India Export Mart: भारत की आर्थिक तरक्की की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ रही है, और इसका सकारात्मक असर देश के एक्सपोर्ट बाजार पर भी देखा जा रहा है। दो महीने की गिरावट के बाद, सितंबर में देश के कमोडिटी एक्सपोर्ट में मामूली बढ़त दर्ज की गई है। सितंबर में निर्यात 0.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 34.58 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं, व्यापार घाटा कम होकर 20.78 अरब डॉलर रह गया है।
व्यापार घाटा और आयात
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में आयात 1.6 प्रतिशत बढ़कर 55.36 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में यह 54.49 अरब डॉलर था। समीक्षाधीन महीने में व्यापार घाटा, यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर, 20.8 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। अगस्त में यह 10 महीने के उच्चतम स्तर 29.65 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था।
निर्यात में गिरावट के बावजूद सकारात्मक संकेत
भारत के वस्तु निर्यात में अगस्त में सालाना आधार पर 9.3 प्रतिशत और जुलाई में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। फिर भी, चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में निर्यात में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी होकर यह 213.22 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि आयात 6.16 प्रतिशत बढ़कर 350.66 अरब डॉलर हो गया।वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद सितंबर और इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
निर्यात में वृद्धि के कारक
निर्यात को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण कारकों में इंजीनियरिंग उत्पाद, रसायन, प्लास्टिक, औषधि, तैयार वस्त्र, और इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं। बर्थवाल ने कहा कि वैश्विक कठिनाइयों के बावजूद, भारतीय उद्योग ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
सोने के आयात में वृद्धि
अगस्त में सोने का आयात भी बढ़कर 4.39 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल सितंबर में यह 4.11 अरब डॉलर था। इससे यह संकेत मिलता है कि सोने की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, जो आर्थिक गतिविधियों के प्रति सकारात्मक संकेत है।
निष्कर्ष
इन आंकड़ों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि भारत का एक्सपोर्ट बाजार धीरे-धीरे सुदृढ़ हो रहा है, और आर्थिक सुधार के संकेत मिल रहे हैं। व्यापार घाटे में कमी और निर्यात में हुई वृद्धि सरकार के लिए एक सकारात्मक विकास है, जो देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हो सकती है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में यह रुझान जारी रहेगा और भारत के आर्थिक विकास में योगदान देगा।