विशेष / जैसलमेर में आज चैतन्यराज सिंह का राजतिलक, भीड़ उमड़ी कि सोनार फोर्ट का करना पड़ा गेट बंद

बीकानेर के विश्व प्रसिद्ध सोनार फोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर राजशाही दौर जीवंत हो उठा। मौका था जैसलमेर राजघराने के 44वें महारावल चैतन्यराज सिंह के राजतिलक का। दुल्हन की तरह सजे सोनार फोर्ट में भारी संख्या में मौजूद लोगों के जयकारों के बीच 25 साल के चैतन्यराज सिंह को महारावल के सिंहासन पर बैठाया गया। जैसलमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी आयोजन में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े।

Vikrant Shekhawat : Jan 15, 2021, 03:36 PM
  • सोनार फोर्ट में इससे पहले 1982 में चैतन्यराज सिंह के दिवंगत पिता ब्रजराज सिंह की ताजपोशी हुई थी, उस समय वह महज 14 वर्ष के थे

बीकानेर के विश्व प्रसिद्ध सोनार फोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर राजशाही दौर जीवंत हो उठा। मौका था जैसलमेर राजघराने के 44वें महारावल चैतन्यराज सिंह के राजतिलक का। दुल्हन की तरह सजे सोनार फोर्ट में भारी संख्या में मौजूद लोगों के जयकारों के बीच 25 साल के चैतन्यराज सिंह को महारावल के सिंहासन पर बैठाया गया। जैसलमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी आयोजन में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। बढ़ती भीड़ को रोकने के लिए सोनार फोर्ट का मुख्य द्वार तक बंद करना पड़ गया।


नए महारावल चैतन्यराज सिंह के राजतिलक की तैयारियां कई दिनों से जैसलमेर में जारी थी। आज एक खुली जीप में चैतन्यराज सिंह को अपने निवास स्थान जवाहिर पैलेस से फोर्ट लाया गया। भगवा वस्त्र धारण किए चैतन्यराज पर पूरे रास्ते लोगों ने फूलों की बारिश कर जयकारे लगाते हुए उनका स्वागत किया।


फोर्ट पहुंच उन्होंने सबसे पहले कुलदेवी स्वांगिया व नगर आराध्य लक्ष्मीनाथ के दर्शन किए। पूजा अर्चना करने के बाद उन्होंने शाही परिधान धारण किए। इसके बाद पंडितों के मंत्रोचार के बीच उन्हें महारावल की गद्दी पर बैठाया गया। उनके गद्दी पर बैठते ही पूरा सोनार फोर्ट जयकारों से गूंज उठा। गोपा परिवार की तरफ से उनका तिलक कर विधिवत रूप से महारावल घोषित किया गया।


इससे पहले 1982 में हुआ था आयोजन:

सोनार फोर्ट में इससे पूर्व वर्ष 1982 में चैतन्यराज सिंह के दिवंगत पिता ब्रजराज सिंह की ताजपोशी का आयोजन हुआ था। उस समय वे महज 14 वर्ष के थे। ब्रजराज सिंह का 28 दिसम्बर को निधन हो गया था। आजादी के बाद जैसलमेर के फोर्ट में यह तीसरा आयोजन है। इससे पूर्व वर्ष 1950 में नए महारावल चैतन्यराज सिंह के दादा रघुनाथसिंह की ताजपोशी की गई थी।

जैसलमेर के इतिहास में पहली बार इतनी भीड़:

अपने नए महारावल के प्रति लोगों ने भरपूर प्यार उड़ेल कर रख दिया? यहीं कारण रहा कि उनकी ताजपोशी के दौरान ऐसा लग रहा था मानो पूरा जैसलमेर सड़क पर निकल आया हो। शहर में कई जगह राजतिलक की रस्म का लाइव टेलीकास्ट दिखाने की व्यवस्था की गई, ताकि फोर्ट में भीड़ कम हो। इसके बावजूद आसपास के गांवों से लेकर शहर के लोग फोर्ट की तरफ उमड़ पड़े। फोर्ट में 4 से 5 हजार लोग मौजूद रहे। जबकि इसके गेट पर इतने ही लोग खड़े हैं। भारी भीड़ को देखते हुए फोर्ट का गेट तक बंद करना पड़ गया।