Donald Trump News: वाशिंगटन डीसी के कैपिटल रोटुंडा में कड़ाके की ठंड के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस बार का शपथ ग्रहण समारोह बंद कमरे में आयोजित किया गया। अपने संकल्प में ट्रंप ने तुरंत प्रभाव से कार्य करने और खासतौर पर इमीग्रेशन व सीमा सुरक्षा के सुधारों पर जोर देने की बात कही।
यूरोप में मचा हड़कंप
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के साथ ही यूरोप के कई देशों में चिंता बढ़ गई है। ट्रंप लंबे समय से नाटो की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने नाटो सदस्य देशों से यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए जीडीपी का 2% रक्षा पर खर्च करना होगा, अन्यथा अमेरिका का समर्थन कमजोर हो सकता है।
नाटो के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका 3.6% जीडीपी रक्षा पर खर्च करता है, जबकि ग्रीस (2.2%), एस्टोनिया (2.14%), यूके (2.10%), और पोलैंड (2%) भी इस लक्ष्य को पूरा करते हैं। दूसरी ओर, फ्रांस (1.8%) और जर्मनी (1.2%) इस लक्ष्य से पीछे हैं। ट्रंप की कड़ी चेतावनी ने इन देशों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
यूरोपीय संघ पर आर्थिक दबाव
चुनाव प्रचार के दौरान ही ट्रंप ने यूरोपीय संघ को अमेरिका के आर्थिक हितों के खिलाफ बताया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोपीय देश अमेरिकी कार और कृषि उत्पाद खरीदने में रुचि नहीं रखते, जबकि वे अमेरिका में लाखों कारें बेचते हैं। ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ बढ़ाकर और ऊर्जा व्यापार का उपयोग करके इस व्यापार घाटे को कम किया जाएगा।
फ्रांस की चिंताएं
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने ट्रंप की नीतियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका अपने युद्धपोत भूमध्य सागर से हटा लेता है या अपने लड़ाकू विमान अटलांटिक से प्रशांत महासागर में स्थानांतरित करता है, तो यूरोप की सुरक्षा का क्या होगा?" फ्रांस ने यूरोपीय देशों से घरेलू रक्षा उद्योगों में निवेश बढ़ाने की अपील की है ताकि वे अमेरिकी समर्थन पर पूरी तरह निर्भर न रहें।
फ्रांस के प्रधानमंत्री ने ट्रंप की नीतियों को "प्रभुत्व स्थापित करने वाली राजनीति" करार दिया और कहा कि अगर यूरोप ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
जर्मनी में तनाव और रणनीति
जर्मनी में ट्रंप को लेकर तनाव और बढ़ गया जब अमेरिकी दूत आंद्रेयास मिषाएलिस का एक गोपनीय केबल लीक हुआ। इस केबल में कहा गया कि ट्रंप राष्ट्रपति पद को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जिससे अमेरिकी लोकतंत्र कमजोर हो सकता है। जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने इस लीक को स्वीकार करते हुए कहा कि ट्रंप की नीतियों के लिए तैयारी जरूरी है।
जर्मनी और फ्रांस जैसे देश अब ट्रंप के दूसरे कार्यकाल को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। वे अपनी रक्षा और आर्थिक नीतियों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
आगे की राह
डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल अमेरिका की विदेश और आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव ला सकता है। यूरोपीय देशों के लिए यह एक नई चुनौती होगी। उन्हें अपनी रक्षा, आर्थिक और कूटनीतिक नीतियों को ट्रंप के प्रभाव से संतुलित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
ट्रंप की नीतियां केवल अमेरिका के भीतर नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी व्यापक प्रभाव डालने वाली हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि दुनिया इन नीतियों का कैसे सामना करती है।