कोटा / बाढ़ का कहर | कोटा-बूंदी के 70 गांव पूरी तरह बर्बाद

कोटा | चंबल व उसकी सहायक नदियों में आए उफान ने कोटा-बूंदी जिले को ऐसा दर्द दे दिया, जिससे उबरने में कई माह बीत जाएंगे। इस बाढ़ से कोटा शहर के 8 इलाकों के 2000 से ज्यादा मकानों में पानी भर गया, दोनों जिलों के 70 गांव पूरी तरह बर्बाद हो गए, फसलें 80 से 100 फीसदी तक तबाह हो गईं। सभी बांधाें से भारी मात्रा में पानी छाेड़े जाने से इनके आसपास के इलाके भी प्रभावित हैं।

Dainik Bhaskar : Sep 18, 2019, 01:07 PM
कोटा. चंबल व उसकी सहायक नदियों में आए उफान ने कोटा-बूंदी जिले को ऐसा दर्द दे दिया, जिससे उबरने में कई माह बीत जाएंगे। इस बाढ़ से कोटा शहर के 8 इलाकों के 2000 से ज्यादा मकानों में पानी भर गया, दोनों जिलों के 70 गांव पूरी तरह बर्बाद हो गए, फसलें 80 से 100 फीसदी तक तबाह हो गईं। सभी बांधाें से भारी मात्रा में पानी छाेड़े जाने से इनके आसपास के इलाके भी प्रभावित हैं।

इस बाढ़ को लेकर सरकारी रिपोर्ट तो तब आएगी, जब पानी पूरी तरह उतर जाएगा। लेकिन इससे पहले भास्कर ने दोनों जिलों में प्रभावित क्षेत्रों के लोगों, प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से बात करके यह विशेष रिपोर्ट तैयार की है। दोनों जिलों की करीब 3 लाख आबादी इस बाढ़ से प्रभावित हुई है। बर्बादी इतनी ज्यादा है कि खेतों में खड़ी सोयाबीन, मक्का, उड़द व तिल की फसल में कुछ भी नहीं बचा। दोनों जिलों में करीब 8 हजार कच्चे-पक्के मकान ध्वस्त हो चुके हैं, यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। बारिश ने इस बार दोहरी मार दी है। मध्यप्रदेश में हुई बारिश से चंबल किनारे बर्बादी हुई और हाड़ाैती में सामन्य से लगभग दाेगुनी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त करके रख दिया।

बूंदी : 7 हजार मकान, 313 सड़कें क्षतिग्रस्त

केपाटन तहसील के 9 गांवों के 63850 लाेग प्रभावित हैं। केपाटन के अलावा बीरज, बालोद, डोलर, रोटेदा, खेड़लीबंधा, माखीदा, सूनगर, झालीजी का बराना व डाबर गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इंद्रगढ़ तहसील में 16 गांवों की 17 हजार 539 आबादी पर इसका असर है। जिले में 5 हजार कच्चे व 2 हजार पक्के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। 313 सड़कों को नुकसान हुआ है, जिनकी मरम्मत के लिए 849.59 लाख के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। बारिश में डूबने से 16 लोगों की मौत हुई है।

कोटा : शहर समेत जिले के 45 गांव प्रभावित

चंबल से लगे बस स्टैंड, हरिजन बस्ती, करबला, खंड गांवड़ी, नंदा की बाड़ी, कुन्हाड़ी, बापू नगर, हनुमानगढ़ी आदि क्षेत्रों के 2 हजार मकानों में पानी भर गया। इनके अलावा पीपल्दा तहसील में कीरपुरा, गेंता, रघुनाथपुरा, हवाखेड़ली, राजपुरा, बंबूलिया कलां, बंबूलिया खुर्द, आमलदा, निमसरा, चककावता, नौनेरा, खरवन, ककरावता, रोडगंज, रामगंज, पीपल्दा कलां, सुमेर नगर, बागली, गोठड़ा कलां, गोठड़ा खुर्द, नारायणपुरा, मुंडाला, कैथूदा, मियाना, नलावता, करवाड़, झाड़ोल, इटावा शहर समेत करीब 31 गांव प्रभावित है। वहीं दीगोद तहसील के बालापुरा, छीपड़दा, मोहम्मदपुरा, फतेहपुर, खेड़लीखुर्द, पीपला खांड, सांगाहेड़ी, पीपल्दाहेड़ी, मांगाहेड़ी, बलदेवपुरा व लाडपुरा तहसील के मानसगांव, गांवड़ी, घघटाना, ददवाड़ा गांव प्रभावित हुए हैं। फसल खराबे का 20 प्रतिशत सर्वे हो चुका, अगले 7 दिन में सर्वे पूरा होने की उम्मीद है। कीरपुरा गेंता में 56, रघुनाथपुरा में 13, हवाखेड़ली में 7, कीरपुरा बंबूलियाकलां में 34 मकान टूट चुके हैं।

धौलपुर : खरीफ की फसल बर्बाद, करोड़ों का नुकसान

चार दिन से बढ़ रही चंबल नदी से 60 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ऐसे में खेतों में पानी भरने से खरीफ की फसल और पशुओं का चारा पूरी तरह से बर्बाद हो गया है, जिससे जिले के बाढ प्रभावित किसानों को करीब करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया है। मंगलवार दोपहर को कोटा बैराज के 19 गेटों में से नौ गेट बंद कर दिए गए हैं। जिससे चंबल नदी में बुधवार सुबह से जलस्तर कम होना शुरू हो जाएगा।

झालावाड़ : 90% से अधिक फसलों में नुकसान, 700 मकान क्षतिग्रस्त

बारिश और बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। पानी उतरने के बाद अब फसलों की बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा है। गंगधार, चौमहला, रायपुर, पिड़ावा क्षेत्रों की बात करें तो यहां 90 फीसदी तक नुकसान सामने आ रहा है। वहीं कृषि विभाग, बीमा कंपनी और प्रशासन के प्राथमिक आकलन में सामने आया कि जिले में औसत 55 फीसदी तक नुकसान सामने आया है। इससे पहले अगस्त माह में खानपुर क्षेत्र में भी फसलों को भारी नुकसान सामने आ चुका है। जिले में करीब 700 मकानों के ढहने, क्षतिग्रस्त होने के मामले सामने आ चुके हैं। अब नुकसान के वास्तविक आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। जिले के 106 गांवों में बीमा कंपनी और कृषि विभाग के अधिकारियों ने वर्तमान में सर्वे कर लिया है। इसमें यह तस्वीर सामने आई है। सबसे अधिक नुकसान सोयाबीन, मक्का, उड़द को हुआ है। 

कहीं खाने का सामान नहीं बचा तो कहीं पहनने के कपड़े नहीं, मदद को आगे बढ़े लोग

बाढ़ से जिले के हालात खराब हो गए। गंगधार क्षेत्र में सबसे अधिक मकानों को नुकसान पहुंचा है। हालात यह हैं कि कहीं खाने के सामने नहीं बचे हैं तो कहीं पहनने के कपड़े नहीं रहे हैं। ऐसे समय में अब मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं। चौमहला, सुनेल सहित अन्य क्षेत्रों से लोग मदद के लिए आगे आए हैं। चौमहला में व्यापारिक और सामाजिक संगठनों ने 400 घरों में जरूरी सामग्री वितरित की, जबकि सुनेल के लोग आकोदिया गांव के लोगों के लिए भोजन से लेकर जरूरी सामानों का ध्यान रख रहे हैं।

खराब फसल लेकर तहसील कार्यालय पहुंचे किसान

फूलिया कलां (भीलवाड़ा). बारिश से फसलों में काफी खराबा हो चुका है। मंगलवार को किसान मुआवजा मांगने के लिए बैलगाड़ियों से तहसील कार्यालय पहुंचे। किसानों के हाथों में खराब हो चुके पौधे थे। तहसील कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। भाजपा ग्रामीण मंडल एवं किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। रामद्वारा चौराहे से बैलगाड़ियों और बाइक पर सवार होकर रैली के रूप में किसानों का काफीला तहसील कार्यालय पहुंचा था।