Rajasthan / अलवर में शिव मंदिर तोड़ने पर विवाद, जानें क्या है 300 साल पुराने मंदिर को जमींदोज करने की कहानी?

अलवर जिले के राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ने से राजस्थान के की सियासत गरमाई हुई है। मामले को लेकर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगा रही है। भाजपा का कहना है कि सरकार तुष्टीकरण और वोट बैंक बनाए रखने के लिए मंदिरों को निशाना बना रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा धार्मिक भावना भड़का कर माहौल खराब कर रही है।

Vikrant Shekhawat : Apr 23, 2022, 02:25 PM
अलवर जिले के राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ने से राजस्थान के की सियासत गरमाई हुई है। मामले को लेकर कांग्रेस और  भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगा रही है। भाजपा का कहना है कि सरकार तुष्टीकरण और वोट बैंक बनाए रखने के लिए मंदिरों को निशाना बना रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा धार्मिक भावना भड़का कर माहौल खराब कर रही है।

दोनों ओर से लग रहे आरोपों के बीच मंदिर तोड़ने का मामले ने तूल पकड़ लिया है। बताया जा रहा है मंदिर तोड़ने के आरोप में स्थानीय विधायक, एडीएम और  अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कराने को लेकर शिकायत भी की गई है। आइए जानते हैं.. क्या है मंदिर तोड़ने की कहानी?

पांच दिन पहले क्या हुआ था?

अलवर के राजगढ़ में मंदिर तोड़ने का मामला ताजा नहीं है। यहां पांच दिन पहले यह मंदिर तोड़ा गया था। इसके साथ ही दो और मंदिर भी तोड़े गए थे, एक तो ऐसा था जिसे हाल ही में बनवाया गया था। यह कार्रवाई 17 और 18 अप्रैल को की गई थी। 

तब किसी ने नहीं किया विरोध 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 17-18 अप्रैल को अतिक्रमण हटवाए जाने के दौरान तीन पूर्व निर्मित मंदिरों पर कार्रवाई की गई। इससे पहले नाले पर बने एक मंदिर में स्थापित मूर्तियों को निर्माणकर्ताओं ने खुद ही हटा लिया था। रास्ते में अवरोधक होने के कारण दूसरे मंदिर का नगण्य और आंशिक हिस्सा ही हटाया गया। वहीं तोड़ा गया तीसरा मंदिर किन्नरों का बताया जा रहा है। इस कार्रवाई के दौरान किसी ने भी विरोध नहीं किया था। बाद मामला सामने आने के बाद भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है। कई हिंदू संगठन भी सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं। 

आखिर क्यों हटाया गया अतिक्रमण? 

वसुंधरा राजे सरकार के दौरान राजगढ़ में मास्टर प्लान के तहत विकास के लिए गौरवपथ बनाने का शुरू किया गया था। लेकिन, अतिक्रमण के कारण इसे रोक दिया गया। यहां की नगरपालिका में भाजपा का बोर्ड है। इसमें 34 सदस्य भाजपा और एक सदस्य कांग्रेस का है। बताया जा रहा है कि पिछले साल नगरपालिका की बैठक में अतिक्रमण हटाए जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था। इसके बाद 17-18 अप्रैल को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।

300 साल पुराना मंदिर और 32 मकान तोड़े गए 

राजगढ़ नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने 12 अप्रैल को अतिक्रमण हटाने के दौरान हालात काबू में रखने पुलिस बल की मांग थी। इससे पहले लोगों को अतिक्रमण खुद हटाने के लिए समझाइश भी दी गई थी। बताया जा रहा है कि अतिक्रमण हाटने से दो दिन पहले नपा प्रशासन ने मुनादी भी करवाई थी। इसके बाद ही अतिक्रमण हटाया गया। इस दौरान मास्टर प्लान के तहत 35 अतिक्रमण हटाए गए। इसमें 32 मकान, दुकान और तीन मंदिर शामिल हैं। तोड़ा गया एक शिव मंदिर 300 साल पुराना है। जिसे लेकर प्रदेश में राजनीति गरमाई है।  

रास्ता 60 फीट का, 40 फीट पर था अतिक्रमण 

मंदिर तोड़ने के बाद मामले ने तूल पकड़ा तो प्रशासन ने कहा कि मास्टर प्लान के तहत कार्रवाई की गई है। बताया गया कि जिस जगह अतिक्रमण हटाया गया, वहां राजस्व रिकॉर्ड में रास्ता करीब 60 फीट का है। अतिक्रमण के कारण यह 20 फीट के करीब ही रह गया था। कांग्रेस का दावा है कि राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड ने यह कार्रवाई की है। वहीं, नगर पालिका बोर्ड ने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर यह कार्रवाई की गई है। प्रशासन का कहना है कि नपा द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद ही अतिक्रमण हटाया गया है।