राजस्थान / आज से 571 साल पहले हिसार से आए नबाब फतेह खां ने बसाया था फतेहपुर, जानिए इसकी पूरी कहानी

हिसार से आए नबाब फतेह खां ने फतेहपुर कस्बे की स्थापना करके यहां पर काफी वर्षों तक शासन किया एवं अपने शासन के दौरान नबाब फतेह खां ने कौमी एकता की एक अनूठी मिशाल के साथ इस कस्बे की सौहार्दपूर्ण एवं सभी कौमों को साथ लेकर कस्बे को बसाया था

हिसार से आए नबाब फतेह खां ने फतेहपुर कस्बे की स्थापना करके यहां पर काफी वर्षों तक शासन किया एवं अपने शासन के दौरान नबाब फतेह खां ने कौमी एकता की एक अनूठी मिशाल के साथ इस कस्बे की सौहार्दपूर्ण एवं सभी कौमों को साथ लेकर कस्बे को बसाया था. पत्रकार निरंजन पारीक ने बताया कि नबाब फतेह खां ने हिसार से यहां आते वक्त अपने साथ ब्राहमण, महाजन, अग्रवाल सहित अनेक कौमों के साथ यहां आ कर कस्बे को बसाया एवं सौहार्द एवं कौमी एकता के साथ अपना शासन किया. नबाब फतेह खां की ओर से यहां के साधु-संतो एवं पीर पैगम्बरों को एक समान दर्जा दिया. इनमें वे यहां के तत्कालीन संत शिरोमणी गंगानाथ जी महाराज के अटूट शिष्य रहे एवं समय समय पर गंगानाथ जी के दर्शन करने के लिए भी उनके तपोस्थल पर पहुंचकर मार्ग दर्शन के साथ साथ दर्शन करते थे


फतेहपुर बाद में बसे शहर कस्बों से आज विकास की दौड़ में सबसे अधिक पिछड़ा हुआ की श्रेणी में आता है. फतेहपुर में चार सौ साल से भी अधिक पुराना लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर है तो सीकर रोड के समीप बद्रीनाथ जी मंदिर है. पीर निजामुद्दीन चिस्ती की दरगाह है. धार्मिक भावनाओं को आत्मसात करते हुए इस कस्बे की परवरिश की. जितनी उम्मीद की थी उतना विकास नहीं हुआ और आज भी शहर अपने विकास की बाट जोह रहा है. भले ही कस्बे की आबादी में विस्तार हो गया हो उसके बाद भी शहर जहां था वहीं पर है. इसके पीछे क्या वजह रही यह सोचनीय विषय है. हर बार शहर के स्थापना दिवस के समय चर्चा करके शहर को विकास के सपने देते हैं उसके बाद वो ही ढाक के तीन पात वाली कहावत सामने आ कर ठहर जाती है.