इंडिया / चंद्रयान-2 का लैंडर हुआ ऑर्बिटर से अलग, चांद पर उतरने में पांच दिन बाकी

भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ से संबंधित एक अति महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सोमवार को इसके ‘विक्रम’ लैंडर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया। अब चांद के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में लैंडर के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने और अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय दर्ज करने में महज पांच दिन बचे हैं। लैंडर को ऑर्बिटर से अलग करने की प्रक्रिया आज अपराह्न एक बजकर पंद्रह मिनट पर पूरी कर ली गई।

AMAR UJALA : Sep 02, 2019, 10:15 PM
भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ से संबंधित एक अति महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सोमवार को इसके ‘विक्रम’ लैंडर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया। अब चांद के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में लैंडर के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने और अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय दर्ज करने में महज पांच दिन बचे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 978 करोड़ रुपये की लागत वाले महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन की एक और सफलता की घोषणा करते हुए कहा कि ‘लैंडर’ को ‘ऑर्बिटर’ से अलग करने की प्रक्रिया आज अपराह्न एक बजकर पंद्रह मिनट पर पूरी कर ली गई।

इसरो के बंगलूरू स्थित मुख्यालय के एक अधिकारी ने  कहा कि 'लैंडर’ को ‘ऑर्बिटर’ से अलग करने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। इसने कहा कि चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ और ‘ऑर्बिटर’ की सभी प्रणालियां एकदम ठीक हैं।

लैंडर’ के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। ‘लैंडर’ का नाम भारत के अंतरिक्ष मिशन के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर ‘विक्रम’ रखा गया है। रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ संस्कृत का शब्द है जिसका मतलब बुद्धि से है। क्योंकि रोवर कृत्रिम बुद्धि से लैस है, इसलिए इसका ऐसा नाम रखा गया है।

इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने पिछले महीने कहा था कि 'ऑर्बिटर’ का ‘लैंडर’ से अलग होना दुल्हन का पिता का घर छोड़ने जैसा होगा। विक्रम सात सितंबर को रात एक बजकर 55 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग के जरिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा। ‘चंद्रयान-2’ मिशन की इस सबसे जटिल प्रक्रिया में यदि इसरो को सफलता मिलती है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।