Vikrant Shekhawat : Sep 19, 2024, 02:20 PM
One Nation One Election: मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन (ONOE) पर कोविंद समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद सरकार अब संसद में इस विषय पर विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। यह विधेयक असली परीक्षण का सामना करेगा, खासकर लोकसभा में, जहाँ इसे पास कराने के लिए सरकार को 69 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा।कोविंद समिति की सिफारिशेंकोविंद समिति ने 62 राजनीतिक दलों से वन नेशन वन इलेक्शन पर राय मांगी थी, जिसमें से 47 दलों ने अपने जवाब भेजे। 32 दलों ने सिफारिशों का समर्थन किया, जिनमें ज्यादातर बीजेपी की सहयोगी पार्टियां शामिल थीं। वहीं, 15 दलों ने विरोध किया, जिसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और आम आदमी पार्टी जैसी प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर गहरी खाई है।संसद में नंबर गेमलोकसभा चुनाव-2024 के बाद, 271 सांसदों ने कोविंद समिति की सिफारिशों का समर्थन किया है, जिनमें से 240 सांसद बीजेपी के हैं। लोकसभा में एनडीए का आंकड़ा 293 है। लेकिन विधेयक को पास कराने के लिए 362 वोट या दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। अगर सभी सांसद वोटिंग के दौरान उपस्थित रहते हैं, तो सरकार को अपने सहयोगियों से समर्थन जुटाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।राज्यसभा की स्थितिराज्यसभा में भी स्थिति सरकार के अनुकूल नहीं है। यहां विधेयक को पास कराने के लिए 164 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा। एनडीए के पास 115 सांसद हैं, जिसमें 6 नामित सांसद भी शामिल हैं। अगर सभी सदस्य मौजूद रहते हैं, तो बहुमत का आंकड़ा 156 होगा। इससे स्पष्ट है कि राज्यसभा में भी सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।राजनीतिक दलों का रुखएनडीए की 27 पार्टियां वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में हैं, जबकि इंडिया गठबंधन की 10 पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। कई गैर-एनडीए दल भी इस पर विभाजित हैं, कुछ समर्थन में हैं और कुछ विरोध में। इनमें से कई दलों ने कोविंद समिति की सिफारिशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।संवैधानिक प्रक्रियासंविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार, विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि प्रत्येक सदन को अलग से विधेयक पारित करना होगा। राष्ट्रपति को भी इस पर अपनी सहमति देनी होगी, और वह इसे वापस नहीं भेज सकते।निष्कर्षवन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे लागू करने के लिए सरकार को कई राजनीतिक और संवैधानिक बाधाओं का सामना करना होगा। यह स्थिति दिखाती है कि भारतीय राजनीति में इस मुद्दे पर गहरा विभाजन है, और इसे पार करना मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। यदि सरकार अपनी योजना को सफलतापूर्वक लागू कर पाती है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।लोकसभा में किस पार्टी के कितने सांसदबीजेपी-240कांग्रेस-99सपा-37TMC- 29DMK- 22टीडीपी- 16जेडीयू-12शिवसेना (UBT)-9एनसीपी (शरद पवार)- 8शिवसेना (शिंदे गुट) – 7YSRCP- 4आरजेडी-4सीपीआई (एम)- 4IUML- 3AAP-3JMM- 3जनसेना पार्टी-2सीपीआई (एम-एल)- 2जेडीएस-2VCK-2सीपीआई-2आरएलडी- 2एनसी-2UPPL-1AGP- 1HAMS-1केरल कांग्रेस-1RSP-1नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी-1VOTPP-1ZPM-1SAD-1RLTP-1भारतीय आदिवासी पार्टी -1सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा-1MDMK-1आजाद समाज पार्टी-1अपना दल (सोनेलाल)-1AJSU पार्टी- 1AIMIM-1निर्दलीय-7