NDA vs INDIA / CM नीतीश कुमार लालू और कांग्रेस के गेम से अलग-थलग पड़े- INDIA गठबंधन में रार!

बिहार में ही “INDIA’ में रार देश में सबसे ज्यादा…कांग्रेस, लेफ्ट और लालू एक साथ, नीतीश पड़ रहे हैं अलग-थलग ! “कभी आपका तो कभी हमारा यार है” “असली बेवफा तो नीतीश कुमार है” . ये शब्द बीजेपी ने भले ही नीतीश कुमार के लिए इस्तेमाल किए हो…लेकिन कांग्रेस और आरजेडी की रणनीतियों का हिस्सा बिहार में ये बन चुका है. कांग्रेस नीतीश कुमार पर थोड़ा भी भरोसा करने को तैयार नहीं है. वहीं, लालू प्रसाद कांग्रेस और लेफ्ट के कंधे पर बंदूक

Vikrant Shekhawat : Sep 14, 2023, 05:47 PM
NDA vs INDIA: बिहार में ही “INDIA’ में रार देश में सबसे ज्यादा…कांग्रेस, लेफ्ट और लालू एक साथ, नीतीश पड़ रहे हैं अलग-थलग ! “कभी आपका तो कभी हमारा यार है” “असली बेवफा तो नीतीश कुमार है” . ये शब्द बीजेपी ने भले ही नीतीश कुमार के लिए इस्तेमाल किए हो…लेकिन कांग्रेस और आरजेडी की रणनीतियों का हिस्सा बिहार में ये बन चुका है. कांग्रेस नीतीश कुमार पर थोड़ा भी भरोसा करने को तैयार नहीं है. वहीं, लालू प्रसाद कांग्रेस और लेफ्ट के कंधे पर बंदूक रखकर नीतीश कुमार को किनारा करने की जुगत में लग गए हैं.

वैसे राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने कुछ दिनों पहले ही ऐसी भविष्यवाणी कर दी थी, लेकिन टीवी9 डिजिटल के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि आरजेडी कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर आपन दांव खेलने में जुट गई है.

आरजेडी और जेडीयू के बीच बढ़ी दूरियां, आरजेडी ने बदली रणनीति!

INDIA अलायंस की मीटिंग दर मीटिंग के बाद नीतीश कुमार की महत्ता गठबंधन में कमतर होती दिखी है. आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नीतीश कुमार पर थोड़ा भी भरोसा करने को तैयार नहीं हैं. इसलिए गठबंधन में कांग्रेस की पकड़ जैसे जैसे मजबूत हो रही है नीतीश कुमार अलग थलग पड़ते दिख रहे हैं.

दरअसल भरोसे की खाई उस दिन से और बढ़ने लगी है, जबसे नीतीश कुमार पीएम मोदी के न्यौते के बाद जी20 की मीटिंग में शामिल होने दिल्ली पहुंच गए थे. इतना ही नहीं, इसके बाद रातों-रात पंचायती राज व्यवस्था के मद में केन्द्र से 2 हजार करोड़ की राशि रिलीज होना आरजेडी समेत कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को भौंचक्का कर गया है.

इसके बाद ही नीतीश कुमार द्वारा अचानक प्रखंड और जिला स्तर के नेताओं से मुलाकात करना भी INDIA गठबंधन के लोगों को गले नहीं उतर रहा है. ज़ाहिर है पहले से ही कांग्रेस की नजरों में खटकने वाले नीतीश कुमार अब और भी ज्यादा INDIA गठबंधन के घटक दलों के बीच भरोसा की कसौटी पर कमजोर दिख रहे हैं.

दरअसल जी-20 की मीटिंग में नीतीश कुमार का संजय झा के साथ जाने के अलावा कॉ-आर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में भी संजय झा का भेजा जाना, मैसेजिंग के हिसाब से आरजेडी और कांग्रेस की लाइन से मेल नहीं खाता है.

दरअसल, आरजेडी और जेडीयू के बीच विश्वास की डोर को मजबूती से थामने की जिम्मेदारी इन दिनों जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह के जिम्मे रही है, लेकिन संजय झा का इन दिनों अकेला एक्शन में नजर आना कई सवालों को जन्म दे रहा है.

इसलिए नीतीश कुमार की बदली-बदली राजनीति को भांपकर आरजेडी बड़ी ही सावधानी से अपने पत्ते खेलने लगी है. दरअसल हाल के दिनों में ललन सिंह आरजेडी और जेडीयू के बीच की अहम कड़ी देखे गए हैं. लेकिन कुछ दिनों से सेंटर स्टेज पर संजय झा को देखकर आरजेडी के भीतर भी बेचैनी बढ़ गई है.

जेडीयू के बदलते मिजाज को देखकर आरजेडी रणनीति बदलने लगी है?

पीएम मोदी से मुलाकात और केन्द्र द्वारा फंड रिलीज करने के बाद जेडीयू के तेवर भी बदलते दिख रहे हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह रविवार को नालंद में नीतीश कुमार को बेदाग नेता बताकर पीम पद का सुयोग्य उम्मीदवार बता चुके हैं. इतना ही नहीं नीतीश कुमार से मिलने आए प्रखंड और जिला अध्यक्षों ने नीतीश कुमार के आवास के बाहर ही नीतीश को पीएम बनाने की मांग मंगलवार को तेज कर डाली है.

ज़ाहिर है आरजेडी नीतीश कुमार के बदलते रवैये को भांप गई है. इसलिए आरजेडी ने भी नीतीश कुमार को पीएम का सुयोग्य उम्मीदवार बताकर दांव खेलना शुरू कर दिया है, जिससे नीतीश कुमार के पास गठबंधन को त्याग कर बाहर जाने का कोई शेष विकल्प बचे नहीं.

दरअसल, पटना के सियासी गलियारों में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की बीमारी के बाद कयासों का बाजार गरम है. ललन सिंह बीमार हैं ये खबर सबके पास है, लेकिन उनका अचानक जेडीयू के बड़े नेताओं से मिलना जुलना बंद करना कौतुहल का विषय बना हुआ है. सूत्रों के मुताबिक बीमारी की बात सुनकर कई जेडीयू के बड़े नेता औपचारिक मुलाकात करना जाना चाह रहे थे, लेकिन राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने उन्हें मिलने से मना कर दिया है.

सीएम नीतीश कुमार का सीधा प्रखंड और जिला अध्यक्ष से मिलकर वन-टू-वन बातें करना और कागज पर उनकी शिकायतों को सीधा सुनना जेडीयू के भीतर भी संशय पैदा कर रहा है.

आरजेडी नीतीश कुमार को पीएम का सुयोग्य उम्मीदवार बनाने को लेकर जेडीयू के भीतर तेज उठी मांग की मैसेजिंग को डिकोड कर चुकी है. दरअसल ललन सिंह और नीतीश कुमार दोनों ऐसे पद की मांग को लेकर सवाल पूछे जाने पर भड़क जाया करते थे, लेकिन जेडीयू के अचानक बदलती रणनीति को देखकर आरजेडी भी रणनीति बदलने लगी है.

आरजेडी लेफ्ट और कांग्रेस के सहारे जेडीयू को कॉर्नर करने में जुटी

लालू प्रसाद और गांधी परिवार का संबंध दांत कटी रोटी का बन चुका है. मटन डिप्लोमैसी के बाद लालू प्रसाद कांग्रेस की जुबान भी खुलकर बोलने लगे है. लालू प्रसाद मुंबई की मीटिंग में इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्होंने राहुल गांधी को विपक्ष का नेता करार करार दे दिया था.

मुंबई मीटिंग के बाद बिहार में कांग्रेस 10 सीटों की डिमांड कर रही है. वहीं, लेफ्ट पार्टियां 9 सीटों पर चुनाव लड़ने की फिराक में है. आरजेडी एक विशेष रणनीति के तहत इन दो दलों को आगे कर जेडीयू को कॉर्नर करने की रणनीति पर काम कर रही है.

सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद का फॉर्मुला साल 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम के हिसाब से लोकसभा सीटों का बंदवारा करने को लेकर है. वहीं, नीतीश कुमार अपनी जीती हुई 16 सीटें हर हाल में हथियाकर मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

बिहार में INDIA गठबंधन के लालू प्रसाद सहित कांग्रेस और लेफ्ट को शक है कि नीतीश कभी भी पलट सकते हैं, इसलिए इन्हें जितनी कम सीटें आवंटित की जाए भविष्य के लिए उतना ही बेहतर होगा. इसलिए लेफ्ट और कांग्रेस को आगे कर लालू प्रसाद जेडीयू को कॉर्नर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

आरजेडी के एक नेता के मुताबिक 16 में से तकरीबन 14 सीटों पर जेडीयू पिछले चुनाव में आरजेडी को हराई थी . इसलिए 14 लोकसभा सीटों को सीधा छोड़ देना आरजेडी के लिए आसान नहीं होगा

वहीं, कांग्रेस कटिहार, सासाराम और सुपौल जैसी सीटें हर हाल में लड़ना चाहती है, जो जेडीयू के पास है. कटिहार से कांग्रेस के महासचिव तारिक अनवर, सासाराम से मीरा कुमार, सुपौल से रंजीता रंजन चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं.

लेफ्ट की बड़ी पार्टी सीपीआईएमएल आरा , सीवान, काराकाट, पाटलिपुत्र और जहानाबाद हर हाल में लड़ना चाहती है, जबकि सीपीआई और सीपीएम भी दो-दो सीटों पर दावा ठोक रही हैं. ज़ाहिर है अगर इन्हें एक एक भी आवंटित हुआ तो पूर्णियां में सीपीएम, जहां से जेडीयू के सांसद हैं, और सीपीआई बेगुसराय से लड़ना चाह रही है जहां बीजेपी के सांसद हैं.

इसलिए महागठबंधन के घटक दलों में सबका तकरार नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से ही है और उनपर विश्वास की कमी भी उन्हें हाशिए पर धकेलने लगी है. ज़ाहिर है लोकसभा चुनाव के करीब पहुंचने से पहले राजनीतिक खेल बिहार में चरम पर है और महागठबंधन में नीतीश कुमार अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं.