दुनिया / Chandrayaan-2 के रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर सही-सलामत रखा था कदम?

पिछले साल 22 जुलाई को भारत ने अपना महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया और चांद के अंधेरे हिस्से पर ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने अपना यान भेजा। हालांकि, इसका लैंडर विक्रम उम्मीद के मुताबिक आराम से चांद की सतह पर लैंड नहीं कर सका और धरती से इसका संपर्क टूट गया। उन तस्वीरों में जो दिखा उसे विक्रम का मलबा माना गया। हालांकि, LRO की ताजा तस्वीरों में शान ने ही फिर पता लगाया है

NavBharat Times : Aug 01, 2020, 04:12 PM
Delhi: पिछले साल 22 जुलाई को भारत ने अपना महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया और चांद के अंधेरे हिस्से पर ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने अपना यान भेजा। हालांकि, इसका लैंडर विक्रम उम्मीद के मुताबिक आराम से चांद की सतह पर लैंड नहीं कर सका और धरती से इसका संपर्क टूट गया। बाद में अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA (नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) की तस्वीरों को देखकर चेन्नै के इंजिनियर शानमुगा सिब्रमण्यन ने लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर खोज लिया। उन तस्वीरों में जो दिखा उसे विक्रम का मलबा माना गया। हालांकि, LRO की ताजा तस्वीरों में शान ने ही फिर पता लगाया है कि भले ही विक्रम की लैंडिंग मनमाफिक न हुई हो, मुमकिन है कि चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान ने एकदम सही-सलामत चांद की सतह पर कदम रखा था। शान ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के लिए शताक्षी अस्थाना से बातचीत में ये पूरी कहानी समझाई है-

शान ने खोजा था विक्रम लैंडर

NASA के LRO (Lunar Reconnaissance Orbiter) ने पिछले साल तीन बार उस जगह की तस्वीर ली जहां लैंडर और उसका मलबा पाया गया। LRO से 17 सितंबर, 14 अक्टूबर और 11 नवंबर को ली गईं तस्वीरों में लैंडिंग साइट पर जो निशान मिले, माना जा रहा था कि वे उस मलबे के ही थे। शान ने खुद को LRO की तस्वीरों में विक्रम लैंडर को स्पॉट किया था जिसकी पुष्टि NASA ने की थी और उन्हें धन्यवाद भी दिया था।


नई तस्वीरों ने किया हैरान

हालांकि, यह कहानी वहीं खत्म नहीं हुई। इस साल 4 जनवरी को ली गईं तस्वीरों को जब शान ने स्टडी किया तो उसमें कुछ अलग दिखाई दिया। इस बार विक्रम से कुछ दूर पर कुछ और भी दिखा जो पहले से अलग था। शान का मानना है कि यह विक्रम के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान था। उस क्षेत्र में मलबे के अलावा यह तस्वीर पहली बार देखी गई है।


अब तक कहां था प्रज्ञान?

दरअसल, विक्रम जहां लैंड करने वाला था वह चांद का ऐसा हिस्सा है जहां रोशनी बेहद कम होती है। इससे पहले उस क्षेत्र की तस्वीरें LRO ने जब लीं तो रोशनी कम होने और सूरज के अलग ऐंगल की वजह से रोवर दिखाई नहीं दिया। शान का कहना है कि इस बार चांद के हिस्से पर रोशनी पहले से ज्यादा थी और अलग ऐंगल पर यह रोशनी रोवर पर टकराई और इसी रिफ्लेक्शन की वजह से इस बार वह देखा जा सका। शान ने इसकी जानकारी ISRO और NASA को दी है और उनकी पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।


तो पहले क्या दिखा था?

चंद्रयान-2 अपने साथ कुल 13 पेलोड लेकर गया था जिनमें से 3 लैंडर पर और 2 रोवर पर थे। शान का कहना है कि पहले NASA को और उनको जो मलबा दिखा था, मुमकिन है कि वह इसी पेलोड का हो। शान बताते हैं कि उन्हें जो मलबा दिखा था वह Langmuir प्रोब का हो सकता है। वहीं, NASA को जो मलबा दिखा था वह लैंडर में लगे ऐंटेना, दूसरे पेलोड, रेट्रो ब्रेकिंग इंजिन या सोलर पैनल का हो सकता है।


तो क्या सही-सलामत है प्रज्ञान?

खास बात यह है कि चांद की सतह पर विक्रम की रफ लैंडिंग हुई थी, क्रैश लैंडिंग नहीं। यानी कि ऐसी संभावना है कि लैंडर भले ही बुरी तरह सतह पर लैंड हुआ हो और उसके कम्यूनिकेशन बंद हो गए लेकिन रोवर प्रज्ञान उसके अंदर सुरक्षित रहा। बाद में पहले से प्रोग्राम किए गए तरीके के मुताबिक ही वह विक्रम से बाहर निकला और कुछ दूर तक गया। शान का कहना है कि सतह पर टक्कर की वजह से रोवर के लैंडर से बाहर फेंके जाने की संभावना कम है। मुमकिन है कि रोवर सही तरीके से लैंडर से बाहर निकला था। ऐसा इसलिए है क्योंकि तस्वीरों में लैंडर और रोवर के बीच ट्रैक देखा जा सकता है। अगर रोवर टक्कर खाकर बाहर गिरा होता, तो ऐसा ट्रैक बनने की संभावना कम थी। हालांकि, शान का कहना है कि इस बात की पुष्टि NASA या ISRO ही कर सकते हैं।