राजस्थान (Rajasthan) में यूजी-पीजी की परीक्षाओं को लेकर कोई ठोस फैसला अभी तक नहीं लिया गया है. एक और जहां स्टूडेंट्स के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है तो वहीं राज्य सरकार की ओर से भी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है. हालांकि, उच्च शिक्षा मंत्री ने राज्य सरकार के पूर्व में लिए फैसले पर ही फिलहाल अडिग रहने और यूजीसी (UGC) को राज्य की कोरोना वायरस की स्थिति से अवगत कराने की बात कही है. मालूम हो कि 4 जुलाई को मुख्यमंत्री की बैठक में निर्णय लिया गया था प्रदेश के विश्वविद्यालयों में यूजी (Under Graduation) और पीजी (Post Graduation) की परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाएगी. कोरोना संक्रमण की परिस्थितियों को देखते हुए स्टूडेंट्स को प्रमोट करने का निर्णय लिया गया. इसके अगले दिन प्रदेश के 14 विश्वविद्यालयों को उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश भी जारी कर दिए, जबकि सोमवार देर शाम तक MHA की गाइडलाइन के बाद यूजीसी ने यूजी-पीजी फाइनल की परीक्षाएं कराने की अनिवार्यता की गाइडलाइन जारी कर दी.
यूजीसी की गाइडलाइन के बाद से ही स्टूडेंट्स में असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही थी. वहीं मंगलवार को उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने इस मामले में कहा कि वे यूजीसी के निर्णय का सम्मान करते हैं. राज्य में कोरोना की परिस्थितियों को देखते हुए प्रमोट करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब MHA और यूजीसी की आई है नई गाइडलाइन देश के सभी राज्यों के लिए जारी की गई है. जबकि राजस्थान में कोरोना की स्थति नियंत्रण में नहीं है. ऐसे में अभी यहां परीक्षाएं करना सम्भव नहीं है. इसके लिए कुछ और विकल्प देखा जा सकता है. मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि उन्होंने स्टूडेंट्स के हित को देखते हुए फैसला लिया है.
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि प्रदेश में तीन महीने से कोरोना की स्थति ठीक नहीं है. यूजीसी ने सितम्बर तक का समय दिया है. हालांक, इससे पहले सुझाव लिए जाएंगे. राज्य सरकार हमेशा स्टूडेंट्स के हित में निर्णय लेना चाहती है. स्टूडेंट का स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता है. राज्य में ऑनलाइन एग्जाम संभव नहीं है. यूजीसी की गाइडलाइन आई है, जिससे अब दोबारा स्टडी कराया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस मामले में यूजीसी को पत्र लिखकर भी राजस्थान की स्थिति बताई जाएगी.
वहीं, इस मामले में छात्र संगठनों की भी मिली जुली प्रतिक्रिया है. स्टूडेंट्स को प्रमोट करने की लंबे समय से मांग कर रहे छात्र संगठन एनएसयूआई इस निर्णय को लेकर केंद्र सरकार के विरोध में उतरी है, तो दूसरी ओर एबीवीपी ने इस फैसले को सही बताया है. एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता रमेश कुमार भाटी का कहना है कि केंद्र सरकार का निर्णय स्टूडेंट्स के लिए उचित नहीं है. वे इस निर्णय पर दोबारा विचार करने की मांग करेंगे. जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इकाई प्रमुख विकास मीणा का कहना है कि विद्यार्थी परिषद इस निर्णय का स्वागत करती है. बहरहाल, उच्च शिक्षा विभाग भी यूजीसी की गाइडलाइन के बाद कहीं न कहीं असमंजस में नजर आ रहा है. फिलहाल, परीक्षाओं को लेकर विभाग का स्पष्ट रुख नहीं होने के कारण विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं की तैयारी भी ठीक से नहीं कर पा रहे है.