जयपुर / राजस्व न्यायालयों में चर्चा का विषय है पूर्व आईएएस और बसपा के प्रत्याशी उमराव सालोदिया को जेल भेजना

करोड़ों की जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में एसीबी द्वारा पेश चार्जशीट पर सुनवाई करने वाली अदालत के आदेश पर सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव उमराव सालोदिया को जेल भेजा जाना राजस्व न्यायालयों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको याद दिला दें ये वही उमराव सालोदिया है जो राज्य में मुख्य सचिव नहीं बनाए जाने से नाराज हुए और धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कुबूल करने की घोषणा करते हुए वीआरएस ले बैठे थे। बाद में इन्होंने जयपुर से ब

Vikrant Shekhawat : Aug 27, 2019, 02:25 PM
करोड़ों की जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में एसीबी द्वारा पेश चार्जशीट पर सुनवाई करने वाली अदालत के आदेश पर सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव उमराव सालोदिया को जेल भेजा जाना राजस्व न्यायालयों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको याद दिला दें ये वही उमराव सालोदिया है जो राज्य में मुख्य सचिव नहीं बनाए जाने से नाराज हुए और धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कुबूल करने की घोषणा करते हुए वीआरएस ले बैठे थे। बाद में इन्होंने जयपुर से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। सालोदिया बहुत अच्छे संगीतकार भी हैं।

हालांकि रिटायर्ड आईएएस सालोदिया पर रिटायर्ड जज नानकराम शर्मा भारी पड़े, जो किस इस मामले में परिवादी हैं। इस मामले में सालोदिया सुनवाई के वक्त न्यायालय में मौजूद थे, इसलिए उन्हें तत्काल जेल भेजने के आदेश ​दे दिए गए हैं। राजस्व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की इस तरह  गिरफ्तारी अब राज्य के सभी राजस्व न्यायालयों में चर्चा का विषय है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) मुख्यालय जयपुर के प्रकरण संख्या 203/13 में न्यायालय में एसीबी द्वारा करोड़ों की जमीन के धोखाधड़ी के संबंध में पेश किए चालान पर सोमवार को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने राजस्थान के रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य सचिव उमराव सालोदिया को जेल भेज दिया।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि शिकायतकर्ता नानकराम शर्मा (अब सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश) ने वर्ष 2013 में एक शिकायत प्रस्तुत की थी, जिसके आधार पर एसीबी ने 5 सार्वजनिक कर्मचारियों और एक और व्यक्ति के खिलाफ 203/13 के तहत मामला दर्ज किया था। 

ये है पूरा मामला

नींदड़ बेनाड जयपुर में नींदड़ के जागीरदार सुरेंद्र सिंह द्वारा तत्कालीन जिला न्यायाधीश नानक राम शर्मा को वर्ष 1953 में जमीन दी गई थी। जिस पर वर्ष 1960 में नानकराम शर्मा के पक्ष में नामांतरण खोला गया था। इस जमीन का वर्ष 2001 में सुरेंद्र सिंह के पुत्र रणवीर सिंह द्वारा एसडीओ के समक्ष नामांतरण खारिज करने के लिए अपील की गई। 

जिसे एसडीओ द्वारा तयशुदा समय से ज्यादा अवधि (टाइम बार्ड) कहकर अपील खारिज कर दी। ये फैसले के खिलाफ रणवीर सिंह द्वारा संभागीय आयुक्त जयपुर के यहां अपील की गई। जिस पर संभागीय आयुक्त ने एसडीओ को निर्देश दिए कि पुनः सुनवाई कर फैसला दिया जावे। इस पर नानकराम शर्मा एवं रणवीर सिंह द्वारा  रेवेन्यू बोर्ड अजमेर में भी अपील कर दी गई।

इस अपील पर रेवेन्यू बोर्ड अजमेर के तत्कालीन सदस्य हरिशंकर भारद्वाज व अध्यक्ष रेवेन्यू बोर्ड उमराव सालोदिया द्वारा रणवीर सिंह से षड्यंत्र पूर्वक मिलीभगत कर पद का दुरुपयोग करते हुए एक तरफा फैसला दिया।

जिस फैसले को आधार मानते हुए आनन-फानन में तहसीलदार आमेर,गिरदावर एवं पटवारी आमेर द्वारा चार दिवस में रणवीर सिंह के पक्ष में नामांतरण खोल दिया। एसीबी के संपूर्ण अनुसंधान के पश्चात उक्त अभियुक्तों के विरुद्ध पद का दुरूपयोग एवं षड्यंत्र करने संबंधी आईपीसी की धाराओं में अपराध पाया गया।

एएसपी आलोक सिंहल ने अनुसंधान कर इन धाराओं में पेश किया चालान

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आलोक सिंघल द्वारा सोमवार को कोर्ट में 6 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 120 बी एवं सहपठित धारा 13 (1)D,13 2 पीसी एक्ट एवं  465,464,471,193 आईपीसी की धाराओं में चालान न्यायालय में पेश किया गया। जबकि एक अभियुक्त के खिलाफ चालान 173/8 में लंबित रखा गया। चालान के समय रिटायर्ड अतिरिक्त मुख्य सचिव उमराव सालोदिया न्यायालय में उपस्थित रहे। जिस पर न्यायालय ने उमराव सालोदिया को जेल में भेजा।

इन तत्कालीन लोकसेवकों के खिलाफ चालान

उल्लेखनीय है अभियुक्त तत्कालीन रेवेन्यू बोर्ड अध्यक्ष उमराव सालोदिया, तत्कालीन प्रवीण बोर्ड सदस्य हरिशंकर भारद्वाज, तत्कालीन तहसीलदार आमेर अरविंद कुमार शर्मा, तत्कालीन गिरदावर आमेर मक्खन लाल, तत्कालीन हल्का पटवारी नारायण एवं रणवीर सिंह के खिलाफ सोमवार को न्यायालय में चालान पेश किया गया।