Vikrant Shekhawat : Sep 13, 2024, 07:00 AM
Champions Trophy: 2025 के फरवरी और मार्च महीने में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेज़बानी करनी है। इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट की तैयारी के तहत पीसीबी ने लाहौर और कराची समेत कई प्रमुख स्टेडियमों में रेनोवेशन का काम शुरू कर दिया है। हालांकि, इस टूर्नामेंट को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा अभी भी अनसुलझा है: भारतीय टीम की भागीदारी।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे भारत सरकार के आदेशों का पालन करेंगे, जिसमें यह संकेत है कि टीम इंडिया पाकिस्तान जाकर इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेगी। इस सूरत में पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी मोईन खान ने पीसीबी को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है, जो भविष्य के क्रिकेट आयोजन के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।क्रिकेट को राजनीति से अलग रखना चाहिएमोईन खान ने अपने बयान में क्रिकेट और राजनीति के बीच की सीमाओं को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट को राजनीति से अलग रखना चाहिए और भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों को बीसीसीआई को सलाह देनी चाहिए कि खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए। उनके अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले पूरे क्रिकेट विश्व के फैंस के लिए विशेष होते हैं और इससे न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे क्रिकेट समुदाय को लाभ होता है। मोईन खान ने भारत से आग्रह किया कि वे आईसीसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करें और क्रिकेट को राजनीति से प्रभावित न होने दें।भारतीय टीम के न आने पर हाईब्रिड मॉडल की संभावनायदि भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान नहीं आती है, तो पीसीबी को टूर्नामेंट के आयोजन के लिए एक 'हाईब्रिड मॉडल' पर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। मोईन खान ने इस बारे में सलाह दी कि यदि भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं आती है, तो पीसीबी को भविष्य में भारत में होने वाले टूर्नामेंटों में शामिल होने पर विचार करना चाहिए। यह एक प्रकार का आदान-प्रदान हो सकता है जो दोनों देशों के बीच क्रिकेट की निरंतरता को बनाए रख सकता है और मैचों की मेज़बानी की कठिनाइयों को कम कर सकता है।निष्कर्षआईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेज़बानी पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, लेकिन भारतीय टीम की संभावित अनुपस्थिति ने इस आयोजन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मोईन खान की सलाह इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जो क्रिकेट और राजनीति के बीच की सीमाओं को स्पष्ट करती है और भविष्य के आयोजनों के लिए एक संभावित दिशा दिखाती है। अब यह देखना होगा कि पीसीबी इस चुनौती को कैसे संबोधित करता है और भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट की जटिल स्थिति को कैसे सुलझाता है।