Vikrant Shekhawat : Nov 24, 2022, 10:46 PM
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने से पहले कांग्रेस में एक बार फिर भारी खींचतान शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि पायलट को कैसे सीएम बना सकते हैं। जिस आदमी के पास 10 विधायक नहीं हैं, जिसने बगावत की हो, जिसे गद्दार नाम दिया गया है, उसे लोग कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
गहलाेत के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि वे पहले भी मुझे नाकारा, निकम्मा और गद्दार कह चुके हैं, उन्होंने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, वे बेबुनियाद हैं। ये समय भाजपा से लड़ने का है, ऐसे झूठे आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के अनुभवी नेता हैं, उन्हें इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। हम आज किसी पद पर है, तो जरूरी नहीं है कि हमेशा रहे। पता नहीं कौन मुख्यमंत्री को ऐसी सलाह दे रहा है।
वहीं, कांग्रेस ने गहलोत के इस बयान को भी गंभीरता से लिया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गहलाेत ने अपने युवा साथी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मतभेद सुलझा लिए जाएंगे और इससे कांग्रेस मजबूत होगी, फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाना ही सबका लक्ष्य है।
इससे पहले, गहलोत ने कहा कि जिसके कारण हम 34 दिन होटलों में बैठे रहे, ये सरकार गिरा रहे थे, अमित शाह भी शामिल थे। धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल थे। गहलोत ने एनडीटीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बातें कहीं।
गहलोत कैंप के द्वारा पायलट को स्वीकार नहीं करने के सवाल पर गहलोत ने कहा- जो आदमी गद्दारी कर चुका है, उसे हमारे एमएलए और मैंने खुद भुगता है, 34 दिन तक होटलों में रहे हैं, उनको वे कैसे स्वीकार करेंगे?
आज तो मैं ही सीएम, मुझे हाईकमान से कोई संकेत नहींसीएम रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा- आज तो मैं ही हूं यहां पर। हाईकमान की तरफ से इशारे के सवाल पर कहा- हाईकमान के इशारे की छोड़ो, मुझे तो कोई इंडिकेशन नहीं है। मैं हाईकमान के साथ हूं। पायलट को कोई स्वीकार ही नहीं करेगा।
गहलोत ने कहा- हाईकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा। सितंबर की बातें हैं। अजय माकन और हाईकमान को अपनी फीलिंग बता चुका हूं। राजस्थान में सरकार आना जरूरी है। मैं तीन बार सीएम रह चुका। मेरे लिए सीएम रहना जरूरी नहीं है। आप सर्वे करवा लीजिए कि मेरे मुख्यमंत्री रहने से सरकार आ सकती है तो मुझे रखिए। अगर दूसरे चेहरे से सरकार आ सकती है तो उसे बनाइए।
मंत्री बनने के लिए पायलट ने मुझे फोन किया थासचिन पायलट के साथ झगड़े के सवाल पर गहलोत ने कहा- जब 2009 में लोकसभा चुनाव में राजस्थान से 20 सांसद कांग्रेस के जीते तो मुझे दिल्ली बुलाया गया। जब वर्किंग कमेटी की बैठक हुई तो राजस्थान से मंत्री बनाने के बारे में मुझसे पूछा गया। सचिन पायलट को जानकारी है, मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। उस समय वसुंधरा राजे की सरकार में 70 गुर्जर मारे गए थे, यहां गुर्जर-मीणाओं में झगड़ा था।
गहलोत ने कहा कि बाद में मेरे पास सचिन पायलट का फोन आया था कि मेरी सिफारिश कीजिए, जबकि मैं तो पहले ही सिफारिश कर चुका था। जिस आदमी के दिल में प्यार होगा, तभी तो वह नौजवान की सिफारिश करेगा।
25 सितंबर को पायलट की वजह से माहौल बिगड़ापार्टी की हालत पर गहलोत ने कहा- मुझे कोई टेंशन नहीं है। थोड़े बहुत मतभेद सब जगह होते हैं। 25 सितंबर को बगावत नहीं हुई थी। 2019 में बगावत हुई थी, 34 दिन होटलों में रहे। 25 सितंबर को 90 लोग इकट्ठे हुए, ये वे लाेग थे, जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, वर्ना सरकार बच नहीं सकती थी। बिना हाईकमान कोई सीएम सरकार बचा ही नहीं सकता।
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं है जो हाईकमान के बिना विधायकों का समर्थन ले ले। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की, गद्दारी किए हुए आदमी को हमारे विधायक कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
पायलट ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वो सीएम बन रहे होंगहलोत ने कहा- एक बात फैलाई गई कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जा रहा है। पायलट ने खुद ऐसा व्यवहार किया कि वे सीएम बनने जा रहे हैं। उन्होंने कई विधायकों को फोन किए कि पर्यवेक्षक आ रहे हैं, उन्हें यह कहना है।
गहलोत ने कहा कि इस हालात में एमएलए को यह भ्रम हो गया कि पायलट विधायक दल की बैठक के दूसरे दिन ही शपथ ले रहे हैं। इसलिए 90 विधायक इकट्ठे हो गए थे। वे सब निष्ठावान हैं और हाईकमान के साथ हैं। जिसकी वजह से हम 34 दिन होटलों में रहे, जिसने सरकार गिराने का षड्यंत्र किया, उसे विधायक कैसे स्वीकार करते।
पार्टी के अध्यक्ष ने ही सरकार गिराने की कोशिश कीगहलोत ने कहा कि मानेसर में पायलट के साथ बगावत करने वाले विधायक गए थे। जिस रिसोर्ट में मध्यप्रदेश के विधायकों को ठहराया गया था, उसी में पायलट समर्थक विधायकों को रोका गया था। हम उम्मीद नहीं कर सकते थे कि पार्टी का अध्यक्ष अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के लिए विपक्ष से मिल जाए। इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ। इसी वजह से विधायक पायलट का नाम सुनते ही नाराज थे।
पायलट हाईकमान से माफी मांग लेते तो मुझे नहीं मांगनी पड़तीगहलोत ने कहा कि अगर वो माफी मांग लेते तो मुझे माफी नहीं मांगनी पड़ती। माहौल बदल जाता, वो नौजवान हैं, यह नौबत नहीं आती। पायलट माफी मांग लेते तो 25 सितंबर की घटना ही नहीं होती। विधायक दल का नेता होने के कारण मेरी मॉरल ड्यूटी थी, वह बैठक नहीं हो सकी, इसलिए मैंने माफी मांगी।
मुझे नहीं रखना तो 102 में से किसी को भी बना देंकिसी और को राजस्थान का सीएम बनाने की बात पर गहलोत ने कहा कि मैं भी कहता हूं, सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से किसी को बना दीजिए, लेकिन गद्दारी को हमने खुद भुगता है, हमने कैसे 34 दिन निकाले हैं, हम ही जानते हैं। मैं तो हाईकमान कहे तो आज भी तैयार हूं। हाईकमान तय कर ले कि मुझे रखना है या किसी और को। आपको अगर लगता है कि कोई दूसरा चेहरा चुनाव जितवा सकता है तो उसे बना दीजिए।
पायलट समर्थक खुद बोलते हैं- सीएम से कोई दिक्कत नहींपायलट और समर्थक विधायकों को साइडलाइन करने के आरोप को गहलोत ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- सवाल ही पैदा नहीं होता। उनके सपोर्टर सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि सब काम होते हैं। पायलट समर्थक विधायक अजय माकन को अकेले में कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री की तरफ से कोई शिकायत नहीं है, जो मांगते हैं, वह काम करते हैं। वापस आने के बाद से अच्छा बर्ताव किया, कोई भेदभाव नहीं किया।
सचिन ने कहा- पता नहीं कौन उन्हें एडवाइज कर रहा हैगहलोत के आरोपों पर सचिन पायलट ने पलटवार किया है। पायलट ने कहा- मैं नहीं जानता कि कौन उन्हें एडवाइज करता है। उन्होंने आज से पहले भी मेरे बारे में बहुत सी बातें बोली थीं, मुझे नकारा निकम्मा और गद्दार कहा। कई आरोप लगाए। इस प्रकार के बेबुनियाद और झूठे आरोपों की जरूरत नहीं है। अभी वक्त है, कैसे पार्टी को हम मजबूत करें। राहुल गांधी यात्रा लेकर निकले हैं। अगले महीने यात्रा राजस्थान आ रही है, हमारा फोकस उस यात्रा को सफल बनाने पर होना चाहिए। आज देश की जरूरत है, देश में कांग्रेस ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है। अशोक गहलोत गुजरात में प्रभारी हैं, हमें सामूहिक रूप से बीजेपी को हराने का प्रयास करना चाहिए।
दो बार हारने के बावजूद गहलोत को तीसरी बार सीएम बनाया, हमने फैसला मानापायलट ने कहा- राजस्थान में हमने बीजेपी को विपक्ष में रहते हुए लगातार चुनौती देकर पराजित किया। इसके बाद हमारी सरकार बनी। गहलोत के सीएम रहते दो बार सरकार गई, लेकिन फिर भी तीसरी बार उन्हें सीएम बनाया तो हमने हाईकमान के फैसले को स्वीकार किया। आज हमारी प्राथमिकता सरकार रिपीट करने पर हो।
कोई हमेशा एक पद पर नहीं रहतापायलट ने कहा- आज के समय वरिष्ठ और अनुभवी नेता को यह बोलना शोभा नहीं देता। एक-दूसरे पर आरोप लगाए, यह सही नहीं है। अभी एकजुट रहने का चुनौती वाला समय है। दोबारा सरकार में कैसे आएंगे, चिंता इसकी होनी चाहिए। किसी व्यक्ति को इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हमेशा कोई पद पर नहीं रहता।
पायलट के विरोध में 92 विधायकों ने दिया था इस्तीफादो महीने पहले 25 सितंबर को राजस्थान की राजनीति में तूफान आ गया था। राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब कांग्रेस हाईकमान के आदेश के बावजूद मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकार हाईकमान को देने का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की तैयारी थी। उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट थे, लेकिन गहलोत खेमा पायलट के नाम पर नाराज हो गया था। विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 92 विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के घर बैठक बुलाई और एक साथ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया।
बगावत पर गहलोत ने सोनिया से मांगी थी माफी28 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोनिया गांधी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात हुई थी। बगावत पर उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी और अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
सोनिया से मिलने के बाद गहलोत ने कहा था- मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।
गहलाेत के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सचिन पायलट ने कहा कि वे पहले भी मुझे नाकारा, निकम्मा और गद्दार कह चुके हैं, उन्होंने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, वे बेबुनियाद हैं। ये समय भाजपा से लड़ने का है, ऐसे झूठे आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के अनुभवी नेता हैं, उन्हें इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। हम आज किसी पद पर है, तो जरूरी नहीं है कि हमेशा रहे। पता नहीं कौन मुख्यमंत्री को ऐसी सलाह दे रहा है।
वहीं, कांग्रेस ने गहलोत के इस बयान को भी गंभीरता से लिया है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गहलाेत ने अपने युवा साथी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मतभेद सुलझा लिए जाएंगे और इससे कांग्रेस मजबूत होगी, फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाना ही सबका लक्ष्य है।
इससे पहले, गहलोत ने कहा कि जिसके कारण हम 34 दिन होटलों में बैठे रहे, ये सरकार गिरा रहे थे, अमित शाह भी शामिल थे। धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल थे। गहलोत ने एनडीटीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बातें कहीं।
गहलोत कैंप के द्वारा पायलट को स्वीकार नहीं करने के सवाल पर गहलोत ने कहा- जो आदमी गद्दारी कर चुका है, उसे हमारे एमएलए और मैंने खुद भुगता है, 34 दिन तक होटलों में रहे हैं, उनको वे कैसे स्वीकार करेंगे?
आज तो मैं ही सीएम, मुझे हाईकमान से कोई संकेत नहींसीएम रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा- आज तो मैं ही हूं यहां पर। हाईकमान की तरफ से इशारे के सवाल पर कहा- हाईकमान के इशारे की छोड़ो, मुझे तो कोई इंडिकेशन नहीं है। मैं हाईकमान के साथ हूं। पायलट को कोई स्वीकार ही नहीं करेगा।
गहलोत ने कहा- हाईकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा। सितंबर की बातें हैं। अजय माकन और हाईकमान को अपनी फीलिंग बता चुका हूं। राजस्थान में सरकार आना जरूरी है। मैं तीन बार सीएम रह चुका। मेरे लिए सीएम रहना जरूरी नहीं है। आप सर्वे करवा लीजिए कि मेरे मुख्यमंत्री रहने से सरकार आ सकती है तो मुझे रखिए। अगर दूसरे चेहरे से सरकार आ सकती है तो उसे बनाइए।
मंत्री बनने के लिए पायलट ने मुझे फोन किया थासचिन पायलट के साथ झगड़े के सवाल पर गहलोत ने कहा- जब 2009 में लोकसभा चुनाव में राजस्थान से 20 सांसद कांग्रेस के जीते तो मुझे दिल्ली बुलाया गया। जब वर्किंग कमेटी की बैठक हुई तो राजस्थान से मंत्री बनाने के बारे में मुझसे पूछा गया। सचिन पायलट को जानकारी है, मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। उस समय वसुंधरा राजे की सरकार में 70 गुर्जर मारे गए थे, यहां गुर्जर-मीणाओं में झगड़ा था।
गहलोत ने कहा कि बाद में मेरे पास सचिन पायलट का फोन आया था कि मेरी सिफारिश कीजिए, जबकि मैं तो पहले ही सिफारिश कर चुका था। जिस आदमी के दिल में प्यार होगा, तभी तो वह नौजवान की सिफारिश करेगा।
25 सितंबर को पायलट की वजह से माहौल बिगड़ापार्टी की हालत पर गहलोत ने कहा- मुझे कोई टेंशन नहीं है। थोड़े बहुत मतभेद सब जगह होते हैं। 25 सितंबर को बगावत नहीं हुई थी। 2019 में बगावत हुई थी, 34 दिन होटलों में रहे। 25 सितंबर को 90 लोग इकट्ठे हुए, ये वे लाेग थे, जिन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया, वर्ना सरकार बच नहीं सकती थी। बिना हाईकमान कोई सीएम सरकार बचा ही नहीं सकता।
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस का कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं है जो हाईकमान के बिना विधायकों का समर्थन ले ले। जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की, गद्दारी किए हुए आदमी को हमारे विधायक कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
पायलट ने ऐसा व्यवहार किया जैसे वो सीएम बन रहे होंगहलोत ने कहा- एक बात फैलाई गई कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जा रहा है। पायलट ने खुद ऐसा व्यवहार किया कि वे सीएम बनने जा रहे हैं। उन्होंने कई विधायकों को फोन किए कि पर्यवेक्षक आ रहे हैं, उन्हें यह कहना है।
गहलोत ने कहा कि इस हालात में एमएलए को यह भ्रम हो गया कि पायलट विधायक दल की बैठक के दूसरे दिन ही शपथ ले रहे हैं। इसलिए 90 विधायक इकट्ठे हो गए थे। वे सब निष्ठावान हैं और हाईकमान के साथ हैं। जिसकी वजह से हम 34 दिन होटलों में रहे, जिसने सरकार गिराने का षड्यंत्र किया, उसे विधायक कैसे स्वीकार करते।
पार्टी के अध्यक्ष ने ही सरकार गिराने की कोशिश कीगहलोत ने कहा कि मानेसर में पायलट के साथ बगावत करने वाले विधायक गए थे। जिस रिसोर्ट में मध्यप्रदेश के विधायकों को ठहराया गया था, उसी में पायलट समर्थक विधायकों को रोका गया था। हम उम्मीद नहीं कर सकते थे कि पार्टी का अध्यक्ष अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के लिए विपक्ष से मिल जाए। इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ। इसी वजह से विधायक पायलट का नाम सुनते ही नाराज थे।
पायलट हाईकमान से माफी मांग लेते तो मुझे नहीं मांगनी पड़तीगहलोत ने कहा कि अगर वो माफी मांग लेते तो मुझे माफी नहीं मांगनी पड़ती। माहौल बदल जाता, वो नौजवान हैं, यह नौबत नहीं आती। पायलट माफी मांग लेते तो 25 सितंबर की घटना ही नहीं होती। विधायक दल का नेता होने के कारण मेरी मॉरल ड्यूटी थी, वह बैठक नहीं हो सकी, इसलिए मैंने माफी मांगी।
मुझे नहीं रखना तो 102 में से किसी को भी बना देंकिसी और को राजस्थान का सीएम बनाने की बात पर गहलोत ने कहा कि मैं भी कहता हूं, सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से किसी को बना दीजिए, लेकिन गद्दारी को हमने खुद भुगता है, हमने कैसे 34 दिन निकाले हैं, हम ही जानते हैं। मैं तो हाईकमान कहे तो आज भी तैयार हूं। हाईकमान तय कर ले कि मुझे रखना है या किसी और को। आपको अगर लगता है कि कोई दूसरा चेहरा चुनाव जितवा सकता है तो उसे बना दीजिए।
पायलट समर्थक खुद बोलते हैं- सीएम से कोई दिक्कत नहींपायलट और समर्थक विधायकों को साइडलाइन करने के आरोप को गहलोत ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- सवाल ही पैदा नहीं होता। उनके सपोर्टर सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि सब काम होते हैं। पायलट समर्थक विधायक अजय माकन को अकेले में कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री की तरफ से कोई शिकायत नहीं है, जो मांगते हैं, वह काम करते हैं। वापस आने के बाद से अच्छा बर्ताव किया, कोई भेदभाव नहीं किया।
सचिन ने कहा- पता नहीं कौन उन्हें एडवाइज कर रहा हैगहलोत के आरोपों पर सचिन पायलट ने पलटवार किया है। पायलट ने कहा- मैं नहीं जानता कि कौन उन्हें एडवाइज करता है। उन्होंने आज से पहले भी मेरे बारे में बहुत सी बातें बोली थीं, मुझे नकारा निकम्मा और गद्दार कहा। कई आरोप लगाए। इस प्रकार के बेबुनियाद और झूठे आरोपों की जरूरत नहीं है। अभी वक्त है, कैसे पार्टी को हम मजबूत करें। राहुल गांधी यात्रा लेकर निकले हैं। अगले महीने यात्रा राजस्थान आ रही है, हमारा फोकस उस यात्रा को सफल बनाने पर होना चाहिए। आज देश की जरूरत है, देश में कांग्रेस ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है। अशोक गहलोत गुजरात में प्रभारी हैं, हमें सामूहिक रूप से बीजेपी को हराने का प्रयास करना चाहिए।
दो बार हारने के बावजूद गहलोत को तीसरी बार सीएम बनाया, हमने फैसला मानापायलट ने कहा- राजस्थान में हमने बीजेपी को विपक्ष में रहते हुए लगातार चुनौती देकर पराजित किया। इसके बाद हमारी सरकार बनी। गहलोत के सीएम रहते दो बार सरकार गई, लेकिन फिर भी तीसरी बार उन्हें सीएम बनाया तो हमने हाईकमान के फैसले को स्वीकार किया। आज हमारी प्राथमिकता सरकार रिपीट करने पर हो।
कोई हमेशा एक पद पर नहीं रहतापायलट ने कहा- आज के समय वरिष्ठ और अनुभवी नेता को यह बोलना शोभा नहीं देता। एक-दूसरे पर आरोप लगाए, यह सही नहीं है। अभी एकजुट रहने का चुनौती वाला समय है। दोबारा सरकार में कैसे आएंगे, चिंता इसकी होनी चाहिए। किसी व्यक्ति को इतना असुरक्षित नहीं होना चाहिए। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हमेशा कोई पद पर नहीं रहता।
पायलट के विरोध में 92 विधायकों ने दिया था इस्तीफादो महीने पहले 25 सितंबर को राजस्थान की राजनीति में तूफान आ गया था। राजस्थान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था, जब कांग्रेस हाईकमान के आदेश के बावजूद मुख्यमंत्री का फैसला करने के लिए अधिकार हाईकमान को देने का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की तैयारी थी। उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट थे, लेकिन गहलोत खेमा पायलट के नाम पर नाराज हो गया था। विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 92 विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के घर बैठक बुलाई और एक साथ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया।
बगावत पर गहलोत ने सोनिया से मांगी थी माफी28 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सोनिया गांधी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात हुई थी। बगावत पर उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी और अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
सोनिया से मिलने के बाद गहलोत ने कहा था- मैंने हमेशा वफादार सिपाही के रूप में काम किया है। विधायक दल की बैठक के दिन हुई घटना ने सबको हिलाकर रख दिया। ऐसा लगा जैसे कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं, इसलिए मैंने उनसे माफी मांगी है।