Sardarshahar By-election 2022 / सरदारशहर उप चुनाव के लिए वोटिंग शुरू , त्रिकोणीय संघर्ष ने उप चुनाव को बनाया रोमांचक

चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट के उप चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। उप चुनाव यूं तो केवल एक सीट पर है और इसके हारने-जीतने से प्रदेश की राजनीति में कहीं कोई बहुत बड़ा फर्क भी नहीं पड़ने वाला, लेकिन यहां चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष में बदलने से रोमांचक जरूर हो गया है। सरदारशहर में कांग्रेस और भाजपा को आरएलपी कड़ी टक्कर दे रही है। तीनों ही पार्टियों और उनके नेताओं का दावा है कि वो चुनाव जीत रहे हैं

Vikrant Shekhawat : Dec 05, 2022, 09:15 AM
Sardarshahar By-election 2022 : चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट के उप चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है। उप चुनाव यूं तो केवल एक सीट पर है और इसके हारने-जीतने से प्रदेश की राजनीति में कहीं कोई बहुत बड़ा फर्क भी नहीं पड़ने वाला, लेकिन यहां चुनाव त्रिकोणीय संघर्ष में बदलने से रोमांचक जरूर हो गया है।


आम तौर पर राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 180 सीटों पर चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहते आए हैं, लेकिन कुछ सीटों पर कांग्रेस-भाजपा को भी कोई न कोई तीसरी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार संघर्ष में उलझा देते हैं।


सरदारशहर में कांग्रेस और भाजपा को आरएलपी कड़ी टक्कर दे रही है। तीनों ही पार्टियों और उनके नेताओं का दावा है कि वो चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता कि जनता किसको जिताएगी।


कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा का निधन होने से इस सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने उनके बेटे अनिल शर्मा को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक अशोक पींचा (2008-13) को अपना उम्मीदवार बनाया है। आरएलपी ने लालचंद मूंड को टिकट दिया गया है। तीनों ही उम्मीदवार बराबर की टक्कर में बताए जा रहे हैं।


कांग्रेस-भाजपा के सभी बड़े नेता सरदार शहर में अपने-अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी। उधर, रालोपा के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने भी अपने उम्मीदवार के पीछे पूरी ताकत झोंक रखी थी।


चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने जहां प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बढ़ते भ्रष्टाचार व अपराधों पर घेरते हुए वोट मांगे। वहीं, कांग्रेस पूर्व विधायक भंवर लाल शर्मा द्वारा क्षेत्र में करवाए गए कार्यों और सहानुभूति को आगे रखकर वोट मांगे।


आरएलपी ने भाजपा व कांग्रेस दोनों से इस क्षेत्र को मुक्त कराने के नाम पर जन समर्थन जुटाने की कोशिश की। आज वोटिंग के बाद 8 दिसंबर को जब नतीजे आएंगे तो पता चलेगा कि जनता ने किसे समर्थन दिया।


उप चुनावों में अब तक कांग्रेस का पलड़ा रहा है भारी

राजस्थान में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 7 विधानसक्षा क्षेत्रों में उप चुनाव हुए हैं। इनमें सहाड़ा, मंडावा, राजसमंद, खींवसर, सुजानगढ़, धरियावद, वल्लभनगर शामिल हैं। इन उप चुनावों में भाजपा ने केवल राजसमंद की सीट जीती थी।


रालोपा ने खींवसर की सीट जीती थी। शेष सभी 5 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इनमें से सहाड़ा, राजसंमद, सुजानगढ़, धरियावद, वल्लभनगर में मृतक विधायक के परिजनों ने ही जीत दर्ज की है। खींवसर और मंडावा में उप चुनाव वहां के विधायक के सांसद बनने के कारण हुए थे।


तीनों पार्टियां 2023 के लिए जनता का आशीर्वाद बताएगी

इस उप चुनाव के रिजल्ट को तीनों ही पार्टियां ठीक 1 साल बाद होने वाले 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले जनता द्वारा दिए गए एडवांस आशीर्वाद के रूप में सेलिब्रेट करेगी।


कांग्रेस जीती तो वो यह कहेगी कि जनता ने उनकी सरकार और नीतियों पर मुहर लगा दी। वहीं भाजपा जीतने पर इसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ खुद के संघर्ष पर मुहर मानेगी। रालोपा के जीतने पर पार्टी भाजपा और कांग्रेस को जनता द्वारा नकारने की बात कहेगी।


पूनिया, डोटासरा और बेनीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर

सरदार शहर क्षेत्र में सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं। संयोग है कि इस वक्त कांग्रेस-भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष जाट हैं, जबकि आरएलपी के संयोजक जाट हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया दोनों शेखावटी क्षेत्र के ही मूल निवासी हैं।


सरदारशहर भी शेखावटी में ही आता है। उधर बेनीवाल शेखावटी के पड़ोसी जिले नागौर से हैं। चूंकि जाट समुदाय बड़ा वोट बैंक है, तो जो इस समुदाय के सर्वाधिक वोट लेगा उसकी जीत की संभावना ज्यादा है। तीनों दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इससे पहले शेखावटी में दो उप चुनाव मंडावा और सुजानगढ़ में हुए थे, दोनों कांग्रेस ने जीते थे।