News18 : Jun 21, 2020, 08:44 AM
जयपुर। 21 जनवरी को दिखने वाले वलयाकार सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) को लेकर खगोल वैज्ञानिकों (Astronomer) के साथ-साथ आमलोगों में भी इसको लेकर जिज्ञासा बनी हुई है। इस अद्भुत खगोलीय घटना का केंद्र राजस्थान के श्रीगंगानगर (Shri Ganga Nagar) जिले का सूरतगढ़ और घड़साना कस्बा रहेगा। इसलिए इस ग्रहण की घटना का अध्ययन करने और इस नजारे को अपने कैमरे में कैद करने के लिए दिल्ली, अहमदाबाद और पुणे सहित देशभर से खगोल वैज्ञानिक और शोधकर्ता सूरतगढ़ पहुंच चुके हैं।
दिल्ली के ऐस्ट्रोफाइल एजुकेशन रिसर्च सेंटर के निदेशक स्नेह केसरी ने बताया कि रविवार का सूर्य ग्रहण सबसे पहले घड़साना में दिखाई देगा। उसके बाद सुबह 10:12 बजे सूरतगढ़ में दिखना शुरू होगा, जो दोपहर 1:40 तक दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि दोपहर 11:52 पर सूर्य रिंग ऑफ फायर की तरह दिखेगा।रिंग ऑफ फायर का दिखेगा अद्भुत नजारा यही रिंग ऑफ फायर अद्भुत घटना है, जिसमें चंद्रमा सूरज के 97 से 99 फीसदी तक हिस्से को कवर कर लेगा। इसकी वजह से सूरज वलयाकार या फायर रिंग की तरह दिखाई देगा। स्नेह केसरी ने बताया कि कल के ग्रहण पर शोध के लिए अत्याधुनिक टेलिस्कोप और अन्य वैज्ञानिक उपकरण लाए गए हैं। इनके माध्यम से सूर्य के बारे में और अधिक विस्तार से जानकारी हासिल की जा सकेगी।कोरोना काल में सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहणये साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण है। और कोरोना काल में सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण है। जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है, तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की परिक्रमा करता है। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं।
दिल्ली के ऐस्ट्रोफाइल एजुकेशन रिसर्च सेंटर के निदेशक स्नेह केसरी ने बताया कि रविवार का सूर्य ग्रहण सबसे पहले घड़साना में दिखाई देगा। उसके बाद सुबह 10:12 बजे सूरतगढ़ में दिखना शुरू होगा, जो दोपहर 1:40 तक दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि दोपहर 11:52 पर सूर्य रिंग ऑफ फायर की तरह दिखेगा।रिंग ऑफ फायर का दिखेगा अद्भुत नजारा यही रिंग ऑफ फायर अद्भुत घटना है, जिसमें चंद्रमा सूरज के 97 से 99 फीसदी तक हिस्से को कवर कर लेगा। इसकी वजह से सूरज वलयाकार या फायर रिंग की तरह दिखाई देगा। स्नेह केसरी ने बताया कि कल के ग्रहण पर शोध के लिए अत्याधुनिक टेलिस्कोप और अन्य वैज्ञानिक उपकरण लाए गए हैं। इनके माध्यम से सूर्य के बारे में और अधिक विस्तार से जानकारी हासिल की जा सकेगी।कोरोना काल में सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहणये साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण है। और कोरोना काल में सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण है। जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है, तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की परिक्रमा करता है। कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं।