानते हैं कि कौन हैं भंवर लाल शर्मा। कैसे तय किया सरपंच से विधायक तक का सफर। इस दौरान किन-किन विवादों से रहा भंवरलाल शर्मा का राजनीतिक नाता।


भंवरलाल शर्मा की जीवनी -

  • राजस्थान के चूरू जिले के सरदारशहर के जैतसीसर ग्राम में सेवगराम और पार्वती देवी के घर 17 अप्रैल 1945 को भंवरलाल शर्मा का जन्म हुआ।
  •  भंवरलाल शर्मा ने 17 साल की उम्र में ही राजनीति में कदम रख दिया था। सबसे पहले साल 1962 में सरदारशहर की जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने।
  • साल 1962 से 1982 तक सरपंच रहे। इसके बाद 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान चुने गए। 
  • भंवरलाल शर्मा ने 1985 में लोकदल से पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। 
  • विधायक बनने के बाद शर्मा ने जनता दल पार्टी ज्वाइन की। 
  • 1990 में दूसरी बार विधायक बनने में सफल रहे। 
  • दूसरी बार विधायक बनने पर भंवरलाल शर्मा को राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री बनाया गया।
  • फिर इन्होंने 1996 में राजस्थान विधानसभा उपचुनाव जीता। 
  • साल 1998, 2003, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने।


जब भंवरलाल शर्मा ने बचाई शेखावत सरकार 

राजस्थान में सवाल 1990 में जब भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में भाजपा एवं जनता दल की संयुक्त मोर्चा की सरकार बनीं तब आड़वाणी की रथ यात्रा के विरोध में जनता दल के अचानक 7 कैबfनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दिए जाने से सरकार अल्पमत में आ गई थी। इस सियासी संकट के बाद 5 नवंबर 1990 को दिग्विजय सिंह की अगुवाई में जनता दल से 22 विधायक अलग होकर जनता दल- दिग्विजय का गठन किया और भाजपा सरकार को समर्थन दिया। तब जाकर भैरोंसिंह शेखावत सरकार बच पाई। कहते हैं कि शेखावत की सरकार बचाने में भंवरलाल की अहम भूमिका रही थी। हालांकि, अयोध्या के बाद  राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।


गहलोत सरकार में नहीं मिली जगह 

2013 में विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर के बावजूद राजस्थान में जीतने वाले कांग्रेस के उम्मीदवारों में भंवरलाल शर्मा भी शामिल थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी सातवीं बार वह जीतने में सफल रहे, लेकिन गहलोत सरकार में उन्हें जगह नहीं मिल सकी। इसका नतीजा है कि वो गहलोत सरकार के खिलाफ बागवत का बिगुल फूंक दिया। अब कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश के आरोपों के चलते उसकी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता खत्म कर दी है।


राहुल गांधी—सचिन पायलट पर की थी विवादित टिप्पणी

भंवरलाल शर्मा राहुल गांधी पर भी तीखी टिप्पणी कर चुके हैं। भंवरलाल ने कहा था कि राहुल गांधी चार-पांच जोकरों से घिरे हुए हैं, उन्हें चापलूसों ने घेर रखा है। राहुल गांधी और सचिन पायलट जैसे लोग राजनीतिक विरासत से आए हैं। तब कांग्रेस पार्टी ने उनके इस बयान पर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। हालांकि, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 से पहले फिर से उन्हें बहाल कर दिया गया था।