RajasthanPoliticalCrisis / पायलट और गहलोत ने मिलाया हाथ, मुस्कुराए...साथ कब तक कायम रहेगा, वसुन्धरा राजे मिलीं Governer से

कांग्रेस से नाराज होने के बाद राजस्थान के उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट ने सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया। अशोक गहलोत जिन्होंने उन्हें नाकारा और निकम्मा तक कह डाला था उन्होंने आखिर 13 अगस्त को वापस हाथ मिला लिया। दोनों नेता हाथ मिलाने के बाद मुस्कुराए भी, लेकिन जनता के मन में सवाल है कि यह साथ और मुस्कुराहट कब तक कायम रहेगी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने राज्यपाल से मिलकर माहौल को एक नया ही मोड़ दे दिया है।

Vikrant Shekhawat : Aug 13, 2020, 07:31 PM
जयपुर | कांग्रेस से नाराज होने के बाद राजस्थान के उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट ने सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया। अशोक गहलोत जिन्होंने उन्हें नाकारा और निकम्मा तक कह डाला था उन्होंने आखिर 13 अगस्त को वापस हाथ मिला लिया। दोनों नेता हाथ मिलाने के बाद मुस्कुराए भी, लेकिन  जनता के मन में सवाल है कि यह साथ और मुस्कुराहट कब तक कायम रहेगी। क्या ​इस सियासी मुस्कुराहट में कहीं युद्ध विराम की कसक तो नहीं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने राज्यपाल से मिलकर माहौल को एक नया ही मोड़ दे दिया है।

राजस्‍थान विधानसभा का विशेष सत्र (Rajasthan Assembly session) 14 अगस्‍त से आयोजित होना है। बैठक से पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठक (Congress Legislature Party meeting) आज शाम आयोजित हो रही है। बैठक में केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में सीएम अशोक गहलोत और उनकी पूर्व डिप्‍टी सचिन पायलट की मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और दोनों नेता मुस्‍कुराए। पायलट इस बैठक के लिए सीएम गहलोत के आधिकारिक आवास (CM Ashok Gehlot's residence) पहुंचे थे। वहां गहलोत के खिलाफ पूर्व में 'बागी तेवर' अपनाने वाले अन्‍य विधायक भी वहां पहुंचे थे। बैठक के लिए सीएम गहलोत गुट के विधायकों को होटल से मुख्‍यमंत्री आवास ले जाया गया। केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक आयोजित हुई।

विधानसभा सत्र के पहले दिन यानी कल बीजेपी ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने (Gulab Chand Kataria) यह घोषणा की। राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा, हम अपने सहयोगी दलों के साथ कल विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। वैसे विधानसभा सत्र के पहले सीएम अशोक गहलोत के लिए बड़ी राहत की खबर मिली। बीएसपी से कांग्रेस में शामिल होने वाले छह विधायक विधानसभा सत्र में भाग ले सकेंगे। राजस्थान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल BSP विधायकों के कांग्रेस में विलय के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने से कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। हम इस मामले में दखल नहीं देंगे।

गौरतलब है कि  सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के बागी तेवरों के कारण राजस्‍थान में सियासी संकट पैदा हो गया था लेकिन करीब एक माह तक गतिरोध के बाद इसी हफ्ते राहुल गांधी (Rahul Gandhi)  की पायलट के साथ हुई बैठक के बाद संकट टल गया था और कांग्रेस खेमे ने राहत की सांस ली थी। राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद मंगलवार को जयपुर लौटे थे। कांग्रेस नेतृत्व की ओर से उन्हें भरोसा दिया गया है कि उनकी शिकायतों को दूर किया जाएगा। हालांकि, उनके जयपुर पहुंचते ही मुख्यमंत्री गहलोत जैसलमेर के लिए निकल गए थे, जहां कांग्रेस के 100 विधायकों को रखा गया था। सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस विधायक इस राजनीतिक टकराव से "स्वाभाविक रूप से परेशान" हैं, लेकिन हर किसी को आगे बढ़ना चाहिए। संवाददाताओं से बात करते हुए गहलोत ने कहा, "जिस तरह से यह पूरा घटनाक्रम हुआ, उससे विधायक वास्तव में परेशान थे। मैंने उन्हें समझाया कि कभी-कभी हमें सहनशील होने की आवश्यकता होती है यदि हमें राष्ट्र, राज्य और लोगों की सेवा करनी है और लोकतंत्र को बचाना है।"

सचिन पायलट खेमे के बागी विधायकों को पार्टी में फिर मिली जगह से अशोक गहलोत समर्थक कई विधायक नाराज हैं। अपने नाराज विधायकों से मुख्यमंत्री गहलोत ने संदेश दिया- भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो...। लेकिन, सियासी गलियारों में सवाल यह है कि क्या गहलोत ने जो सलाह दी है, वैसा हो पाएगा? क्या खुद गहलोत और उनके समर्थक विधायक बागी विधायकों को माफ कर पाएंगे? बहरहाल, इन सवालों का जवाब तो वक्त ही देगा। लेकिन, लग ये रहा है कि गहलोत की राह अब भी आसान नहीं होगी। इसके 4 मुख्य कारण हैं।

1. विधायकों की उम्मीदें पूरी कैसे करेंगे

गहलोत समर्थक विधायक बगावत के दौर में एक महीने तक एकजुट रहे। इनकी वजह से ही गहलोत की कुर्सी भी बची। गहलोत के समर्थक विधायक कई उम्मीदें लगाए बैठे हैं। कुछ मंत्री बनना चाहते हैं तो कुछ दूसरे पदों पर नियुक्ति के सपने संजोए हैं। बागी विधायकों की वापसी का ये विरोध कर रहे हैं। गहलोत समर्थकों को डर है कि कहीं बागी विधायक उनके मंत्री पद पर कब्जा न कर लें। ये विधायक बागियों को सम्मान तक नहीं देना चाहते।

2. सचिन खेमे के विधायकों को क्या फिर मिलेंगे पद

सचिन पायलट और उनके समर्थक 21 विधायकों के लिए भी आगे की राह मुश्किल है। हो सकता है कि पायलट को संगठन में बड़ा पद देकर उन्हें राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति से दूर कर दिया जाए। लेकिन, सचिन के समर्थक विधायक क्या करेंगे? इन विधायकों को कोई भी महत्वपूर्ण पद देने का गहलोत खेमा खुलकर विरोध करेगा। ऐसे में फिलहाल इन विधायकों के सामने देखो और इंतजार करो की नीति पर चलने के सिवाय कोई विकल्प नजर नहीं आता। उनके सब्र का इम्तिहान होगा। गहलोत के लिए भी संतुलन बनाए रखने की चुनौती होगी।

3. गहलोत पर दबाव बढ़ेगा

माना जा रहा है कि सचिन की पार्टी में वापसी का कोई फॉर्मूला है। हालांकि, इसकी जानकारी चंद लोगों को ही होगी। मान लीजिए, अगर पायलट समर्थक विधायकों को कोई पद दिया जाता है तो गहलोत के समर्थक विधायक नाराज हो जाएंगे। इसकी झलक जैसलमेर में मिली थी। गहलोत समर्थक विधायकों ने कहा था- अगर 22 लोग मिलकर दबाव बना सकते हैं तो हमारी संख्या तो बहुत ज्यादा है।आलाकमान को हमारा पक्ष भी सुनना पड़ेगा। बात यह कि अगर इन विधायकों को संतुष्ट नहीं किया गया तो असंतोष बढ़ेगा। फिर कोई बगावत या विद्रोह हो सकता है।

4. क्या गहलोत और पायलट के रिश्ते सुधर पाएंगे

बगावत के दौर में अपनी सरकार बचा कर गहलोत ने पार्टी में अपना कद काफी ऊंचा कर लिया है। फिलहाल उन्हें प्रदेश में कोई चुनौती मिलती नजर नहीं आती। दिल्ली में बैठा आलाकमान तो बिल्कुल इस स्थिति में नहीं है कि गहलोत से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को कहे। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अपने विरोधियों को निपटाने में माहिर गहलोत स्वयं बागी विधायकों को माफ कर पाएंगे? सचिन पायलट और गहलोत के रिश्तों में बनी तल्खी कम या खत्म होगी? इसमें संदेह है।

5. क्या गहलोत बनेंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष

सिर्फ एक स्थिति में ही गहलोत की राजस्थान से विदाई हो सकती है, अगर उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए। क्योंकि, पार्टी एक साल से अस्थाई अध्यक्ष के भरोसे चल रही है। कई नेता मांग कर रहे हैं कि स्थायी अध्यक्ष होना चाहिए। राहुल गांधी इसके लिए तैयार नहीं हैं। सोनिया की सेहत ठीक नहीं है। माना जा रहा है कि अगर गांधी परिवार से बाहर किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनती है तो फिर गहलोत पहली पसंद होंगे। हालांकि, ये भी तय है कि गहलोत की विदाई के बावजूद मुख्यमंत्री पद का ताज सचिन के बजाय उनके किसी समर्थक के सिर पर ही सजेगा। व्यक्तिगत बातचीत में गहलोत पहले कई बार इससे साफ इनकार कर चुके हैं। उन्होंने हमेशा यही कहा कि उनके लिए राजस्थान सबसे पहले है, और वे यहीं रहकर खुश हैं।

राजस्थान में कल से विधानसभा का सत्र भाजपा लाएगी अविश्वास प्रस्ताव

राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. शुक्रवार से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान किया है कि वो कल ही सदन में अविश्नास प्रस्ताव लाएगी. ऐसे में अशोक गहलोत सरकार के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती है. गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी की बैठक हुई, जिसमें ये फैसला लिया गया.

बीजेपी का दावा- नहीं बचेगी गहलोत सरकार

विधानसभा में भाजपा के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोड़ना चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है। ये सरकार जल्द ही गिरने वाली है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह सरकार अपने विरोधाभास से गिरेगी, बीजेपी पर यह झूठा आरोप लगा रहे हैं। लेकिन इनके घर के झगड़े से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है। आपको बता दें कि गुरुवार को ही भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर में विधायकों के साथ बड़ी बैठक की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं, जबकि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रतिनिधि ने भी बैठक में हिस्सा लिया। राज्यपाल के आदेश के बाद 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी सिर्फ कोरोना वायरस संकट, लॉकडाउन और अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात कही गई थी. इस बीच अब अगर भारतीय जनता पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो चर्चा के बाद अशोक गहलोत सरकार को अपना बहुमत साबित करना ही होगा।

कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा बहुमत साबित करना?

बगावत करने वाले सचिन पायलट एक बार फिर कांग्रेस के पास पहुंच गए हैं, गुरुवार शाम को होने वाले कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत-सचिन पायलट गुट के विधायक शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि पायलट गुट की वापसी से कई विधायक नाराज हैं और इसकी ही चिंता पार्टी आलाकमान को सता रही है। दूसरी ओर बसपा विधायकों के विलय का मामला भी अभी अदालत में चल रहा है, ऐसे में अशोक गहलोत सरकार के सामने पायलट गुट को मनाने के साथ-साथ अपने कैंप के विधायकों को भी साथ रखने की चुनौती होगी। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, इनमें से 107 का आंकड़ा कांग्रेस के पास है. साथ ही कई निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। जबकि बीजेपी के पास साथी पार्टियां मिलाकर 76 का आंकड़ा है। लेकिन हाल ही में हुए मनमुटाव के एपिसोड के बाद बहुमत साबित करना इतना आसान नहीं होगा।

कांग्रेस ने भंवर लाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह के निलंबन को किया रद्द

अहम बैठक से पहले कांग्रेस ने विधायकों भंवर लाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह के निलंबन को रद्द कर दिया है। इस बात की जानकारी पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे ने दी जानकारी। बता दें कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने के आरोप में दोनों विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था।