Vikrant Shekhawat : May 09, 2022, 09:43 AM
सरकारी अस्पतालों में दवाएं और जांचों को फ्री करने का दावा अभी ‘हवा’ में ही है। सरकारी की घोषणा ने मरीजों का दर्द और बढ़ा दिया है। कारण...अस्पतालों में 280 तरह की जांचें हैं, जो बंद हैं। इधर, सख्ती के कारण डॉक्टर्स बाहर से दवाएं खरीदने और जांच कराने से साफ इनकार कर रहे हैं। ऐसे में मरीजों को पूरा इलाज नहीं मिल पा रहा है।
सबसे अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मान सिंह अस्पताल ( SMS Hospital ) और एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में ही 280 से अधिक प्रकार की जांचें बंद हैं। स्थिति यह है कि हर विभाग के डॉक्टर इस व्यवस्था से आजिज आ चुके हैं। उन्होंने ‘ऊपर’ तक शिकायतों का अंबार लगा दिया।
डॉक्टर्स का कहना है कि इस ‘सख्ती’ से इस तरह से ना तो मरीजों का इलाज कर पाएंगे और ना ही गंभीर मरीज ठीक हो सकेंगे। पहले तो कोशिशें की गई कि मामला अस्पताल स्तर तक ही सुलझ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब प्रदेश सरकार ने मामले में उन सभी जांचों की लिस्ट मांगी है, जो सरकारी अस्पतालों में बंद हैं।
जांचों की लिस्ट देखकर अधिकारी हैरान और 280 जांचें कैसे करेंगे? 500 से 40 हजार रुपए तक के टेस्ट शामिलजांचों की लिस्ट देखकर चिकित्सा विभाग के अधिकारी सकते में हैं। वजह...सरकारी अस्पतालों में बंद 280 तरह छोटी-बड़ी जांचें कैसे कराई जाएं? इनमें एंटीबॉडी से लेकर सीरम, आईजीजी, आईजीएम यूरिन, एचएलए-टाइपिंग, पेट स्कैन जैसी जांचें हैं। इनमें कई जांचें तो 500 रुपए से 40 हजार तक की हैं। ऐसे में जो जांचें बंद हैं, उन पर सालाना करीब 600 करोड़ रुपए का खर्च आएगा?
40000 रुपए महंगी जरूरी जांचें तक नहीं हो रही हैं
पैट स्केन - 22700 रुपए बीआरएसी - 25000 रुपए हॉल एक्सॉन सिक्वेसिंग - 40200 रुपए सीएएल-आर - 5625 रुपए मल्टीप्लेक्स पीसीआर फॉर बी-ऑल - 8000 रुपए ग्लेक्टोमेनोन सीरम एंड स्पुटम - 5500 रुपए एंटी एमओजी एंटीबॉडी व सीरम मैग्नीशियम - 6500 रुपए सीएच 50 - 4100 रुपए एंटीएसएमए - 1464 रुपए एंटीमाइटोकोनडियल - 2500 रुपए आईजीएम बीटा - 104 रुपए आईजीएम बीटा 2जीपी1 - 800 रुपए सीरम फेनियोटिन लेवल - 400 रुपए बोन स्केन - 4200 रुपए वीडब्ल्यूएफ मल्टीमर एनालिसिस - 8500 रुपए साइनोवाइरल फ्लुइड फॉर क्रिस्टल - 750 रुपए इनहीबीटिर एस्से फॉर हीमोफीलिया बी - 5350 रुपए
कैंसर इंस्टीट्यूट का बजट 200 करोड़ रुपए है; लिस्ट में भेजी गईं सबसे अधिक जांचें और दवाएं कैंसर से जुड़ीसरकार को भेजी गई लिस्ट में सबसे अधिक दवाएं और जांच स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की हैं। पड़ताल में आया 200 करोड़ से अधिक का बजट तो सिर्फ प्रताप नगर स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट का है। अन्य जांचों को अस्पतालों में फ्री किया जाए तो बजट 600 करोड़ रुपए बढ़ेगा। सिर्फ एक साल में एक अस्पताल का इतना बजट बताए जाने के बाद चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी चिंता में हैं कि आखिर पैसे का प्रबंध कहां से होगा?
डॉक्टर्स बोले-तय दवाओं से इलाज सीएचसी स्तर पर होअभी जो दवाएं दी जा रही हैं वे तय हैं। डॉक्टर्स का कहना है मेडिकल कॉलेज में भी निर्धारित दवाओं से ही इलाज करना है तो मरीजों को सीएचसी, पीएचसी और जिला स्तर पर ही तय दवाओं से मिल सकता है। गंभीर और अतिगंभीर मरीजों को ही मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में लाया जाए।
पता कर रहे हैं कि कौन सी जांचें योजना में शामिल होंगीहमने लिस्ट मांगी है। देखना जरूरी होगा किन जांचों को योजना में शामिल किया जा सकता है। जो जांचें अस्पतालों में नहीं हो रहीं, उन्हें बाहर से कराना होगा। ये डॉक्टर्स का आउटलुक है और कोशिश हो अस्पताल में सभी जांचे हो जाएं। -वैभव गालरिया, हेल्थ एजुकेशन सेक्रेटरी, राजस्थान सरकार
सबसे अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मान सिंह अस्पताल ( SMS Hospital ) और एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में ही 280 से अधिक प्रकार की जांचें बंद हैं। स्थिति यह है कि हर विभाग के डॉक्टर इस व्यवस्था से आजिज आ चुके हैं। उन्होंने ‘ऊपर’ तक शिकायतों का अंबार लगा दिया।
डॉक्टर्स का कहना है कि इस ‘सख्ती’ से इस तरह से ना तो मरीजों का इलाज कर पाएंगे और ना ही गंभीर मरीज ठीक हो सकेंगे। पहले तो कोशिशें की गई कि मामला अस्पताल स्तर तक ही सुलझ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब प्रदेश सरकार ने मामले में उन सभी जांचों की लिस्ट मांगी है, जो सरकारी अस्पतालों में बंद हैं।
जांचों की लिस्ट देखकर अधिकारी हैरान और 280 जांचें कैसे करेंगे? 500 से 40 हजार रुपए तक के टेस्ट शामिलजांचों की लिस्ट देखकर चिकित्सा विभाग के अधिकारी सकते में हैं। वजह...सरकारी अस्पतालों में बंद 280 तरह छोटी-बड़ी जांचें कैसे कराई जाएं? इनमें एंटीबॉडी से लेकर सीरम, आईजीजी, आईजीएम यूरिन, एचएलए-टाइपिंग, पेट स्कैन जैसी जांचें हैं। इनमें कई जांचें तो 500 रुपए से 40 हजार तक की हैं। ऐसे में जो जांचें बंद हैं, उन पर सालाना करीब 600 करोड़ रुपए का खर्च आएगा?
40000 रुपए महंगी जरूरी जांचें तक नहीं हो रही हैं
पैट स्केन - 22700 रुपए बीआरएसी - 25000 रुपए हॉल एक्सॉन सिक्वेसिंग - 40200 रुपए सीएएल-आर - 5625 रुपए मल्टीप्लेक्स पीसीआर फॉर बी-ऑल - 8000 रुपए ग्लेक्टोमेनोन सीरम एंड स्पुटम - 5500 रुपए एंटी एमओजी एंटीबॉडी व सीरम मैग्नीशियम - 6500 रुपए सीएच 50 - 4100 रुपए एंटीएसएमए - 1464 रुपए एंटीमाइटोकोनडियल - 2500 रुपए आईजीएम बीटा - 104 रुपए आईजीएम बीटा 2जीपी1 - 800 रुपए सीरम फेनियोटिन लेवल - 400 रुपए बोन स्केन - 4200 रुपए वीडब्ल्यूएफ मल्टीमर एनालिसिस - 8500 रुपए साइनोवाइरल फ्लुइड फॉर क्रिस्टल - 750 रुपए इनहीबीटिर एस्से फॉर हीमोफीलिया बी - 5350 रुपए
कैंसर इंस्टीट्यूट का बजट 200 करोड़ रुपए है; लिस्ट में भेजी गईं सबसे अधिक जांचें और दवाएं कैंसर से जुड़ीसरकार को भेजी गई लिस्ट में सबसे अधिक दवाएं और जांच स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की हैं। पड़ताल में आया 200 करोड़ से अधिक का बजट तो सिर्फ प्रताप नगर स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट का है। अन्य जांचों को अस्पतालों में फ्री किया जाए तो बजट 600 करोड़ रुपए बढ़ेगा। सिर्फ एक साल में एक अस्पताल का इतना बजट बताए जाने के बाद चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी चिंता में हैं कि आखिर पैसे का प्रबंध कहां से होगा?
डॉक्टर्स बोले-तय दवाओं से इलाज सीएचसी स्तर पर होअभी जो दवाएं दी जा रही हैं वे तय हैं। डॉक्टर्स का कहना है मेडिकल कॉलेज में भी निर्धारित दवाओं से ही इलाज करना है तो मरीजों को सीएचसी, पीएचसी और जिला स्तर पर ही तय दवाओं से मिल सकता है। गंभीर और अतिगंभीर मरीजों को ही मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में लाया जाए।
पता कर रहे हैं कि कौन सी जांचें योजना में शामिल होंगीहमने लिस्ट मांगी है। देखना जरूरी होगा किन जांचों को योजना में शामिल किया जा सकता है। जो जांचें अस्पतालों में नहीं हो रहीं, उन्हें बाहर से कराना होगा। ये डॉक्टर्स का आउटलुक है और कोशिश हो अस्पताल में सभी जांचे हो जाएं। -वैभव गालरिया, हेल्थ एजुकेशन सेक्रेटरी, राजस्थान सरकार